UP में बना इंटरनेशनल लेवल का गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, विदेशी तकनीक जांच में अव्वल नंबर पर आया
UP News : गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे की यात्रा सुविधा और गुणवत्ता विश्वस्तरीय है। स्विटरजरलैंड की ईटीएच (ETH) यूनिवर्सिटी के उपकरणों और तकनीक ने इस तथ्य को प्रमाणित किया है। यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ता है, जिससे लखनऊ, वाराणसी, अयोध्या और प्रयागराज जैसे शहरों तक तेज़ और सुगम यातायात की सुविधा मिलती है।

Uttar Pradesh News : गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन का हिस्सा है, पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन से पूर्वी उत्तर प्रदेश को रफ्तार और यातायात सुगमता देने जा रहे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे की राइडिंग क्वालिटी और राइडिंग कम्फर्ट विश्व स्तरीय है. स्विटरजरलैंड की ETH यूनिवर्सिटी के उपकरणों और तकनीक ने इस तथ्य को प्रमाणित किया है। निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेसवे अब इस तकनीक का उपयोग कर रहा है, और जल्द ही बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की राइडिंग क्वालिटी और राइडिंग कम्फर्ट को बेहतर बनाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने राइडिंग क्वालिटी और कम्फर्ट में सुधार के लिए नवीनतम उपायों की जांच की है। ईटीएच यूनिवर्सिटी, ज्यूरिख, स्विट्जरलैंड की वाइब्रेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित लैबोरेटरी एजी (स्पिन ऑफ कंपनी) की तकनीक और उपकरणों का इस्तेमाल किया गया।
सात सेंसर ने परीक्षण किया
इसमें वाइब्रेशन टेक्नोलॉजी और एक्सीलरोमीटर पर आधारित सात सेंसर (चार राइडिंग क्वालिटी और चार राइडिंग मोशन के लिए), एस मोशन सेंसर, मिजरमेंट और डाटा संकलन के लिए आवश्यक उपकरण शामिल हैं. इनोवा वाहन। यूपीडा ने इस तकनीक का उपयोग करके राज्य के सभी एक्सप्रेसवेज के प्रत्येक लेन की राइडिंग क्वालिटी और कम्फर्ट सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से जांच और सुधार करने का लक्ष्य रखा है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद फोर लेने की जांच पूरी की गई है और इसकी राइडिंग क्वालिटी और कम्फर्ट को विश्वस्तरीय बनाया गया है।
एक्सप्रेसवे पर भी इस्तेमाल होगा
निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेसवे की सिक्स लेन पर यूपीडा स्विट्जरलैंड इस तकनीकी का उपयोग कर रहा है। इसके अलावा, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की राइडिंग क्वालिटी और कम्फर्ट को बेहतर बनाने के लिए भी इस तकनीक का उपयोग किया जाएगा।