UP में है एशिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी, 11 गांवों की जमीन पर बना है विश्वविद्यालय
UP News : बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), जिसे हिंदी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय कहा जाता है, भारत ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया की सबसे बड़ी आवासीय यूनिवर्सिटियों में से एक है। यह विश्वविद्यालय सिर्फ शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का भी एक अहम हिस्सा है।

Uttar Pradesh News : प्रदेश में कई विश्वविद्यालय हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी विश्वविद्यालय कहां हैं?. उत्तर प्रदेश में एशिया की सबसे बड़ी विश्वविद्यालय भी है। यूनिवर्सिटी का इतिहास लंबा है। उत्तर प्रदेश की की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी के आगे ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी छोटी लगती है. इस विश्वविद्यालय के हिंदी और अंग्रेजी नाम भी हैं। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), जिसे हिंदी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है, एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना 4 फरवरी 1916 को वसंत पंचमी के दिन महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी।
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (BHU) उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी विश्वविद्यालय है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय भी इसका नाम है। इस विश्वविद्यालय की शिक्षा दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1916 में बनारस हिंदी विश्वविद्यालय बनाया था। यहाँ की इमारतें इंडो गोथिक वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। Banaras Hindu University करीब 1300 एकड़, या 5.3 किलोमीटर में फैला है। विश्वविद्यालय के कैंपस में हर साल करीब 30 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ाई पूरी कर अपने सपनों की ओर उड़ान भरते हैं.
हॉस्टल के कमरे भी बड़े हैं
यूपी के इस विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के लिए एक काफी बड़ा हॉस्टल भी बनाया गया है। Banaras University की स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय को जाता है। उन्हें विश्वविद्यालय बनाने के लिए यह जगह दान में मिली। बताया जाता है कि बनारस के काशी नरेश ने मदन मोहन को बताया कि एक दिन में जितना पैदल चलकर नाप लेंगे उतनी जगह विश्वविद्यालय के नाम कर दी जाएगी।
इतनी दूर चले
कहते हैं कि काशी नरेश ने मदन मोहन को इस विश्वविद्यालय की स्थापना के समय कहा था कि वह एक दिन में पैदल चलकर जितनी जमीन नाप लेंगे, उतनी जमीन विश्वविद्यालय के नाम कर दी जाएगी. इसके बाद मदन मोहन मालवीय दिन भर पैदल चले और करीब 11 गांव, 70000 पेड़, 1000 पक्के हुए, 20 कच्चे कुएं, 860 कच्चे घर और 40 पक्के मकान के साथ पूरी जमीन विश्वविद्यालय को मिल गई. इसी वजह से विश्वविद्यालय का परिसर इतना बड़ा है. कहा जाता है कि बनारस के राजा ने बीएचयू के निर्माण के लिए एक मंदिर और धर्मशाला को भी दान किया था.