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Buildings Construction : जब देश में नहीं था सीमेंट, जानें कैसे बनते थे मजबूत घर व किले

Historical Places Construction: सीमेंट का आविष्कार सन 1824 में हुआ था, लेकिन ऐतिहासिक इमारतें (historical buildings) तो इससे काफी पुरानी हैं. फिर इनको बनाने के लिए किस चीज का इस्तेमाल किया गया था?
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Buildings Construction: When there was no cement in the country, know how strong houses and forts were built

The Chopal, Construction : अपना देश ताजमहल, कुतुबमीनार, लाल किला, हुमायूं का मकबरा, इमामबाड़ा, हवा महल जैसे बहुत सारे ऐतिहासिक स्थलों से भरा हुआ है. यहां पर हर महल, हर किले और हर ऐतिहासिक इमारत की अपनी ही एक कहानी है. इन सभी ऐतिहासिक इमारतों में एक बात जो कॉमन है वह है इनकी मजबूती. इतनी पुरानी होने के बावजूद, आज भी इनकी मजबूती बरकरार है. आज हम अपना घर बनाने के लिए ईंट, सीमेंट और सरिया आदि चीजों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इतिहास में तो सीमेंट बहुत बाद में आया था. फिर इन इमारतों को बनाने के लिए किस चीज का इस्तेमाल किया गया था? अगर आप भी इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो पढ़ते रहिए इस लेख को.. 

सीमेंट का प्रयोग सबसे पहले इंग्लैंड के जोसेफ आस्पडिन (Joseph Aspdin) नाम के अंग्रेज वैज्ञानिक ने 1824 ई. में किया था. जोसेफ ने अपने इस आविष्कार का नाम पोर्टलैण्ड सीमेंट रखा था, क्योंकि उनका यह सीमेंट पोर्टलैंड में पाए जाने वाले चूना प्रस्तरों से काफी हद तक समानता प्रदर्शित करता था. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि ताजमहल सहित अपने देश की अन्य सभी ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण सीमेंट की खोज से पहले हो गया था.

ताजमहल है सैंकड़ों साल पुराना

ऐतिहासिक इमारतों में अगर अपने देश की वर्ल्ड फेमस और दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल की ही बात करें तो यह सैंकड़ों साल पुराना है लेकिन आज भी इसकी चमक फीकी नही हैं. आज भी यह बड़ी मजबूती से अपने स्थान पर खड़ा है. अब सवाल यह उठता है कि जब उस समय तक सीमेंट नहीं बना था तो इन्हे बनाने में कलाकारों ने किस चीज का इस्तेमाल किया था? तो आइए जानते हैं कि उस समय इमारतों को बनाने के लिए किन चीजों का इस्तेमाल हुआ करता था और ताजमहल में पत्थरों को चिपकने के लिए किस चीज का इस्तेमाल हुआ था.

कैसे चिपकाए गए थे संगमरमर के पत्थर?

आजकल मार्बल या ईंटें चिपकाने के लिए कई तरीके मौजूद हैं. हालांकि, पुराने समय में इसके पत्थरों को चिपकाने के लिए या आधारशिला बनाने के लिए एक खास तरह का मैटेरियल तैयार किया गया था. द कंस्ट्रक्टर डॉट ओआरजी के एक आर्टिकल के मुताबिक, ताजमहल की नींव के लिए अलग से एक 'सरूज' नामक घोल बनाया गया था. यह चिकनी मिट्टी, लाइन आदि से बनाया जाता है. इसके अलावा इसमें गुड़, चीनी, दालें, राल, गोंद आदि भी इसमें मिलाय गया था. आज इतने सालों बाद कई भी ताजमहल भूकंप, तूफान, बारिश, धूप, गर्मी, सर्दी का मुकाबला कर अपनी जगह मजबूती से खड़ा है.

किन चीजों से चिपकाए जाते थे पत्थर?

आज के समय में मकान बनाने के लिए जिस सामग्री का इस्तेमाल होता है उसकी उम्र ही 50 से 60 साल होती है. लेकिन पुराने समय में बनाए गए महल किलों में पत्थर का इस्तेमाल किया जाता था. पत्थर की उम्र ईंट कंक्रीट आदि से ज्यादा होती है और इसमें धूप बारिश आदि को सहने की क्षमता भी अधिक होती है. पुराने समय में महल, किले या किसी भी अन्य इमारत के निर्माण कार्य में पत्थरों को चिपकाने के लिए जानवरों की हड्डियों का चूरा, पत्थर, बांस, धातु, चूने का पाउडर, वृक्षों की छाल, उड़द की दाल का चूरा और अन्य आसानी से मिल जाने वाले पदार्थों के मिश्रण का इस्तेमाल किया जाता था.

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