UP के इस एक्सप्रेसवे पर बनेंगे 2 अंडरपास, कई गांवों का आवागमन सुधरेगा
Delhi-NCR: दिल्ली-एनसीआर में ट्रैफिक जाम एक गंभीर समस्या है, खासकर ऑफिस टाइम या स्कूल समय के दौरान। रोजाना लाखों लोग घंटों सड़क पर फंसे रहते हैं, जिससे समय, ईंधन और उत्पादकता तीनों की बर्बादी होती है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर बनने वाले दो अंडरपास बनेगें।

The Chopal : दिल्ली एनसीआर में रोजाना जाम की समस्या की वजह से आम जनता का कीमती समय यहां पर बर्बाद हो जाता है. एश्योर इलाके में एक्सप्रेसवे पर अंडरपास का निर्माण किया जाएगा जिससे इस समस्या से छुटकारा मिलेगा. अंडरपास निर्माण को लेकर 15 एजेंसी आगे आई है. नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर दो अंडरपास बनाने के लिए 15 कंपनियों ने आवेदन किया है। इन एजेंसियों की फाइनेंस बिड अब खुली जाएगी। जिस एजेंसी ने सबसे कम रेट पर अंडरपास बनाने का दावा किया होगा, उस एजेंसी को नौकरी मिलेगी।
नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर दो अंडरपास बनाने के लिए 15 कंपनियों ने आवेदन किया है। इन एजेंसियों की फाइनेंस बिड अब खुली जाएगी। जिस एजेंसी ने सबसे कम रेट पर अंडरपास बनाने का दावा किया होगा उस एजेंसी को नौकरी मिलेगी।
टेंडर प्रक्रिया के तहत एजेंसी
ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर सेक्टर-128 सुल्तानपुर और सेक्टर-168 झट्टा गांव के सामने अंडरपास बनेंगे। इसे सुल्तानपुर के सामने सेक्टर-128, 129, 132 और 108 में बनाया जाना है। यह अंडरपास लगभग 81 करोड़ 61 लाख रुपये का खर्च करेगा। दूसरा, क्षेत्र 145, 146, 155, 159 और 168 में झट्टा अंडरपास बनाया जाना है। टेंडर के अनुसार इसकी लागत 99 करोड़ 74 लाख रुपये होगी। सुल्तानपुर का अंडरपास बनाने के लिए सात संस्थाएं और झट्टा अंडरपास बनाने के लिए आठ संस्थाएं ने आवेदन किया है। यदि इसी टेंडर प्रक्रिया के तहत एजेंसी चुनी जाती है, तो दोनों अंडरपास अगस्त से शुरू हो सकते हैं।
एक्सप्रेसवे सड़क पर अंडरपास का ढांचा
प्राधिकरण के अधिकारियों ने कहा कि संबंधित एजेंसियों के कागजात तकनीकी बिड के तहत जांचे जा रहे हैं। फाइनेनशियल बिड एक सप्ताह बाद खोला जाएगा। इस बिड से एजेंसियों की आर्थिक स्थिति का आकलन किया जाता है। इसके अलावा, अंडरपास बनाने के लिए एजेंसियों ने विभिन्न दरें निर्धारित की जाती हैं। नियमों के अनुसार, सबसे कम लागत में अंडरपास बनाने की क्षमता वाली संस्था को निर्माण कार्य की जिम्मेदारी दी जाती है। इन दोनों अंडरपास के लिए पहले भी टेंडर जारी किए गए थे, लेकिन एजेंसियां मानकों को पूरा नहीं कर सकी थीं। प्राधिकरण के इंजीनियरों का कहना है कि अंडरपास कार्य कई हिस्सों में होगा। पहले चरण में सर्विस रोड से जुड़ा ढांचा दोनों छोर पर बनाया जाएगा। बाद में, प्रत्येक एक्सप्रेसवे सड़क पर अंडरपास का ढांचा बनाया जाएगा, ताकि वाहनों को एक साथ नहीं गुजरना पड़े।
डेढ़ वर्ष में निर्माण और तैयारी का लक्ष्य
नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि दोनों अंडरपास का निर्माण 18 महीने में पूरा हो जाएगा। दोनों अंडरपास डायाफ्राम तकनीक का उपयोग करेंगे। इस तकनीक से पहली डायाफ्राम दीवार बनाई जाएगी। यह दीवार दोनों तरफ जमीन के अंदर बनाई जाएगी और उसके ऊपर अंडरपास की छत ढाल दी जाएगी। इसके सूखने के बाद मजबूत होने में लगभग २६ दिन लगेंगे। अधिकारियों ने कहा कि सड़क फिर बनाकर ट्रैफिक के लिए खुली होगी।
ढाई वर्ष में तीन अंडरपास बनकर तैयार हुए
नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि लगभग चार वर्षों में ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर तीन अंडरपास बनकर तैयार हो गए हैं। इनमें सेक्टर-96, 142 एडवेंट अंडरपास और 142 सफीपुर शामिल हैं। अंडरपास के बनने से एक्सप्रेसवे पर आने-जाने वालों को सफर करना बहुत आसान हो गया है।