चावल को लेकर सरकार का अब बड़ा फैसला, इस नए कदम से महंगाई से मिलेगा निजात

खाद्य मंत्रालय ने एक पत्र में कहा कि "बासमती चावल के लिए पंजीकरण एचं आवंटन प्रमाणपत्र की वर्तमान व्यवस्था 15 अक्टूबर, 2023 से अगले आदेश तक जारी रह सकती है।" गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों की एक समिति ने मौजूदा एमईपी को जारी रखने का फैसला किया, सूत्रों ने बताया। 

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Shock to Basmati exporters, condition of $1200 per ton will continue

The Chopal : केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है: अगले आदेश तक बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP-Minimum Export Price) 1,200 डॉलर प्रति टन ही रखेगा। 25 सितंबर को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ ऑनलाइन बैठक के बाद, एक्सपोर्टर इसे 850 से 900 डॉलर प्रति टन होने की उम्मीद कर रहे थे। एक्सपोर्टरों का कहना है कि इतनी भारी भरकम एमईपी से एक्सपोर्ट प्रभावित हो रहा है, और पाक हमारे बाजार पर दबाव डाल रहा है, क्योंकि उसके सस्ता बासमती चावल से उसकी मांग बढ़ गई है। सरकार ने इन बहसों को खारिज करते हुए इसे 900 डॉलर प्रति टन करने की मांग को खारिज कर दिया है।  

गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों की एक समिति ने मौजूदा एमईपी को जारी रखने का फैसला किया, सूत्रों ने बताया। खाद्य मंत्रालय ने एक पत्र में कहा कि "बासमती चावल के लिए पंजीकरण एचं आवंटन प्रमाणपत्र की वर्तमान व्यवस्था 15 अक्टूबर, 2023 से अगले आदेश तक जारी रह सकती है।"विरोधी इस फैसले से दुखी हैं। क्योंकि इससे निर्यात पर बुरा असर पड़ रहा है। सरकार चावल की महंगाई को नियंत्रित करने के लिए प्रयास कर रही है ताकि चावल का निर्यात कम से कम हो। 

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एमईपी राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने 25 अगस्त को कहा कि 1200 डॉलर की एमईपी की वजह से देश को काफी नुकसान हो रहा है। 25 अगस्त को एमईपी ने एक्सपोर्ट के लिए यह शर्त लगाई। भारत को टर्की के इस्तांबुल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय खाद्य प्रदर्शनी से कोई आदेश नहीं मिला। माना जाता है कि इतनी अधिक एमईपी की वजह से ऐसा हुआ। क्योंकि पाकिस्तान हमसे सस्ता बासमती बेच रहा है। भारत ने पिछले साल बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यात किया था। हमने चार लाख पांच हजार टन बासमती निर्यात की थी, जिसके बदले हमें 38500 करोड़ रुपये मिल गए। 

बासमती चावल निर्यातकों का कहना है कि बासमती चावल का आधा उत्पादन निर्यात किया जाता है, जो पहले निर्यात किया जाता था। जबकि बाकी आधा घरेलू खर्च है। इसका खाद्य सुरक्षा से कोई संबंध नहीं है क्योंकि यह प्रीमियम पर बेचा जाता है। प्राप्त सूत्रों के अनुसार, अक्टूबर 2022 से जनवरी 2023 तक बासमती चावल 998 से 1,048.82 डॉलर प्रति टन के भाव पर निर्यात हुआ है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद पद्मश्री विक्रमजीत सिंह साहनी ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर 1200 डॉलर की बासमती चावल एमईपी पर पुनर्विचार की मांग की है। लेकिन, सरकार अपने निर्णय पर अड़ी है। 

सरकार में कुछ लोगों का मानना है कि बासमती चावल की आड़ में गैर-बासमती सफेद चावल का अवैध निर्यात हो रहा था। सरकार ने 20 जुलाई से इस कैटेगरी के चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है, जिसका उद्देश्य घाटे को कम करना है। यह निर्णय ऐसी किसी भी आशंका को दूर करने और अवैध निर्यात को रोकने के लिए लिया गया था। 1,200 डॉलर प्रति टन से कम मूल्य वाले बासमती चावल को निर्यात नहीं करने का आदेश दिया गया।  केंद्र सरकार ने शुक्रवार को निर्णय लिया कि उबले चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क की व्यवस्था को 31 मार्च 2024 तक जारी रखेंगे। 

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