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MP में बनेगा पहला सिक्सलेन केबल-स्टे ब्रिज, उत्तरप्रदेश और राजस्थान होगें सीधे कनेक्ट

MP News : मध्य प्रदेश के इतिहास का पहला सिक्सलेन केबल-स्टे ब्रिज का निर्माण अब जल्द होने वाला है. देश के केंद्रीय मंत्रालय की तरफ से स्वीकृति भी मिल चुकी है. इस प्रोजेक्ट के बाद उत्तर प्रदेश राजस्थान और मध्य प्रदेश तीनों राज्य सीधे कनेक्ट हो जाएंगे. यह प्रस्तावित पुल 88.40 किलोमीटर लंबी ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे पर बनेगा। 

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MP में बनेगा पहला सिक्सलेन केबल-स्टे ब्रिज, उत्तरप्रदेश और राजस्थान होगें सीधे कनेक्ट

Madhya Pradesh News : मध्य प्रदेश में बनने वाला यह पुल न सिर्फ राज्य का पहला सिक्स‑लेन केबल‑स्टे ब्रिज होगा, बल्कि यह ग्वालियर–आगरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर भी स्थित होगा, जिससे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और मध्य प्रदेश का सीधा कनेक्शन स्थापित होगा। इसे केंद्रीय मंत्रालय की स्वीकृति मिल चुकी है और काम नवंबर 2025 से शुरू होने की उम्मीद है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच एमपी का पहला छह‑लेन केबल‑स्टे ब्रिज अब सच होने जा रहा है। इसे 88.40 किमी लंबी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर प्रस्तावित किया गया है, जिससे तिनों राज्यों की कनेक्टिविटी मजबूत होगी।

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य क्षेत्र

मध्य प्रदेश का पहला सिक्सलेन केबल स्टे ब्रिज जल्द ही तैयार होगा। यह केबल स्टे ब्रिज राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को जोड़ने वाले 88.40 किमी लंबे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे पर बनाया जाएगा। राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच चंबल नदी पर 600 मीटर लंबा स्टे केबल ब्रिज बनाया जाएगा। यह ब्रिज राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य क्षेत्र में बनाया जाना है, जहां दो बड़े स्तंभों पर केबल टिका रहता है। ये ब्रिज उत्तर प्रदेश के नैनी केबल स्टे ब्रिज की पूरी तरह से नकल होंगे।

पहले से प्रस्तावित ब्रिज का परिवर्तित रूप

याद रखें कि 88.40 किमी लंबे ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे पर एमपी का पहला सिक्सलेन केबल स्टे ब्रिज बनाने के लिए प्रस्तावित पुल का डिजाइन बदल गया है। इस सिक्सलेन केबल स्टे ब्रिज को राजस्थान और एमपी के बीच बनाने का फैसला केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने किया है।

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में एक ब्रिज बनाया जाएगा

यह सिक्स लेन केबल स्टे ब्रिज मध्य प्रदेश के अभयारण्य क्षेत्र में एक किलोमीटर तक बनेगा और दो किमी तक इको सेंसेटिव क्षेत्र से गुजरेगा। मार्ग बनाने के लिए एनओसी मिल चुकी है।

हाईवे के लिए अनुमोदन

राजस्थान में भी ये ब्रिजों को एनओसी भी मिल गया है, जो करीब 9 किमी की संरक्षित सीमा में एक किलोमीटर तक अभयारण्य क्षेत्र में है।
ये एक्सप्रेस भी एमपी के मुरैना में शनिश्चरा क्षेत्र में लगभग 1.5 किलोमीटर के वन क्षेत्र से गुजरेगा। वन विभाग को इसके बदले 1.5 करोड़ रुपए भी दिए गए हैं।

केंद्रीय मंत्रालय और वन एडवाइजरी ने एनओसी प्रदान की

ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे (आगरा-ग्वालियर) का निर्माण पूरा हो गया है। सिक्सलेन केबल स्टे ब्रिज को IC Expressway पर बनाया जाना चाहिए। NHAI के मैनेजर प्रशांत मीणा ने बताया कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और वाइल्ड लाइफ एडवाइजरी बोर्ड ने इसे तीन दिन पहले एनओसी दी है। अब सिक्स लेन केबल स्टे ब्रिज और एक्सप्रेस-वे का काम नवंबर 2025 तक शुरू किया जा सकता है। मध्य प्रदेश में बनने वाला पहला सिक्सलेन केबल स्टे ब्रिज उत्तर प्रदेश का नैनी केबल स्टे ब्रिज की तरह दिखेगा। नैनी ब्रिज की तरह लाइटिंग की सजावट के कारण ये ब्रिज दमकता नहीं दिखेंगे। यह क्षेत्र अभयारण्य में है, इसलिए इस पर प्रकाश नहीं डाला जाएगा।

केबल स्टे ब्रिज क्या करता है?

पुल डेक को टावर से जोड़ने के लिए केबल स्टे ब्रिड का उपयोग किया जाता है। ये केबल्स पुल का सारा भार ऊपर की ओर खींचते हैं, साथ ही विशाल स्तंभों की मदद से ये स्ट्रॉन्ग बनाए जाते हैं। इन्हें केबल स्टे ब्रिज कहा जाता है क्योंकि वे केबलों से बनाए गए हैं।

केबल स्टे ब्रिज की विशेषताएं

स्थिर निर्माण ऐसे ब्रिज की सबसे बड़ी खूबी है। ये तेज हवा या भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाओं से बचने की क्षमता रखते हैं। और वे जल्दी टूटते नहीं हैं।
केबल स्टे ब्रिज को बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले केबल्स पुल को मजबूत बनाते हैं और इसे भारी बोझ को सहन करने के लायक बनाते हैं।
यद्यपि केबल ब्रिज के निर्माण की लागत अधिक होती है, लेकिन ये ब्रिज अन्य ब्रिजों से बेहतर हैं। इनकी सफलता विशेष रूप से लंबी दूरी के ब्रिजों में महत्वपूर्ण है।
इन केबल स्टे ब्रिजों का विशिष्ट डिजाइन है। टूरिज्म और विकास के कारण अक्सर ऐसे ब्रिज शहर के प्रमुख स्थानों में बदल जाते हैं।