Chhattisgarh के इस इलाके में 20 साल बाद पहुंची बिजली, सड़क निर्माण का काम भी जारी
Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ की इस इलाके में 20 साल बाद फिर से लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. काफी सालों के बाद गांव में बिजली पहुंचने से राहत की सांस ली है. घरों में लोगों ने बल्ब जलाकर और एक दूसरे को मिठाई खिलाकर अपनी खुशियां मनाई. 20 साल बाद गांव में पहली बार बिजली की रोशनी ने न सिर्फ घरों को रोशन किया, बल्कि लोगों के चेहरों पर उम्मीद और खुशियों की चमक भी लौटा दी।

The Chopal : सुकमा के नक्सल प्रभावित पोलमपाड़ गांव में दशकों बाद बिजली मिलने से लोग प्रसन्न हैं। सीआरपीएफ और प्रशासन की मदद से नक्सलियों के खौफ में जी रहे ग्रामीणों को अब बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं। सुरक्षा कैम्पों और सड़कों के निर्माण ने प्रगति को तेज कर दिया है। दशकों बाद छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित पोलमपाड़ गांव में फिर से बिजली मिल गई है। अब अंधेरे में डूबा यह स्थान प्रकाश से भर गया है। गांव में बिजली मिलने पर लोगों ने घरों में बल्ब जलाकर मिठाई बांटी और एक दूसरे को बधाइयां दीं। पुलिस प्रशासन और सीआरपीएफ की 223वीं बटालियन ने मिलकर यह बदलाव किया है।
नक्सलियों के आतंक ने विकास को बाधित किया।
पोलमपाड़ गांव सुकमा जिला मुख्यालय से लगभग पचास किलोमीटर दूर है। माओवादी वर्षों से इस क्षेत्र पर हावी रहे हैं। 2006 में सलवा जुडूम अभियान शुरू होने पर नक्सलियों ने इलाके को बिजली से पूरी तरह बाहर कर दिया था। माओवादियों ने विद्युत खंभे तोड़कर विद्युत आपूर्ति बंद कर दी थी। ग्रामीणों का बाहरी जगह से लगभग संपर्क टूट गया था। लोगों को नक्सलियों से अपने निजी कामों के लिए भी अनुमति लेनी पड़ी।
ग्रामीण क्षेत्रों में उत्साह और शांति की वापसी
सीआरपीएफ और जिला पुलिस ने पोलमपाड़ में सुरक्षा कैम्प लगाने के बाद हालात बहुत बदल गए हैं। ग्रामीण अब भयमुक्त आवागमन कर सकते हैं। शासन की "नियद नेला नार" योजना के तहत पोलमपाड़ से रायगुड़म तक सड़क निर्माण भी जारी है. इस योजना का उद्देश्य आवागमन और आपूर्ति सुविधाओं को सुधारना है। ग्रामीणों ने प्रशासन और सुरक्षा बलों का आभार जताया जब बिजली बहाल हुई। लोगों ने कहा कि वे अब सरकार से अन्य बुनियादी सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और पीने का पानी भी चाहते हैं। लंबे समय तक भयभीत जीवन जीने वाले लोगों को अब उम्मीद की किरण दिखाई देती है।