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Business Idea : यह फसल 120 दिन में कर देगी मालामाल, लाखों रुपए होगी कमाई

Ashwagandha Farming Business : अगर आप भी कोई बिजनेस करने का प्लान बना रहे है, तो आज हम आपके लिए शानदार बिजनेस आइडिया लेकर आए है। जो आपको काफी फायदा देने वाला है। आप अश्वगंधा का बिजनेस करके तगड़ा मुनाफा कमा सकते है। इस फसल को उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जिलों में सबसे अधिक की जाती हैं। 

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Business Idea :  यह फसल 120 दिन में कर देगी मालामाल, लाखों रुपए होगी कमाई

The Chopal, Ashwagandha Farming Business : तकनीक के इस दौर में खेती बाड़ी करके तगड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। आज के समय में बहुत से उन्नत किसान खेती करके तगड़ा मुनाफा कमा रहे है। भारतीय किसानों का रुझान सबसे अधिक नकदी और औषधीय फसलों की तरफ बढ़ रहा हैं।क्योंकि परंपरागत फसलों की खेती से किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। नगदी फसलों की खेती करके किसान तगड़ा मुनाफा कमा रहे है। अगर आप भी किसी बम्पर कमाई वाली नगदी फसल की तालश में है। तो आज हम आपके लिए शानदार नकदी फसल लेकर आए है। 

आज हम आपको अश्वगंधा की खेती के बारे में बता रहे हैं। अश्वगंधा की खेती से किसान बहुत कम समय में जबरदस्त फायदा उठा सकते हैं। हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, केरल, आंध्र प्रदेश और जम्मू कश्मीर में अश्वगंधा की खेती की जाती है। इस फसल को खारे पानी में भी उगाया जा सकता है। 

अश्वगंधा की खेती का आसान तरीका 

अश्वगंधा की खेती का सबसे सही समय सितंबर से अक्टूबर तक का होता है। अच्छी फसल के लिए मौसम शुष्क और जमीन में नमी जरूरी होती है। रबी के मौसम में बारिश फसल को बेहतर बनाती है। जैविक खाद खेत में जुताई के करते समय ही डाल दी जाती है। 10-12 किलो बीज प्रति हेक्टेयर बुवाई के लिए जरूरी होता है। बीज लगभग सात से आठ दिनों में अंकुरित होता हैं। लाल मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए बढ़िया हैं। जिस मिट्टी का पीएच 7.5 से 8 तक रहता है, वह से बढ़िया उत्पादन मिलता है। पौधों के अच्छे विकास के लिए 20-35 डिग्री तापमान और 500-750 एमएम वर्षा जरूरी है। जनवरी से मार्च तक कटाई का समय होता है

धान-गेहूं से कितना मिलता है फायदा 

अश्वगंधा की फसल को सबसे प्रसिद्ध जड़ी बूटियों में से माना जाता है। अश्वगंधा को तनाव और चिंता को कम करने में सबसे बढ़िया माना जाता है। अश्वगंधा के कई उपयोगों के कारण इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। अश्वगंधा के फल, बीज और छाल से कई प्रकार की दवाइयां भी बनती हैं। धान, गेहूं और मक्का की खेती से 50 प्रतिशत तक अधिक फायदा इसकी खेती से मिल सकता है।

यही कारण है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के किसान भी अश्वगंधा की बड़ी मात्रा में खेती कर रहे हैं। घोड़े की गंध अश्वगंधा की जड़ से आती है। यही कारण है कि इसे अश्वगंधा कहा जाता है। अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक फसल है। यह एक झाड़ी का पौधा है। इसे कैश क्रॉप भी कहते हैं क्योंकि इसमें मूल्य से कई गुना लाभ होता है।