क्या 20 साल बाद किरायेदार का हो जाता है मकान, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला

Landlord And Tenant Laws: बहुत से लोग सोचते हैं कि अगर कोई किराएदार 20 साल तक किसी मकान में रहा तो वह उस मकान का मालिक बन जाएगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को साफ कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चाहे किराएदार कितने भी साल मकान में रहे, वह मकान का असली मालिक नहीं बन जाता। मकान का मालिक वही रहता है, जिसके नाम प्रॉपर्टी की कानूनी रजिस्ट्रेशन होती है। कोर्ट ने मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकारों को भी स्पष्ट किया है। मकान मालिक अपनी प्रॉपर्टी वापस पाने के लिए सही कानूनी प्रक्रिया का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन नियमों का पालन करना जरूरी है। इसलिए, 20 साल तक किराए पर रहना मकान का मालिक बनने का आधार नहीं बनता। यह फैसला किराएदार और मालिक दोनों के लिए अहम है।
जानिए क्या होता है प्रतिकूल कब्जा
किसी भी मकान या संपत्ति पर जो उसका असली मालिक होता है, वहीं उसका हकदार होता है। लेकिन ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट में एक नियम है, जिसे प्रतिकूल कब्जा कहा जाता है। इसके मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर लगातार 12 साल तक बिना रुकावट के कब्जा करता है, तो वह उस संपत्ति का कानूनी मालिक बन सकता है। इसका मतलब है कि वह उस संपत्ति को बेच भी सकता है। इससे असली मालिक अपनी प्रॉपर्टी खो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने लिमिटेशन एक्ट 1963 के तहत एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी निजी जमीन या मकान पर 12 साल से लगातार कब्जा बनाए रखता है, तो वह उस संपत्ति का मालिक बनने का दावा कर सकता है। सरकारी जमीन के मामले में यह समय 30 साल होता है। यह 12 या 30 साल का समय कब्जा शुरू होने के दिन से गिना जाता है।अगर कोई 12 साल से ज्यादा समय तक लगातार किसी संपत्ति पर कब्जा बनाए रखता है, तो कानून उसके हक में फैसला कर सकता है। इस दौरान अगर असली मालिक उसे हटाने की कोशिश करता है, तो कब्जाधारी कोर्ट में जाकर अपने अधिकार साबित कर सकता है। इसलिए, प्रतिकूल कब्जा एक ऐसा नियम है जो कब्जाधारी को लंबे समय तक संपत्ति पर रहने के बाद मालिकाना हक दे सकता है।
सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है
अगर आप अपनी प्रॉपर्टी किसी जानकार या अनजान को किराए पर देते हैं, तो सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है। क्योंकि अगर कोई किरायेदार या कब्जाधारी 12 साल से ज्यादा लगातार बिना रोक-टोक आपकी प्रॉपर्टी पर रहता है, तो वह कानूनी रूप से उस संपत्ति का मालिक बन सकता है। इसे प्रतिकूल कब्जा कहा जाता है।लेकिन ऐसा होने से बचने का आसान तरीका है कि आप किरायेदारी का रेंट एग्रीमेंट (किराया समझौता) जरूर बनवाएं। रेंट एग्रीमेंट में सभी नियम और शर्तें साफ-साफ लिखी होती हैं। जब ये एग्रीमेंट होता है, तो किरायेदार का उस संपत्ति पर कब्जा या मालिकाना हक बनने का कोई दावा नहीं बनता।इसलिए, प्रॉपर्टी मालिकों को चाहिए कि वे हमेशा रेंट एग्रीमेंट बनाएं ताकि भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी से बचा जा सके।