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Drone Seeding: ड्रोन से पहली बार हुई बीजाई, जानिए कैसे करता है काम

ताजनगरी आगरा में पहली बार ड्रोन सीडिंग का नया प्रयोग हुआ है। बरसात में वन क्षेत्रों में जहां पहुंचना संभव नहीं है वहां ड्रोन सीडिंग कर पौधे उगाए जाएंगे। इस पॉयलेट प्रोजेक्ट का शुभारंभ शुक्रवार को डॉ. अरुण कुमार, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने किया।
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ड्रोन से पहली बार हुई बीजाई, जानिए कैसे करता है काम 

Drone Seeding: ड्रोन सीडिंग के माध्यम से बीजा रोपण कर पौधे उगाए जाते हैं। इसमें मिट्टी व गोबर को मिलाकर छोटी-छोटी गेंद का स्वरूप दिया जाता है। ड्रोन से ये सीड बॉल्स को वन क्षेत्र में डाल दिया जाता है। पहली बार ड्रोन से खेत में बोए बीज, यहां जानें कैसे होता है बीजारोपण

ताजनगरी आगरा में पहली बार ड्रोन सीडिंग का नया प्रयोग हुआ है। बरसात में वन क्षेत्रों में जहां पहुंचना संभव नहीं है वहां ड्रोन सीडिंग कर पौधे उगाए जाएंगे। इस पॉयलेट प्रोजेक्ट का शुभारंभ शुक्रवार को डॉ. अरुण कुमार, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने किया। उन्होंने फतेहाबाद स्थित धौर्रा वन ब्लॉक के पांच हेक्टेयर में इस तकनीक से बीजारोपण किया। उन्होंने इसे बेहतर और आधुनिक प्रयास बताते हुए भविष्य में इसके विस्तार पर बल दिया।

उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार पौधरोपण को लेकर काफी उत्साहित है। इस वर्ष 35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित है। सरकार मनरेगा मजदूरों के लिए अपने खेत पर पौधरोपण करने पर तीन वर्ष में 58 हजार रुपये दे रही है। ये धनराशि पौधों की देखभाल और खाद इत्यादि के लिए होगी। 

पहले साल में 16 हजार, दूसरे और तीसरे साल में 21 हजार रुपये देगी। उन्होंने स्कूली बच्चों से घर में एक-एक फलदार वृक्ष लगाने और उनकी देखरेख करने की अपील की। कार्यक्रम में भाजपा के जिलाध्यक्ष गिर्राज कुशवाहा ने जिले में पांच लाख पौधे लगाने का संकल्प लिया।

जिलापंचायत अध्यक्ष मंजू भदौरिया ने बताया कि एक पेड़ एक व्यक्ति की सात वर्ष की उम्र बढ़ाता है। उन्होंने घर-घर पेड़ लगाने की अपील की। इस मौके पर मनोज सिंह अपर मुख्य सचिव पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन, संजय श्रीवास्तव अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक योजना एवं कृषि वानकी, इंदु शर्मा अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, ज्ञानेंद्र कुमार निदेशक वन एवं वन्यजीव, वीके मिश्र वन संरक्षक आदि मौजूद रहे।

डीएफओ आदर्श कुमार ने बताया कि ड्रोन सीडिंग के माध्यम से बीजा रोपण कर पौधे उगाए जाते हैं। इसमें मिट्टी व गोबर को मिलाकर छोटी-छोटी गेंद का स्वरूप दिया जाता है। इसमें स्थानीय व बीहड़ क्षेत्र के लिए उपयुक्त प्रजाति जैसे नीम, शीशम, चिलबिल, अरु, छयोंकर, बांस सहित फलदार प्रजाति के जामुन, महुआ, शरीफा के 10 से 12 बीज अंदर होते हैं। ड्रोन से ये सीड बॉल्स को वन क्षेत्र में डाल दिया जाता है। ये बारिश में नमी पाकर अंकुरित होती हैं। इस क्षेत्र की सुरक्षा और निगरानी लगातार की जाती है।

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