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Deoria: चार गुना सर्किल रेट की मांग कर रहें किसान, बाईपास निर्माण प्रक्रिया हुई धीमी

UP News : शहर वासियों को जाम से निजात दिलाने के लिए देवरिया बाईपास के निर्माण कार्य की प्रक्रिया तेज हुई थी, लेकिन इस पर ब्रेक लग गया।
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UP News : शहर वासियों को जाम से निजात दिलाने के लिए देवरिया बाईपास के निर्माण कार्य की प्रक्रिया तेज हुई थी, लेकिन इस पर ब्रेक लग गया।

Uttar Pradesh News : शहरवासियों को जाम से निजात दिलाने के लिए देवरिया बाईपास के निर्माण कार्य की प्रक्रिया जितनी तेजी शुरू हुई थी, उतनी तेजी से इस पर ब्रेक सा लग गया। जिला प्रशासन किसानों के बीच मुआवजे की राशि का वितरण कर रहा था। इसी बीच जमीन का चार गुना सर्किल रेट देने की मांग शुरू हो गई। किसानों के समर्थन में किसान संगठन के लोग उतर गए।

कई बार महापंचायत से लेकर वार्ता तक हुई, लेकिन नतीजा सिफर रहा। इधर किसानों ने क्रमिक अनशन की चेतावनी दे दी है। इसमें सपा के जिलाध्यक्ष ने समर्थन करने की बात कही है। किसान संगठन के नेता आंदोलन की रूपरेखा तय करने में जुट गए है। यहां बता दें कि बाइपास के निर्माण में कई रिहायशी मकान व बस्तियां आ रही हैं, जो भविष्य में उजड़ने के कगार पर हैं।

मकान की कौन कहे विभाग भूमि अधिग्रहण का भी उचित मुआवजा नहीं दे रहा है, जिसे लेकर किसान खासे परेशान हैं और आंदोलन करने पर उतारू हैं। किसान संगठन के बैनर तले ग्रामीण सर्किल रेट से चार गुना अधिक कीमत देने की मांग किसान कर रहे हैं। उनका कहना है कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में स्पष्ट लिखा हुआ है कि वर्तमान सर्किल रेट या बाजार मूल्य में जो भी अधिकतम हो उसका मुआवजा हर हाल में किसानों को दिया जाएगा।

मगर राज्य सरकार किसानों को एनएचआइए एक्ट के तहत मुआवजा न देकर स्टांप एक्ट 1997 के तहत 67 प्रतिशत की कटौती करके मुआवजा दे रही है जो भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का घोर उल्लंघन है। इससे किसानों में भारी आक्रोश है।

भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का उल्लंघन, किसानों में आक्रोश

25 जनवरी 2018 को भारत सरकार के भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी एवं देवरिया के तत्कालीन सांसद व भारत सरकार में केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में देवरिया बाईपास का पहली बार शिलान्यास किया था। उस समय देवरिया बाईपास में पड़ने वाले सभी 32 गांव ग्रामीण क्षेत्र में थे। मगर जिला प्रशासन व सरकार द्वारा एक साजिश के तहत पारियोंजना को 5 साल विलंब करके 15 गांवों को अर्द्धनगरी करके मुआवजा दूना कर दिया गया। इतना ही नहीं सबसे बड़ा जो नुकसान हुआ वह ग्रामीण एवं अर्ध नगरी वाले गांव में मुआवजा में किसी भी गाटे में 102 एयर का चार गुना भुगतान या दो गुना का भुगतान करने के बाद उसे गाटे में शेष जितनी भी जमीन बच रही है सभी जमीनों के मुआवजे में 67 प्रतिशत यानी 2/3 की कटौती करके 1/3 यानी 33 प्रतिशत ही मुआवजा दिया जा रहा है। जिससे किसानों का बहुत ही बड़ा नुकसान हो रहा है, जबकि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में लिखा हुआ है कि वर्तमान सर्किल रेट या बाजार मूल्य में जो भी अधिकतम हो उसका मुआवजा हर हाल में किसानों को दिया जाएगा। मगर सरकार किसानों को एनएचआइए एक्ट के तहत मुआवजा न देकर स्टांप एक्ट 1997 के तहत 67 प्रतिशत की कटौती करके मुआवजा दे रही है जो भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का घोर उल्लंघन है। इससे किसानों में भारी आक्रोश है।

चार गुना की जगह कम कीमत देने का प्रशासन पर लगाया आरोप

देवरिया शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए सरकार ने बाईपास मार्ग के निर्माण की आधारशिला रखी गई। इसके बाद किसान भारतीय किसान यूनियन, भूमि बचाओ संघर्ष समिति, किसान बचाओ संघर्ष समिति सलेमपुर नवलपुर के बैनर तले आंदोलन का रुख अख्तियार कर लिए। आंदोलित किसानों का कहना है कि वर्ष 2018 के सर्किल रेट के चार गुना कीमत देने की बात प्रशासन कर रहा है। जबकि सड़क निर्माण को लेकर प्रस्ताव वर्ष 2023 में तैयार किया गया, तो मौजूदा समय के अनुसार सर्किल रेट तय किया जाना चाहिए। चार गुना कीमत दिया जाना चाहिए।

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