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UP में जमीन रिकार्ड को लेकर बड़ी अपडेट, अब शहरों का भी होगा गांवों की तरह नक्शा

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार अब गांवों की तर्ज पर शहरों (शहरी क्षेत्रों) में भी भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण और भू-नक्शा तैयार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। यूपी में गांवों की तरह शहरों का भी जमीन रिकॉर्ड बनाया जाएगा। जमीन का नक्शा बनेगा। पायलट प्रोजेक्ट में दस निकाय हैं। इससे धोखाधड़ी और मालिकाना निर्धारण पर रोक लगेगी।

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UP में जमीन रिकार्ड को लेकर बड़ी अपडेट, अब शहरों का भी होगा गांवों की तरह नक्शा

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में गांवों की तरह शहरों का भी भूलेख बनाया जाएगा। इसमें केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए नक्शा पायलेट कार्यक्रम में राज्य के दस निकाय शामिल हैं। इससे मालिकाना हक और संपत्ति के हस्तांतरण में धोखाधड़ी रुक जाएगी। सोमवार को राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग के सचिव मनोज जोशी ने ये जानकारियां दीं। केंद्रीय सचिव ने उत्तर प्रदेश में डिजिटल इंडिया भूमि रिकार्ड माडर्नाइजेशन प्रोग्राम (DILRMP) और शहरी क्षेत्रों के भूमि रिकार्ड बनाने के कार्यक्रम में बनाया जा रहा "नक्शा" देखा।

शहरी भूमि का एक व्यापक एकीकृत डेटाबेस

उनका कहना था कि पहले चरण में देश के 27 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 157 शहरी स्थानीय निकायों में शहरी क्षेत्रों की जमीन का रिकार्ड बनाया जा रहा है। इसमें यूपी के दसवीं निकाय शामिल हैं। इसके शहरी क्षेत्रों में टांडा अंबेडकरनगर, नवाबगंज बाराबंकी, अनूपशहर बुलंदशहर, चित्रकूटधाम, गोरखपुर, हरदोई, झांसी, चुनार मिर्जापुर, पूरनपुर पीलीभीत और तिलहर शाहजहांपुर शामिल हैं। इन निकायों में हवाई और क्षेत्र सर्वेक्षण करके शहरी भूमि का एक व्यापक एकीकृत डेटाबेस बनाया जा रहा है।

प्रदेश की लगभग 22.27 प्रतिशत जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में रहती है, उन्होंने बताया। 2031 तक शहरी जनसंख्या लगभग 40% हो जाएगी, ऐसा अनुमान है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में टैक्स वसूलने के लिए जो भी जमीन दर्ज की गई है, वह मालिकाना हक निर्धारण के लिए पर्याप्त नहीं है। नक्शा कार्यक्रम में तैयार शहरी भूमि रिकॉर्ड से मालिकाना हक सहित भूमि की स्थिति स्पष्ट होगी। इससे शहरी परिसंपत्तियों के लेन-देन में धोखाधड़ी पर रोक लगेगी और विवादों में न्यायिक कार्यवाही में आसानी होगी।

नक्शा तैयार होने के बाद जनसंख्या घनत्व के अनुसार अवस्थापना सुविधाएं देना आसान होगा, उन्होंने कहा। टैक्स वसूली, आपदा तैयारी और निजी निवेश में सुविधा होगी। केंद्रीय अधिकारियों ने चयनित दस शहरी निकायों के नोडल अधिकारियों के साथ इसे बनाने में आने वाली जमीनी चुनौतियों पर भी चर्चा की। बैठक में कुनाल सत्यार्थी, केंद्रीय मंत्रालय के संयुक्त सचिव भूमि संसाधन विभाग ग्रामीण विकास, प्रमुख सचिव-राजस्व, स्टांप एवं निबंधन, आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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