Connaught Place: कौन हैं कनॉट प्लेस का मालिक, माना जाता हैं दिल्ली का दिल
Connaught Place Interesting Facts: कनॉट प्लेस दिल्ली का दिल है अगर दिल वालों की बात है। यहां हर विश्वस्तरीय सुविधा उपलब्ध है। 30 हेक्टेयर में फैला कनॉट प्लेस खरीदारों के लिए आदर्श जगह है, जबकि ड्रीम प्लेस भी कर्मचारियों के लिए आदर्श जगह है। ज्यादातर लोग कनॉट प्लेस के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते। आइये आपको दुनिया की सबसे महंगी जगहों में से एक, कनॉट प्लेस के बारे में दिलचस्प बातें बताते हैं।
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कनॉट प्लेस का संक्षिप्त नाम सीपी है। यह दिल्ली का सबसे सच्चे अनुभव देता है। यह स्थान शहर के केंद्र में स्थित है, जो जॉर्जियाई वास्तुकला की अद्भुत सुंदरता को प्रदर्शित करता है। CP मार्केट दुनिया में सबसे महंगा है, न सिर्फ भारत में। यहां प्रति वर्ग फुट औसत किराया 9,000 रुपये से अधिक है। रिपोर्टों के अनुसार, CPX विश्व के शीर्ष दस सबसे महंगे बाजारों में से एक है।
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CP एक समय में सबसे महंगा बाजार था, जिसमें न्यूयॉर्क, सेंट्रल लंदन और मिडटाउन मैनहट्टन सबसे पहले थे। CP में कई सरकारी कार्यालय और बैंकों के अलावा प्रसिद्ध मीडिया घराने भी शामिल हैं। यह शहर का प्रमुख केंद्रीय व्यापार जिला है और व्यापार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का केंद्र है। कनॉट प्लेस में जॉर्जियाई शैली की वास्तुकला भी है। यहां इनर सर्कल को सात सड़कें जोड़ती हैं। जनपथ रोड सबसे लोकप्रिय है, बाजार में 12 सड़कें हैं।
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सेंट्रल पार्क सीपी का एक और बड़ा आकर्षण है। CP अब केंद्र में हरा-भरा पार्क की विरासत है। यह दावा करता है कि यह देश का सबसे ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज है। 207 फीट ऊंचा और 60 फीट चौड़ा यह झंडा लगभग 37 किलोग्राम वजन का है। देश का सबसे बड़ा और सबसे ऊंचा झंडा यह है। दर्शक इस झंडे से देशभक्ति और गर्व महसूस करते हैं।
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अब किराय की बात करेंगे। पुराने दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम, 1958 के बाद, सीपी में कई घरों का किराया मासिक 3,500 रुपये से कम है। ऐसी संपत्तियों का किराया आज लाखों में है। लेकिन अधिनियम मकान मालिकों को 10 प्रतिशत से अधिक प्रतिवर्ष किराया बढ़ाने से रोकता है। जिन्होंने भारत की आजादी से पहले अपनी संपत्ति रखी थी। जिससे संपत्ति मालिकों को अभी एशिया के सबसे महंगे बाजार में किराये की कमाई मिलती है।
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मीडिया के अनुसार, कनॉट प्लेस में कई मालिक हैं। भारत सरकार वास्तव में कनॉट प्लेस का मालिक है। गौर करने वाली बात यह है कि यहां स्टारबक्स, पिज़्ज़ा हट और वेयरहाउस कैफे जैसी बड़ी कंपनियों और बड़े बैंकों के कार्यालय हैं। इनसे हर महीने लाखों रुपये वसूले जाते हैं। सीधे शब्दों में, स्थानों के मूल मालिकों को केवल कुछ हजार रुपये का किराया मिलेगा, जबकि किरायेदार करोड़ों रुपये कमा रहे हैं।