DA Hike : केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को लेकर फिर मिला तगड़ा झटका, अब बस इतनी बढ़ेगी सैलरी
DA Hike :महंगाई भत्ता हाल ही में केंद्रीय सरकार ने बदल दिया है। इस संशोधन ने कर्मचारियों को बहुत पीछे छोड़ दिया। कर्मचारियों को उनकी सैलरी में उम्मीद के अनुरूप इजाफा नहीं मिलने से निराशा हुई। महंगाई भत्ता (DA Hike) एक बार फिर कर्मचारियों को परेशान कर रहा है।

The Chopal, DA Hike Update: केंद्रीय सरकार हर छह महीने में कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को बदलती है। ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आंकड़े महंगाई भत्ते में बदलाव का आधार हैं।
कर्मचारियों को हाल ही में केंद्र सरकार ने महंगाई भत्ते में 2% की बढ़ोतरी से निराशा हुई है। कर्मचारियों को कम से कम तीन प्रतिशत का वेतन मिलना चाहिए था। महंगाई भत्ता एक बार फिर कर्मचारियों को परेशान कर रहा है।
महंगाई भत्ता की कमी का कारण
1 जनवरी 2025 से केंद्रीय कर्मचारियों को नया महंगाई भत्ता मिलेगा। ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आंकड़ों के आधार पर महंगाई दर में बदलाव किया गया है। महंगाई भत्ता (DA Hike) में बढ़ोतरी में कमी का कारण यही आंकड़े हैं।
वास्तव में, दिसंबर के आंकड़ों में खेल हुआ और महंगाई में 0.8 अंक की कमी हुई। 143.7 अंक का सूचकांक डेटा श्रम ब्यूरो ने जारी किया था।
एक जुलाई 2025 से कर्मचारियों के डीए में बढ़ोतरी होनी चाहिए। वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों में डीए की वृद्धि दर दो या उससे कम रह सकती है, न कि तीन या चार प्रतिशत तक पहुंच सकती है। अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (औद्योगिक श्रमिक) और महंगाई दर (DA Hike) की गिरावट इसकी मुख्य वजह हैं। हालाँकि, अभी दो महीने की रिपोर्ट जारी की गई है। जुलाई में अंतिम डेटा जारी किया जाएगा।
56% का अनुमान था
केंद्रीय कर्मचारियों ने जनवरी 2025 से उन कम महंगाई भत्ता को 56% बढ़ाने की उम्मीद की। जबकि केंद्रीय सरकार ने महंगाई भत्ता (DA Hike) को सिर्फ दो प्रतिशत बढ़ा दिया। जिससे कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 53 प्रतिशत से 55 प्रतिशत हो गया। महंगाई भत्ता एक प्रतिशत गिर गया।
कर्मचारियों को फिर से झटका
जुलाई 2025 से केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाया जाएगा। यद्यपि कर्मचारियों को 2025 के जुलाई में महंगाई भत्ते (DA Hike) में कम से कम तीन से चार प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद है, कर्मचारियों को इससे भी नुकसान उठाना पड़ेगा।
कुछ आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के प्रारंभिक आंकड़ों ने कर्मचारियों को निराश कर दिया है।
दीवाली पर 3% की वृद्धि हुई
कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में जुलाई 2024 से 3% की बढ़ोतरी की गई। 7वें वेतन आयोग ने DA Hike (महंगाई भत्ता) और महंगाई राहत को लागू किया था। कुल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक इसकी गणना करता है।
कर्मचारियों को पांच महीने में खुशी, छठे महीने में निराशा
जुलाई 2024 से दिसंबर 2024 तक के अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़ों से जनवरी 2025 का महंगाई भत्ता निर्धारित किया गया है। जुलाई 2024 से नवंबर 2024 तक ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आंकड़े कर्मचारियों के पक्ष में थे, लेकिन दिसंबर के आंकड़ों ने काम बिगाड़ दिया और कर्मचारी महंगाई भत्ते (DA Hike) पर अधिक वृद्धि को देखा।
महंगाई भत्ता पहुंचने का लक्ष्य था 56%
जानकारों का मानना है कि अगर दिसंबर के ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आंकड़े में लगभग 145 अंक की संख्या होती, तो कर्मचारियों की उम्मीद पर DA Hike नहीं आया होता। कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 55% से 56% बढ़ाना चाहिए था नवंबर में यह 144.5% का आंकड़ा था। नवंबर 2024 में मुद्रास्फीति दर 3.88 प्रतिशत थी, जो नवंबर 2023 में 4.98 प्रतिशत थी।
जुलाई के महंगाई भत्ते में झोल भी शामिल हो सकता है
जनवरी और फरवरी के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े हाल ही में प्रकाशित हुए हैं। इनमें गिरावट बताई गई है। इससे जुलाई 2025 से लागू होने वाले महंगाई भत्ते के आंकड़ों में परिवर्तन हो सकता है। DA Hike (कर्मचारियों का महंगाई भत्ता) कम हो सकता है। फरवरी 2025 का एआईसीपीआई 0.4 अंक गिरकर 142.8 पर रह गया है।
ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आंकड़े इस तरह आते हैं
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से संबंधित कार्यालय, श्रम ब्यूरो, हर महीने औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बनाता है। यह देश के 88 महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्रों के 317 बाजारों से संकलित खुदरा मूल्यों पर आधारित है।
वर्तमान मुद्रास्फीति
वहीं फरवरी 2025 में कर्मचारियों की मुद्रास्फीति दर फरवरी 2024 की 4.90% की तुलना में 2.59% रही। महंगाई भत्ते में जुलाई 2025 से बढ़ोतरी और कमी आगामी चार महीने के आंकड़ों पर निर्भर करेगी। हाल के दो महीने के डेटा से तो कोई बढ़ौतरी नहीं दिखती, लेकिन अगर आंकड़ा बढ़ता है तो महंगाई भत्ता भी बढ़ सकता है।
AICP जनवरी और फरवरी 2025 के आंकड़े
जनवरी से फरवरी: खाद्य एवं पेय 148.3 146.8, सुपारी, तंबाकू, कपड़े एवं जूते 147.2 148.4, आवास 134.6 134.6, ईंधन एवं प्रकाश 148.5 148.5, विविध 138.6 139.0, सामान्य सूचकांक 143.2 142.8
AICPI के नवंबर और दिसंबर 2024 के आंकड़े
नवंबर-दिसंबर: खाद्य एवं पेय 153.8 151.3 पान, सुपारी, तंबाकू एवं 162.3 162.9 नशीले पदार्थ कपड़े एवं जूते 146.4 146.7 आवास 131.6 131.6 ईंधन एवं प्रकाश 148.5 148.6 विविध 137.9 138.3 सामान्य सूचकांक 144.5 143.7
केंद्रीय कर्मचारियों ने फार्मूले में परिवर्तन की मांग की
महंगाई भत्ता कम करने के लिए फार्मूला बदलना आवश्यक है। केंद्रीय कर्मचारियों के नेताओं ने यह फार्मूला केंद्रीय बजट से पहले बदलने की मांग की है।
उनकी मांग है कि कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में औसत तीन महीने की अवधि पर बदलाव किया जाए। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सिर्फ हर तीन महीने का नियम लागू होता है। केंद्रीय कर्मचारियों की भी मांग है।
कैबिनेट सचिव को पत्र भेजा
17 जनवरी को, कनफेडरेशन का सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाई एंड वर्कर्स ने कैबिनेट सचिव को पत्र भेजा। इस पत्र में कहा गया है कि बैंकिंग कर्मचारियों को महंगाई भत्ते में हर साल प्रत्येक तिमाही में बदलाव का लाभ मिलता है; इसी प्रकार, केंद्रीय कर्मचारियों को भी इस नियम का पालन करना चाहिए। मूल्य जनवरी से बढ़ा है, इसलिए इसकी आंशिक भरपाई बारह महीने के बाद नहीं की जानी चाहिए। उन्हें हर छह महीने की बजाय हर तीन महीने महंगाई भत्ते का भुगतान करना चाहिए था।
स्थान से स्थान DA की आवश्यकता
केंद्रीय कर्मचारियों ने एक और मांग की है कि वे पॉइंट-टू-पॉइंट महंगाई भत्ता प्राप्त करें। उदाहरण के लिए, केंद्रीय कर्मचारियों की महंगाई दर हाल ही में 55% से 55.99 हो गई है। इसलिए, कर्मचारियों को 0.99 से कम देने वाले कर्मचारियों को ऐसा नहीं करना चाहिए।
अलग-अलग उपभोक्ता सूचकांक की आवश्यकता
केंद्रीय कर्मचारियों की तीसरी मांग है कि उनके लिए अलग उपभोक्ता सूचकांक लागू किया जाए। फिलहाल, गणना लागू सूचकांक के अनुसार की जाती है, जो 465 वस्तुओं को शामिल करता है। केंद्रीय कर्मचारी इनमें से कई का उपयोग नहीं करते।
जबकि केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ता भी उनकी कीमतें घटने और बढ़ाने से प्रभावित हो रहा है। इसलिए, कर्मचारियों के लिए अलग से उपभोक्ता सूचकांक बनाना आवश्यक है। कर्मचारियों का कहना है कि एक अलग उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बनाया जाए क्योंकि इससे उन्हें कम महंगाई भत्ता मिल रहा है।