The Chopal

91 साल की महिला को 40 साल से पेंशन का इंतजार, पति के जाने के बाद भी नहीं मिल रही सहायता

वैसे तो आज बहुत सारे वृद्ध लोगों को पेंशन मिलती है पर फिर भी बहुत सारे लोग ऐसे रह जाते हैं जिन्हे पूरी उम्र सरकार से पेंशन नहीं मिलती।  ऐसा ही एक मामला हाल ही में सामने आया है जहाँ 91 साल की महिला 46 साल से अपने पति की मौत के बाद से पेंशन का इंतज़ार कर रही है।  क्या है ये मामला, आइये नीचे खबर में विस्तार से जानते हैं 

   Follow Us On   follow Us on
91 साल की महिला को 40 साल से पेंशन का इंतजार, पति के जाने के बाद भी नहीं मिल रही सहायता

The Chopal : उड़ीसा HC ने एक 91 वर्षीय महिला को पारिवारिक पेंशन के वितरण के लिए केंद्रपाड़ा जिला कलेक्टर सूर्यवंशी मयूर विकास को एक महीने का समय दिया है. महिला के पति एक स्कूल शिक्षक थे जिनकी मृत्यु 46 साल पहले हो गई थी.

यह निर्देश हाई कोर्ट द्वारा केंद्रपाड़ा जिला कलेक्टर को हारा साहू को पारिवारिक पेंशन स्वीकृत करने का आदेश देने के चार महीने बाद आया है. हारा साहू,  के पति का 26 अगस्त 1977 को निधन हो गया था.

अदालत ने ‘आदेश की प्राप्ति की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर बकाया रकम के साथ’ एंटाइटलमेंट (Entitlement) की तारीख से पेंशन जारी करने को कहा. 15 नवंबर, 2023 को आदेश पारित किया गया, लेकिन महिला को उसकी पेंशन नहीं मिली.

हाल ही में पेश हुई रिपोर्ट के मुताबिक हारा साहू द्वारा अवमानना याचिका दायर करने के बाद, जस्टिस बिराजा प्रसन्ना सतपथी की सिंगल बेंच ने शुक्रवार को कहा, ‘आदेश का पालन करने के लिए अवमाननाकर्ता को एक महीने का अतिरिक्त समय देकर इस अवमानना याचिका का निपटारा किया जाता है.’ उन्होंने चेतावनी दी, ‘यदि विस्तारित समय के भीतर आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है, तो इसे इस अदालत के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन माना जाएगा."

बुजुर्ग महिला अपने बेटे, 60 वर्षीय रिटायर्ड मत्स्य विभाग कर्मचारी, बहू, तीन पोते और दो पोतियों के साथ केंद्रपाड़ा जिले के पलेई डेराकुंडी में रहती है.

क्या है पूरा मामला?

केस के रिकॉर्ड के अनुसार,  महिला ने 1991 से केंद्रपाड़ा में स्कूल और जन शिक्षा अधिकारियों के सामने कई याचिकाएं दायर की हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

21 अगस्त, 2023 को, केंद्रपाड़ा जिला कलेक्टर ने पारिवारिक पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य सेवा लाभों के लिए उनके दावे को खारिज कर दिया. दलील दी गई कि मामला पारिवारिक पेंशन के लिए पात्र नहीं था क्योंकि योजना 1980-81 में शुरू की गई थी, जबकि पति की 1977 में मृत्यु हो गई थी.

महिला ने 19 अक्टूबर, 2023 को हाई कोर्ट में याचिका दायर की. अदालत ने केंद्रपाड़ा कलेक्टर के आदेश को रद्द कर दिया और कहा, अगर पति जीवित होता तो वह 1983 में रिहाटयर हो जाता, जिससे वह पेंशन योजना के लिए पात्र हो जाता.

Also Read : लोन से शुरू किया बिजनेस, रोजाना कमा रहा तगड़ा मुनाफा