The Chopal

Court Decision : अगर घर में बहु की चिक-चिक नहीं होती बंद, तो सास-ससुर ले सकते है यह फैसला

Court Decision :घरेलू हिंसा के कई मामले आपने सुने होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सास-ससुर के पास क्या अधिकार हैं अगर घर की बहू गलत काम करती है? 

   Follow Us On   follow Us on
Court Decision : अगर घर में बहु की चिक-चिक नहीं होती बंद, तो सास-ससुर ले सकते है यह फैसला 

The Chopal, Court Decision : दिल्ली हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा के एक मामले में महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि...‘झगड़ालू प्रवृत्ति की बहू को संयुक्त घर में रहने का कोई अधिकार नहीं है और संपत्ति के मालिक उसे बेदखल कर सकते हैं।’फैसले की इस पंक्ति को पढ़कर आपको लगता है कि मामला सास-बहू की लड़ाई (fight between mother-in-law and daughter-in-law) का था, लेकिन वास्तव में यह पति-पत्नी के बीच झगड़ा था, जिसमें 69 साल की सास और 74 साल के ससुर को न चाहते हुए भी बीच में आना पड़ा।

अब आप कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के जवाब जानते हैं:

1. पूरा मामला क्या था?

जवाब: मामला पति-पत्नी का विवाद था।

पति-पत्नी अक्सर लड़ते थे। पत्नी ने पति के खिलाफ शिकायत की। साथ ही पत्नी ने लोअर कोर्ट में मुकदमा दर्ज किया। बेटे-बहू के दैनिक विवाद ने सास-ससुर को परेशान कर दिया था। जब बेटा घर छोड़कर किराए के घर में चला गया, तो बहू अपने बुजुर्ग सास-ससुर के खिलाफ खड़ी रही।
वह अपने घर से बाहर नहीं जाना चाहती थी। वहीं, अपनी बहू को घर से बाहर निकालना चाहते थे सास-ससुर। इसके लिए ससुर भी कोर्ट गया था।
 
सवाल 2: बहू को घर से बाहर निकालने के बाद कहां जाएगी?
जवाब: ससुराल वाले ही दूसरे स्थान पर रहने की व्यवस्था करेंगे।

ये पढ़ें - उत्तर प्रदेश के इस जिले के 16 नए मार्गों पर फर्राटा भरेगी UP रोडवेज की बसें, पड़ोसी जिलों की जनता होगी निहाल

घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 19(1) (F) के तहत, मौजूदा मामले में, शादीशुदा बहू को दूसरा घर दिया जाएगा। यह स्पष्ट है कि सास-ससुर बहू को घर से बाहर निकाल रहे हैं अगर तलाक नहीं हुआ है। यह सुसराल वालों की जिम्मेदारी होगी।
 
सवाल 3: क्या बहू के सास-ससुर संपत्ति से छूट सकते हैं?
जवाब: हां, आप ऐसा कर सकते हैं।

Delhi High Court के जज योगेश खन्ना ने कहा कि संयुक्त परिवार के घर में संबंधित संपत्ति के मालिक बहू को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने मामले में निर्णय दिया था कि घरेलू हिंसा से पीड़ित पत्नी को सिर्फ पति के माता-पिता (सास-ससुर) के घर में रहने का कानूनी हक है, लेकिन पत्नी को अपने पति के बनाए घर में रहने का अधिकार नहीं होगा।
 
सवाल 4—दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या निर्णय लिया?
जवाब: बहू की अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया। सास-ससुर के पक्ष में निर्णय लिया गया था। कोर्ट ने निर्णय दिया कि बुजुर्ग सास-ससुर को स्वतंत्र जीवन जीने का हक है। उन्हें खुशी के लिए बहू को घर से बाहर निकाल सकते हैं। संयुक्त परिवार में, संपत्ति के मालिक बहू को अपनी संपत्ति से भी छीन सकते हैं।

हालाँकि, 2016 में ससुर ने अपने घर के अधिग्रहण के लिए लोअर कोर्ट में मुकदमा दर्ज करवाया था जब बहू ने संपत्ति का दावा किया था। जिसमें कहा गया है कि वे पूरी संपत्ति के मालिक हैं और उनका बेटा, बहू का पति, दूसरे स्थान पर रहने लगा है। वहीं, बुजुर्गों का कहना है कि उनकी पत्नी हर समय लड़ती है, इसलिए वे उसके साथ नहीं रहना चाहते।

घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा-19 के तहत आवास का अधिकार संयुक्त घर में रहने का एक जरूरी अधिकार नहीं है, कोर्ट ने निर्णय दिया। विशेष रूप से जब एक बहू अपने बुजुर्ग सास-ससुर के खिलाफ खड़ी होती है। 

ये पढ़ें - UP News: उत्तर प्रदेश के इस जिले में बनेगी इंडस्ट्रियल सिटी, 33 गांवों की जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया हुई शुरू