चावल के दाम बढ़ने से अब बढ़ेंगे खाने के रेट, जानिए क्या है वजह
ध्यान देने वाली बात ये है कि भारत दुनिया के चावल के कुल उत्पादन का 40 फीसदी हिस्सेदार है और साल 2022 में भारत का चावल निर्यात 5.6 करोड़ टन रहा था। हालांकि अब देश में चावल का कम प्रोडक्शन इसके निर्यात शिपमेंट्स में कमी की वजह बन सकता है और चावल के रिटेल और थोक दाम ऊपर जा सकते हैं।
The Chopal: चावल के शौकीनों के लिए एक चिंता की खबर है क्योंकि देश में चावल के दाम बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। वैश्विक चावल की कीमतों में पिछले 11 सालों का सबसे ऊंचा स्तर देखा जा रहा है और अब भारत में भी चावल के दाम चढ़ने की आशंका बन गई है। अल नीनो इफेक्ट के कारण चावल के प्रमुख उत्पादकों के सामने कम पैदावार का खतरा बन गया है और इसके चलते गरीब एशियाई और अफ्रीकी देशों में चावल के दामों में इजाफा होने की संभावना नजर आ रही है।
चावल के रिटेल और थोक दाम ऊपर जाने का अंदेशा
ध्यान देने वाली बात ये है कि भारत दुनिया के चावल के कुल उत्पादन का 40 फीसदी हिस्सेदार है और साल 2022 में भारत का चावल निर्यात 5.6 करोड़ टन रहा था। हालांकि अब देश में चावल का कम प्रोडक्शन इसके निर्यात शिपमेंट्स में कमी की वजह बन सकता है और चावल के रिटेल और थोक दाम ऊपर जा सकते हैं।
मिनिमम सपोर्ट प्राइस के बढ़ने से चावल कीमतों पर असर
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बी वी कृष्णा राव का कहना है कि भारत पिछले साल तक चावल का सबसे सस्ता उत्पादक देश था। अब चूंकि देश में नए मिनिमम सपोर्ट प्राइस आ चुके हैं तो भारतीय कीमतें बढ़ने का असर दूसरे चावल सप्लायर्स पर भी आ रहा है और वो कीमतें बढ़ा रहे हैं।
अन नीनो इफेक्ट का भी खतरा
एशिया में चावल लगभग 3 अरब लोग खाते हैं और ये पानी आधारित फसल है जिसका एशिया में बहुतायत में यानी लगभग 90 फीसदी उत्पादन होता है। इस साल अल-नीनो पैटर्स के चलते कम बरसात का खतरा बन गया है जो कि चावल जैसी पानी आधारित फसल के लिए अच्छा संकेत नहीं है। वहीं ये भी चिंताजनक बात है कि मौसम के खराब असर का प्रोडक्शन पर असर आने से पहले ही ग्लोबल चावल के दाम 11 साल के उच्च स्तर पर आ चुके हैं। फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के ग्लोबल राइस प्राइस इंडेक्स के मुताबिक ये आंकड़ा आया है.
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर ने की थी रिकॉर्ड आउटपुट का अनुमान
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) ने चावल उत्पादन करने वाले सभी टॉप के छह देशों - बांग्लादेश, चीन, भारत, इंडोनेशिया, थाइलैंड और वियतनाम के रिकॉर्ड चावल उत्पादन करने का अनुमान दिया था। चावल के कारोबार के एक्सपर्ट्स का कहना है कि अल-नीनो इंपैक्ट किसी एक देश तक सीमित नहीं रहेगा और लगभग सभी चावल उत्पादक देशों के आउटपुट पर असर डालेगा.
