The Chopal

Alcohol : नहीं होता ब्रांडेड व देसी शराब में अधिक फर्क, महंगी होने की बस यह हैं वजह

Wine : शराब भी कई तरह की होती है, अक्सर देसी और अंग्रेजी शराब की चर्चा होती है। लेकिन क्या आप इन दोनों में क्या अंतर है? खबर में इन्हें अलग-अलग बताया गया है।

   Follow Us On   follow Us on
Alcohol: There is not much difference between branded and country liquor, this is the only reason for it being expensive

The Chopal : यह जानने से पहले कि देसी शराब और अंग्रेजी शराब में क्या अंतर है या इसका उत्पादन कैसे होता है, आपको बता दें कि शराब को किसी भी रूप में पीना गलत है। लेकिन अंग्रेजी शराब पीने की आदत वाले लोग देसी शराब पीना पसंद नहीं करते। लेकिन जानकारों को हैरानी होगी कि देसी शराब और अंग्रेजी शराब में कोई विशिष्ट अंतर नहीं है. दोनों एक ही प्रक्रिया से बनाए जाते हैं। यह भी कहा जा सकता है कि देसी शराब को लोग अंग्रेजी शराब की तरह पीते हैं, सिर्फ एक छोटा सा हल्क है।

ये पढ़ें - UP के इस जिले में 3.5 लाख बिजली उपभोक्ताओं को मिली बड़ी राहत

देसी शराब और अंग्रेजी शराब के बारे में जानने से पहले आपको बताते हैं कि देसी शराब को कंट्री लिकर या आईएमसीएल कहा जाता है, जिसका मतलब है इंडिया मेड कमर्शियल लिकर. वहीं, भारत में अंग्रेजी शराब के नाम पर जो शराब बिकती है, उसे आईएमएफएल यानी इंडिया मेड फॉरेन लिकर कहा जाता है. बता दें कि देसी शराब भी सरकारी नियमों का पालन करते हुए बनाई जाती है, जो लाइसेंस की दुकान पर मिलती है. वहीं, देसी शराब ही अंग्रेजी शराब का शुरुआती फॉर्म हैं.

ऐसे में जानते हैं कि आखिर देसी शराब और अंग्रेजी शराब कैसे बनती है, जिसके बाद आप अच्छे से समझ पाएंगे कि आखिर दोनों में क्या अंतर होता है.

कैसे बनती है देसी शराब?

वैसे तो देसी शराब और अंग्रेजी शराब बनाए जाने का प्रोसेस लगभग एक जैसा ही है. देसी शराब एक तरह से प्योरिफाइड स्प्रिट या डिस्ट्रिल्ड होती है. आपको ये जानकार हैरान होगी कि देसी शऱाब बनाने वाली कंपनियां ही ये स्प्रिट अंग्रेजी शराब बनाने वाली कंपनियों को भेजती है. जिससे आप समझ सकते हैं कि अंग्रेजी शराब बनाने वाली कंपनियां भी देसी कंपनियों से ही शराब बनाने का बेसिक लिक्विड खरीदती हैं.

इसके बाद इसमें फ्लेवर आदि मिलाकर अंग्रेजी शराब बनाई जाती है. बता दें कि देशी शराब एग्रीकल्चर सोर्स के ड्रिस्ट्रिल्ड से बनती है, जिसका जिक्र शराब की बोतल पर भी होता है, जिसमें चावल, जौ आदि चीजें शामिल हैं. इससे ही एक लिक्विड तैयार किया जाता है, जो शराब बनाने का अहम सामान होता है. इसके अलावा देसी शराब में कोई फ्लेवर आदि का मिश्रण नहीं होता है, इसलिए यह सादा होती है. इसके अलावा इसमें सरकार की ओर से टैक्स में फायदा मिलता है और भारत में इसकी बिक्री काफी ज्यादा है.

कैसे बनती है अंग्रेजी शराब?

अंग्रेजी शराब को मतलब है कि बाहर की व्हिस्की आदि को भारत में बनाया जाता है, लेकिन भारत में इसकी प्रोसेस अलग होती है. पहले तो देसी शराब बनाए जाने वाले स्प्रिट आदि को खरीदा जाता है यानी देसी शराब से ही अंग्रेजी शराब मिलती है. इसके बाद इसमें स्कॉटलैंड की स्कोच इसमें अलग अलग मात्रा में मिलाई जाती है और इसमें कुछ फ्लेवर एड कर दिए जाते हैं. बस ये मिलाने के बाद इसे व्हिस्की आदि की शक्ल मिल जाती है. यानी देसी और विदेशी शराब को बनाने का तरीका लगभग एक ऐसा है.

ये पढ़ें - Father's Property Right : पिता को संपत्ति बेचने का क्या है अधिकार, 54 साल पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला

बता दें कि इसमें और चीजें एड करने की वदह से इसमें एल्कोहॉल की मात्रा भी अधिक हो जाती है और वो 40 फीसदी से अधिक पहुंच जाती है. इसके अलावा इसकी पैकिंग भी अलग होती है. ऐसे में पैकिंग, एल्कोहॉल, स्कॉच या फ्लेवर बढ़ने के साथ इसकी कीमत भी बढ़ जाती है. साथ ही सरकार की ओर से अंग्रेजी शराब पर टैक्स भी काफी ज्यादा लिया जाता है और यह इसकी कीमत को काफी ज्यादा बढ़ा देती है.