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Bharat Ratna: 35 रुपये की रिश्वत से पूरा थाना हो गया सस्पेंड, किसान बनकर पहुंचे थे थाने चौधरी चरण सिंह

Farmer leader Chaudhary Charan Singh : केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का फैसला किया है। लेकिन चौधरी चरण में भी ऐसा है। इससे पूरा थाना बंद हो गया।

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Bharat Ratna: 35 रुपये की रिश्वत से पूरा थाना हो गया सस्पेंड, किसान बनकर पहुंचे थे थाने चौधरी चरण सिंह

The Chopal : केंद्रीय मोदी सरकार ने तीन व्यक्तियों को भारत रत्न देने का फैसला किया है, जो पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण और किसान नेता हैं। इसमें हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन और पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव शामिल हैं। लोग चौधरी चरण सिंह को किसानों का उत्थान, सादा जीवन और सफल राजनेता के तौर पर जानते हैं। लेकिन उनसे जुड़े कई किस्से आज भी याद हैं। आपको चौधरी चरण के जीवन का एक ऐसा किस्सा बताते हैं जो किसानों के लिए हमेशा खड़ा रहता है। ऊसराहार थाने (अब औरेया में) के सभी पुलिस अधिकारियों को लापरवाही के आरोप में पद से हटा दिया गया। यह कहानी आपको फिल्मों से कम नहीं लगेगी।

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यह 1979 का है। उस समय ऊसराहार थाना इटावा जिले में था। शाम ढल चुकी थी। इस दौरान थाने में लड़खड़ाए एक बुजुर्ग किसान, चेहरे पर मायूसी लिए, बहुत मैले-कुचले कपड़े पहने हुए आता है। डर से वह पुलिसकर्मियों से बात नहीं कर पाया। और कोने में खड़ा हुआ था। उसके चेहरे पर बेचारगी और लाचारी स्पष्ट दिखाई देती थी। किसान भी अपनी बात कहने में हिचकिचा रहा था। उसे डर था कि पुलिस उसे बात सुने बिना थाने से बाहर निकाल सकती है। इसी दौरान किसान के पास एक सैनिक आता है। और परेशानियों को पूछता है। ऐसा क्यों खड़ा है थाने में? जिस पर किसान कहता है कि साहब किसी ने मेरी जेब काट ली है। और अब मेरे पास बिल्कुल भी पैसे नहीं हैं। मेहरबानी करके मेरी रिपोर्ट लिख लीजिए।

जिस पर पुलिस ने सवाल पूछा कि क्या सबूत है कि आपकी जेब किसी ने काटी है? यह भी हो सकता है कि आपके पैसे गिर गए हैं या आपने ही खर्च किए हैं। बीवी के डर से आप अब जेब कटने का बहाना बना रहे हैं। जवाब में किसान ने बताया कि वह मेरठ से इटावा में बैल खरीदने आया था। जेब में भी बहुत सारे पैसे थे। लेकिन मेरी जेब किसी ने काट दी। और उसी पर रिपोर्ट लिखने आया है। जवाब में पुलिसकर्मी ने कहा कि मेरठ से इटावा बैल खरीदने आने की क्या आवश्यकता थी। बैल वहाँ भी होते। जिस पर किसान ने बताया कि वह अपने रिश्तेदार के यहां इटावा में आया था।  सिपाही ने कहा कि ये भी तो हो सकता है कि तुम नाटक कर रहे हो

कुल मिलाकर, पुलिस अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट नहीं होगी। लंबी बातचीत के बाद भी किसान सिर लटकाकर एक जगह बैठ गया। उस समय एक और सैनिक उसके पास आता है। वह कहता है कि रिपोर्ट लिखनी चाहिए, लेकिन जेब ढीली करनी चाहिए। जिस पर कृषक ने कहा कि मेरी जेब पहले से ही कट गई है। साथ ही मैं बहुत गरीब हूँ। मैं कुछ भी देने के लिए नहीं है। रिपोर्ट लिखी जाती अगर मदद मिलती। लंबी बातचीत के बाद 35 रुपये पर सौदा हुआ। इसके बाद रिपोर्ट लिखने की प्रक्रिया शुरू हुई। पुलिसकर्मी ने फिर अंगूठा लगाने के लिए स्याही का पैड और एक पेन आगे बढ़ाया। 

लेकिन जब किसान ने मैले कुर्ते की जेब से मुहर निकालकर स्याही के पैड पर लगाकर कागज पर ठप्पा लगाया, तो सैनिकों का भी होश फख्ता हो गया। मुहर पर प्रधानमंत्री, भारत सरकार का नाम छपा था और साइन पर नाम चौधरी चरण सिंह लिखा था। जब पुलिस को पता चला कि प्रधानमंत्री किसान के वेष में थाने पहुंचे हैं। तो जमीन उनके पैरों तले खिसक गई। पूरे थाने में सन्नाटा छा गया। घटना की सूचना मिलते ही पूरे जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीधे थाने पर पहुंच गए। बाद में पूरे थाने को घूस देने और लापरवाही बरतने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया। 

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वास्तव में चौधरी चरण सिंह की प्रधानमंत्री पद की शुरुआत में तब यूपी के किसानों ने पुलिसिया अत्याचार और छोटे कामों के लिए घूस लेने की शिकायत की। और प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को पत्र लिखकर सूचित करते थे। बाद में चौधरी चरण सिंह ने सीधे पुलिस थाने पहुंचकर गरीब बुजुर्ग किसान की पोशाक पहनी थी। बाद में किसानों की शिकायत सही निकली। 

23 दिसंबर 1902 को मेरठ के बाबूगढ़ के नूरपुर गांव में भारत रत्न चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था। और बचपन भी गरीब था। 1940 के सत्याग्रह आंदोलन के दौरान चौधरी चरण सिंह भी जेल गए थे। देश की आजादी के बाद कांग्रेस सरकार में राजस्व मंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति थे। फिर 1967 और 1970 में दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। भारत रत्न देने का निर्णय किसानों के उत्थान और संघर्ष के लिए चौधरी चरण सिंह केंद्र सरकार ने लिया है।