Delhi Liquor Sale: दिल्ली के लोग एक साल में पी गए 61 करोड़ शराब की बोतल, इतने करोड़ हुई सरकार को कमाई
Delhi Liquor Sale: हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक ये कहा जा रहा है दिल्ली वाले एक साल में 61 करोड़ शराब की बोतल गटक गए। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर इससे सरकार को कितने करोड़ रुपये की कमाई हुई...
The Chopal News:- जब कभी रिकॉर्ड बनाने की बात आती है तो दिल्लीवाले कभी पीछे नहीं हटते. शराब पीने में ही सही लेकिन दिल्ली ने एक बार फिर से अपना रिकॉर्ड तोड़ दिया है. दिल्लीवालों ने शराब पीने के मामले में नए रिकॉर्ड कायम किए हैं. आपको बता दें कि दिल्ली सरकार की पुरानी आबकारी नीति के तहत पिछले साल कुल मिलाकर 61 करोड़ से ज्यादा शराब की बोतलें बेची. इस रिकॉर्ड मात्रा में शराब की बिक्री के परिणामस्वरूप एक ही वर्ष में दिल्ली सरकार को 7,285 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई हुई है.
दिल्ली सरकार के खजाने में बढ़ोतरी-
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कहना है कि 1 सितंबर 2022 से 31 अगस्त 2023 के बीच पुरानी आबकारी नीति के चलते दिल्ली सरकार को शराब की बिक्री से अच्छा खासा मुनाफा हुआ. एक साल के भीतर शराब की बिक्री से सरकार को 7,285.15 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला है. इससे कुल 2,013.44 करोड़ रुपये केवल वैट से प्राप्त हुए हैं. दूसरी ओर, हाल ही के वित्तीय वर्ष 2021-22 में नई आबकारी नीति लागू होने के बाद से, दिल्ली सरकार को शराब से 5,487.58 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी.
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दिल्ली सरकार पर लगाए आरोप-
जहां एक ओर दिल्ली का सरकारी खजाना बढ़ा वहीं कई राजनीतिक दलों ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति पर व्यापक बहस की और परिणामस्वरूप इसके खिलाफ कई आरोप लगाए गए. यहां तक कि दिल्ली में स्थानीय सरकार के नेता एलजी वीके सक्सेना ने भी कई कानूनों को तोड़ने का आरोप लगाते हुए इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी.
उप-मुख्यमंत्री को हुई जेल-
आबकारी घोटाले को लेकर की गई जांच के तहत अनियमितताओं के संदेह में कुछ समय पहले दिल्ली के उपमुख्यमंत्री पद पर कार्यरत मनीष सिसौदिया को हिरासत में लिया गया था. तमाम आरोपों के बाद दिल्ली सरकार ने 31 अगस्त 2022 को नई आबकारी नीति वापस ले ली, जिसे उसने 17 नवंबर 2021 को लागू किया था. दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति फिलहाल प्रभावी नहीं है. दिल्ली में शराब बेचने के लिए पुरानी प्रक्रियाओं और कानूनों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है.
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