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Delhi Metro: दिल्ली के इस हिस्से में बिछेगी 6 नई मेट्रो लाइन, इस इलाकों में बनेंगे स्टेशन

दिल्ली मेट्रो में सफर करने वालों के लिए अच्छी खबर, दिल्ली एनसीआर में 6 नई मेट्रो लाइन बिछाई जाएगी, जिससे आसपास के लोगों को बहुत फायदा होगा, मेट्रो में यात्रा करने में आसानी होगी, उन्हें मेट्रो स्टेशन तक जाने के लिए ज्यादा दूर नहीं चलना होगा.
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Delhi Metro: दिल्ली के इस हिस्से में बिछेगी 6 नई मेट्रो लाइन, इस इलाकों में बनेंगे स्टेशन

The Chopal, Delhi NCR Metro : दिल्ली मेट्रो में सफर करने वालों के लिए अच्छी खबर, दिल्ली एनसीआर में 6 नई मेट्रो लाइन बिछाई जाएगी, जिससे आसपास के लोगों को बहुत फायदा होगा, मेट्रो में यात्रा करने में आसानी होगी, उन्हें मेट्रो स्टेशन तक जाने के लिए ज्यादा दूर नहीं चलना होगा, यह रेल लाइन दिल्ली एनसीआर के पर फेज 4 मैं बिछाई जाएगी, और वही हर स्टेशन पर इंटरचेंज की सुविधा होगी.

केंद्रीय कैबिनेट से दिल्ली मेट्रो के जिन दो नए कॉरिडोर्स को मंजूरी मिली है, वो दोनों कॉरिडोर कई मायनों में बेहद खास होंगे। इनके बनने से सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि दिल्ली मेट्रो नेटवर्क में एक साथ 8 नए इंटरचेंज स्टेशंस जुड़ जाएंगे, जो अलग-अलग लाइनों को आपस में कनेक्ट करेंगे। इससे मेट्रो की पहुंच भी बढ़ेगी और यात्रियों की संख्या में भी इजाफा होगा। इन दोनों लाइनों के जरिए दिल्ली के कई अन्य महत्वपूर्ण वाणिज्यिक और प्रशासनिक प्रतिष्ठान भी मेट्रो नेटवर्क से जुड़ेंगे, जिससे लोगों को इन जगहों पर आने-जाने में काफी आसानी हो जाएगी। खासतौर से दिल्ली सचिवालय, आईजीआई स्टेडियम, एलएनजेपी हॉस्पिटल, सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन, जीके-1, साकेत डिस्ट्रिक्ट सेंटर जैसी महत्वपूर्ण जगहें मेट्रो नेटवर्क से सीधे जुड़ जाएंगी, जिसका दिल्ली के लोगों को बहुत लाभ होगा। इससे इन इलाकों में आवाजाही तो आसान बनेगी ही, साथ ही यहां संचालित होने वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी फायदा होगा। सूत्रों का मानना है कि टेंडर प्रक्रिया पूरी होने में 6 से 8 महीने का वक्त लग सकता है। ऐसे में इन दोनों कॉरिडोर के निर्माण की प्रक्रिया इस साल के अंत तक या अगले साल ही शुरू होने की उम्मीद है।

फेज-4 पर पहले से चल रहा है काम

फेज-4 के तीन प्राथमिक कॉरिडोर्स पर काम तेजी से चल रहा है। इनमें जनकपुरी वेस्ट से रामकृष्ण आश्रम मार्ग, मजलिस पार्क से मौजपुर और तुगलकाबाद से दिल्ली एयरोसिटी कॉरिडोर शामिल है। बाकी बचे तीन कॉरिडोर में से दो और कॉरिडोर्स को अब मंजूरी मिली है। इनमें इंद्रप्रस्थ-इंद्रलोक कॉरिडोर कई मायनों में बेहद खास और अहम साबित होगा। यह दिल्ली मेट्रो का पहला ऐसा कॉरिडोर होगा, जिसके हर दूसरे स्टेशन पर इंटरचेंज की सुविधा मिलेगी। ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि महज 12 किमी लंबे इस कॉरिडोर पर जो 10 नए मेट्रो स्टेशंस बनेंगे, उनमें से 5 स्टेशंस पर इंटरचेंज की सुविधा होगी। वहीं लाजपत नगर और साकेत जी ब्लॉक के बीच बनने वाला नया कॉरिडोर भी बेहद खास होगा। इस कॉरिडोर के दोनों छोर के दो स्टेशंस इंटरचेंज होंगे। पिंक और वॉयलेट लाइन के बाद अब इस नई लाइन के जुड़ जाने से लाजपत नगर जहां कश्मीरी गेट की तरह ट्रिपल इंटरचेंज वाला मेट्रो स्टेशन बन जाएगा, वहीं साकेत जी ब्लॉक का स्टेशन भी तुगलकाबाद-एयरोसिटी लाइन के इसी नाम से बन रहे दूसरे स्टेशन से जुड़ेगा। इसी तरह लाजपत नगर-साकेत कॉरिडोर पर भी तीन जगह इंटरचेंज की सुविधा मिलेगी। इसका फायदा यह होगा कि मेट्रो नेटवर्क में इंटरचेंज स्टेशनों की संख्या बढ़कर 60 से अधिक हो जाएगी। अभी दिल्ली-एनसीआर में रैपिड मेट्रो और एयरपोर्ट मेट्रो समेत दिल्ली मेट्रो की 11 लाइनों पर 54 इंटरचेंज स्टेशंस हैं। इन दो लाइनों के बनने के बाद इंटरचेंज स्टेशनों की संख्या बढ़कर 62 हो जाएगी। साथ ही इंटरचेंज स्टेशनों की संख्या के मामले इंद्रप्रस्थ-इंद्रलोक कॉरिडोर रेड, ग्रीन, मजेंटा, ग्रे, एयरपोर्ट लाइन और रैपिड मेट्रो को भी पछाड़ देगा, जहां 5 से कम इंटरचेंज स्टेशंस हैं।

दोनों लाइनों पर जल्द शुरू होगा काम

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एप्रूवल मिलने के बाद अब डीएमआरसी ने इन दोनों लाइनों पर काम जल्द से जल्द शुरू करने के लिए प्री-बिड एक्टिविटीज और टेंडर डॉक्युमेंट्स तैयार करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, ताकि टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन दोनों कॉरिडोर्स पर निर्माण कार्य शुरू करने में किसी भी तरह की देरी ना हो। इसके तहत मेट्रो लाइन के रास्ते में आने वाली पाइपलाइनों और वायरिंग आदि को शिफ्ट करने के लिए जरूरी सर्वेक्षण और विभिन्न एजेंसियों से निर्माण के लिए जरूरी क्लियरेंस लेने की प्रकिया भी शामिल होगी।

क्यों पटरी से उतरा मेट्रो का चौथा फेज़?

लगभग पांच साल के इंतजार के बाद मेट्रो के चौथे फेज की दो और लाइनों को अब फाइनल मंजूरी मिली है। अभी भी इस फेज की एक लाइन को मंजूरी के लिए और इंतजार करना पड़ रहा है। किसी वक्त तेजी से काम करने के तौर पर नाम कमा चुकी दिल्ली मेट्रो के लिए ये फेज, इस मामले में निराशाजनक रहा है। साफ तौर पर इसकी मुख्य वजह सरकारों और विभागों के बीच जरूरी सिनर्जी (सामंजस्य) की कमी ही है। जनहित के और इतने महंगी परियोजनाओं के मामले में राजनीति से अलग हटकर काम करने की जरूरत है, क्योंकि देरी से न सिर्फ लोगों को मिलने वाली सुविधा लेट होती है, बल्कि इन परियोजनाओं की लागत भी बढ़ती है। विभागों को भी इस तरह के प्रोजेक्ट की राह आसान करने के लिए मंजूरियों की प्रक्रिया को तेजी से निपटारा करना चाहिए।

नरेला-बवाना-कुंडली कॉरिडोर अभी बाकी

दिल्ली मेट्रो के फेज-4 के तहत कुल 6 नए कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव था। इनमें से 3 कॉरिडोर पर काम पहले से चल रहा है, जबकि 2 कॉरिडोर अब एप्रूव हुए हैं। एक कॉरिडोर अभी भी बचा है। डीएमआरसी के सूत्रों के मुताबिक, नरेला-बवाना-रिठाला के बीच प्रस्तावित कॉरिडोर को पिछले साल हरियाणा के कुंडली तक एक्सटेंड करने का निर्णय लिया गया था। इस वजह से अब नए सिरे से इस पूरे कॉरिडोर की नई डीपीआर बनाई जा रही है। नरेला और बवाना जैसे इलाकों में दिल्ली के एलजी की पहल पर डीडीए द्वारा कई सारी नई परियोजनाएं भी शुरू की गई हैं। इसके तहत यहां बड़े पैमाने पर रेजिडेंशल, कमर्शल और इंस्टीट्यूशनल डिवेलपमेंट का काम भी चल रहा है। इसे देखते हुए मेट्रो लाइन के एलाइनमेंट भी कुछ बदलाव संभावित हैं। चूंकि अभी तक डीपीआर फाइनल नहीं हुई है, इसी वजह से अभी फेज-4 के इस छठे और आखिरी कॉरिडोर को मंजूरी नहीं मिली है। सूत्रों का कहना है कि डीपीआर एप्रूव होने के बाद ही सरकार इस प्रस्ताव पर विचार करेगी और कॉरिडोर को मंजूरी देगी।