UP और बिहार के 313 गांवों की होगी बल्ले-बल्ले, जल्द शुरू होगा 568 किमी के नए एक्सप्रेसवे का निर्माण
UP News : उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों को राहत मिली है। इस प्रोजेक्ट से उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वांचल और बिहार तक 313 गांवों की जमीनों की कीमतों में तेजी से उछाल आने का अनुमान है। निर्माण को तेज करने के लिए बोली लगने के बाद जल्द ही जमीन अधिग्रहण भी शुरू हो जाएगा।
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ सालों में निरंतर एक्सप्रेस वे निर्माण कार्यों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है। प्रदेश में एक्सप्रेस वे को लेकर 100 मीटर की चौड़ाई में जमीन अधिग्रहण किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट से उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वांचल और बिहार तक 313 गांवों की जमीनों की कीमतों में तेजी से उछाल आने का अनुमान है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से यह एक्सप्रेसवे शुरू होगा और बिहार के आठ जिलों से होकर आगे पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक पहुंचेगा। उत्तर भारत से लेकर पूर्वोत्तर के बीच कनेक्टिविटी इस नई एक्सप्रेस वे के बनने के बाद सुगम होगी। इस मार्ग से युवाओं को निर्माण कार्य और अन्य जुड़े क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर मिलने लगेंगे।
एक्सप्रेसवे परियोजनाओं की घोषणा
उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों को राहत मिली है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने आगामी वित्त वर्ष 2025–26 के लिए 3.4 लाख करोड़ रुपये की लागत से 124 नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे परियोजनाओं की घोषणा की है। कुल 6,376 किलोमीटर की इन परियोजनाओं के लिए जल्द ही निविदा प्रक्रिया शुरू की जाएगी। गोरखपुर-किशनगंज-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे को लेकर एक सौभाग्यपूर्ण खबर है। NHAI इस परियोजना के लिए जल्द ही निविदा प्रक्रिया शुरू करेगा, जिसके बाद इस एक्सप्रेसवे का काम शुरू होगा।
100 मीटर की चौड़ाई में होगा जमीन अधिग्रहण
निर्माण को तेज करने के लिए बोली लगने के बाद जल्द ही जमीन अधिग्रहण भी शुरू हो जाएगा। 6 लेने के लिए गोरखपुर-किशनगंज-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के लिए 100 मीटर की चौड़ाई में जमीन अधिग्रहण होगा। गोरखपुर–किशनगंज–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे, जिसकी लंबाई लगभग 568 किलोमीटर होगी, भी इस महत्वाकांक्षी परियोजना में शामिल है। हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल (HAM) के तहत यह परियोजना बनाई जाएगी, इसलिए बोली प्रक्रिया के तुरंत बाद निर्माण शुरू हो सकेगा।
पूर्वोत्तर से जुड़ाव मजबूत होगा
यह नया राजमार्ग पूर्वोत्तर भारत और उत्तर भारत के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा। यह मार्ग उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से शुरू होकर बिहार के आठ जिलों पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज से होकर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक पहुंचेगा।
313 गाँवों की लगेगी लॉटरी
गंडक, बागमती और कोसी नदियों पर भी आधुनिक पुलों का निर्माण इस परियोजना के तहत किया जाएगा। यह राजमार्ग बिहार और गोरखपुर के आठ जिलों के साथ ही 13 प्रखंडों और 313 गांवों से सीधा गुजरेगा, जिससे यहां विकास और औद्योगिकरण में तेजी आएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस एक्सप्रेसवे से न केवल आवागमन आसान होगा, बल्कि व्यापार, उद्योग और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, इन जिलों में जमीन की कीमतों में तेजी आने की संभावना है, जिससे स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ मिलेगा।
कम समय में रास्ता मिलेगा
फिलहाल, किशनगंज से गोरखपुर की यात्रा बारह से चौबीस घंटे लगती है। लेकिन राजमार्ग बनाने के बाद यह दूरी लगभग छह से सात घंटे में पूरी की जा सकेगी। यात्रियों को समय बचेगा और मालवाहन खर्च कम होगा। इस बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के चलते एक्सप्रेसवे के आसपास निवेश और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। स्थानीय युवाओं को निर्माण और संबंधित क्षेत्रों में नौकरी मिलने की उम्मीद है।सरकार का मानना है कि यह राजमार्ग उत्तरी भारत और पूर्वोत्तर भारत के बीच एक नया आर्थिक गलियारा बनकर विकसित होगा, जो क्षेत्रीय विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
