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UP के इस जिले में प्रॉपर्टी मालिकों को बड़ी राहत, जीपीए से ट्रांसफर हुए घर-प्‍लॉट वाले अब करवा सकेंगे रजिस्‍ट्री

UP News : मौजूदा नियमों के अनुसार, केवल पहले जीपीए धारक द्वारा किए गए ट्रांसफर मान्यता पाते हैं। अब ऐसी संपत्ति की रजिस्ट्री को भी अनुमति देने की तैयारी की जा रही है जो कई जीपीए से ट्रांसफर की गई है।

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UP के इस जिले में प्रॉपर्टी मालिकों को बड़ी राहत, जीपीए से ट्रांसफर हुए घर-प्‍लॉट वाले अब करवा सकेंगे रजिस्‍ट्री

Uttar Pradesh News : नोएडा प्राधिकरण, जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) से कई बार प्राप्त हुए रिहायशी प्लॉट और फ्लैट्स की रजिस्ट्री की अनुमति देने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए प्राधिकरण एक नई नीति बना रहा है। इस नीति का उद्देश्य संपत्ति के स्वामित्व को वैध बनाना है और राज्य सरकार और प्राधिकरण को हुए राजस्व नुकसान की भरपाई करना है। गुरुवार को हुई बोर्ड मीटिंग में अधिकारियों ने कहा कि यह नीति संपत्ति मालिकों को लंबे समय से परेशान कर रही कानूनी अनिश्चितताओं को दूर कर सकती है। इस प्रस्ताव को जल्द ही प्राधिकरण सरकार को सौंपेगा।

Air Force National Housing Board की रिपोर्ट में बताया कि जलवायु विहार के सेक्टर 21 और 25 में लगभग 730 संपत्तियां जीपीए पर आधारित हैं, जिनमें से 200 से अधिक में कई जीपीए हैं। अधिकारियों का अनुमान है कि शहर में ऐसे हजारों मामले हो सकते हैं। प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ने समस्या को गंभीर बताते हुए कहा कि इसे सुलझाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।

10% और 15% की लागत होगी

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान नियम केवल पहले जीपीए धारक (2.5% से 5% तक) द्वारा किए गए ट्रांसफर को मान्यता देते हैं। लेकिन, बाद में जीपीए ट्रांसफर के लिए कोई प्रावधान नहीं है, जिससे कई संपत्ति कानूनी उलझन में फंसी हुई हैं। नई नीति के अनुसार, पहले ट्रांसफर की लागत 2.5% से 5% तक रहेगी, जबकि दूसरे और तीसरे जीपीए ट्रांसफर पर 10% और 15% की लागत होगी। इसके बाद प्रत्येक ट्रांसफर पर पांच प्रतिशत की वृद्धि होगी। यह प्रस्ताव 2003 की एक नीति का विस्तार है, जो जीपीए ट्रांसफर को वैध बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी।

उस समय पहले, एक वकील को 30%, दूसरे को 60%, और तीसरे को 90% संपत्ति मूल्य देना था। 2003 तक, यह नीति प्रभावी रही और जनता की मांग पर कई बार बढ़ा दी गई। अधिकारियों का मानना है कि नई नीति संपत्ति धारकों को कानूनी रूप से सुरक्षित करेगी और विवादों को हल करने और राजस्व को बढ़ाने में मदद करेगी। सैकड़ों परिवारों को राहत मिलेगी और संपत्ति प्रशासन में सुधार होगा।