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Ancestral Property : पैतृक प्रोपर्टी में बस इतने समय तक मिलता हैं दावा करने वक्त, बाद में हाथ से जाएगी प्रोपर्टी

Ancestral Property Claim Time : किसी भी व्यक्ति को जमीन दो तरह से दी जाती है। पहला व्यक्ति खुद बनाता है, दूसरा पिता ने अपने पूर्वजों से प्राप्त करता है। पैतृक संपत्ति पर दावा करने का अधिकतम समय कब है? इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। तो चलिए बताते हैं, आइए जानते हैं।
 
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Ancestral Property : पैतृक प्रोपर्टी में बस इतने समय तक मिलता हैं दावा करने वक्त, बाद में हाथ से जाएगी प्रोपर्टी

The Chopal : लोग अक्सर संपत्ति संबंधी नियमों और कानूनों को नहीं जानते। इन सवालों में वह उलझे रहते हैं। संपत्ति संबंधी विवाद अक्सर जानकारी की कमी से होते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि लोग संपत्ति कानूनों का सामान्य ज्ञान रखें। पुश्तैनी संपत्ति भी ऐसा ही है। याद रखें कि पुश्तैनी संपत्ति चार पीढ़ियों तक दावा कर सकती है। इस दावे को समय मिलता है। इसके बाद पैतृक संपत्ति पर दावा करने का अधिकार समाप्त हो जाता है।

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अब लेख की मुख्य चिंता, पुश्तैनी संपत्ति पर दावा करने के लिए अधिकतम अवधि की ओर चलते हैं। कानून कहता है कि ऐसा केवल बारह वर्ष तक किया जा सकता है। 12 साल के अंदर कोई व्यक्ति कोर्ट में जाकर न्याय मांग सकता है अगर वह सोचता है कि किसी संपत्ति पर उसका पैतृक अधिकार है और उसे गलत तरीके से वसीयत से बाहर किया गया है। ऐसा करने में असफल होने पर उसका पुश्तैनी संपत्ति पर अधिकार खत्म हो जाएगा। इसके बाद, अगर व्यक्ति के पास पर्याप्त कारण है, तो कोर्ट उसकी सुनवाई करेगा या संपत्ति उसे छोड़ देगा।

क्या छिन सकता है पैतृक संपत्ति में अधिकार

नहीं, ऐसा करना आसान नहीं है. माता-पिता अपनी संतान को केवल अपनी कमाई हुई संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं. हालांकि, कुछ मामले ऐसे देखे गए हैं जब कोर्ट ने बच्चे को पैतृक संपत्ति से भी बेदखल करने की अनुमति दी है. परंतु, यह अपवाद होते हैं और इसमें कोर्ट कचहरी के काफी चक्कर लगते हैं. तब भी यह शत प्रतिशत तय नहीं होता कि कोर्ट का फैसला माता-पिता के पक्ष में चला ही जाएगा.

क्या होती है पुश्तैनी संपत्ति

आपके पिता, दादा या परदादा से मिली संपत्ति को पैतृक संपत्ति कहा जाता है. इसकी एक और शर्त ये है कि 4 पीढ़ियों तक परिवार में कोई अलगाव नहीं होना चाहिए. अगर एक भी पीढ़ी में घर में बंटवारा होता है तो संपत्ति पैतृक नहीं रह जाएगी. इसका मतलब है कि माता-पिता अपनी संतान को अब विरासत में मिली संपत्ति से भी बाहर कर सकते हैं. गौरतलब है कि विरासत में मिली हर संपत्ति पैतृक/पुश्तैनी नहीं होती है.

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