The Chopal

धान गेहूं छोड़ किसान कर रहे इस फसल की खेती, लाखों में होगी कमाई

UP Agriculture News : अगर आप किसान हैं, तो यह खबर आपके लिए ही है। क्योंकि इसमें केले की खेती करने के बारे में बताया गया है, कृषि विभाग किसानों को केले की खेती करने के लिए उनके बुआई के लिए अनुदान दे रहा है। किसान इससे केले की खेती कर रहे हैं।
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धान गेहूं छोड़ किसान कर रहे इस फसल की खेती, लाखों में होगी कमाई

The Chopal (UP Agriculture) : अगर आप किसान हैं, तो यह खबर आपके लिए ही है। क्योंकि इसमें केले की खेती करने के बारे में बताया गया है, कृषि विभाग भी किसानों को केले की खेती में मदद करता है। जनपद में कई किसान रबी और खरीफ की फसल के साथ-साथ केले की खेती करते हैं, जो उनकी प्रगति और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हैं। इस खेती में विभाग भी किसानों की सहायता कर रहा है, उन्हें अनुदान दे रहा है। पिछले वर्ष जिले में किसानों ने केले की खेती में एक प्रगतिशील किसान की पहचान बनाई है। इस वर्ष भी केले की खेती के लिए आवेदन किया गया है।

यूपी में G9 प्रजाति केले की खेती में सर्वश्रेष्ठ है। यह पौधा लगाने से किसान को बड़ा मुनाफा मिल सकता है। केला की जड़ें बहुत गहराई तक नहीं जाती। इसलिए इसकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए बहुत सारा पानी चाहिए। यदि आपको केले की खेती से लाभ उठाना चाहते हैं, तो आपको अपनी फसल में 70 से 75 मिमी पानी की आवश्यकता होगी। गर्मियों में चार से पांच दिनों के अंतराल पर सिंचाई करके हर पौधे को अच्छी तरह से गुड़ाई करके केले की फसल को अधिक उत्पादक बनाता है।

इस तरह आवेदन करें

किसान अपने प्रमाण पत्र के साथ केले की खेती के लिए उद्यान विभाग या किसी भी जन सुविधा केंद्र पर आवेदन कर सकते हैं। आपको बता दें कि केले की खेती के लिए यूपी के किसानों को जिला उद्यान कार्यालय में आधार कार्ड, पहचान पत्र, बैंक पासबुक और खतौनी के साथ आवेदन करना होगा। जिले ने हर साल केले की खेती करने का लक्ष्य रखा है। केले की खेती के लिए आवेदन शुरू हो गया है। जिला उद्यान कार्यालय और सभी जन सुविधा केंद्रों पर केले की खेती के लिए आवेदन प्रक्रिया और काउंटर खुले हैं। खेती करने के लिए कोई भी किसान आवेदन कर सकता है।

आवेदन करना नि:शुल्क है

किसानों का पंजीकरण किया जाता है, सहायक उद्यान अधिकारी संजय कुमार ने बताया। बाद में उन्हें काइन डीबीटी के माध्यम से पौधे दिए गए। लेकिन इस बार देरी की वजह से नियम में बदलाव किया गया है। उन्हें इस बार प्रति हेक्टेयर 30 हजार 738 रुपये का लक्ष्य रखा गया है। उन्हें यह पैसा उनके खाते में मिलेगा। पहले वर्ष के साथ दूसरे वर्ष में 10 हजार 247 रुपये अनुदान स्वीकृत होंगे। किसानों को लगातार प्रोत्साहन मिलता रहता है। इससे जिले में पैदावर बढ़ रहे हैं।