राजस्थान वालों के लिए बड़ी खुशखबरी, बनेगा एक और बांध, बस अभी सीमांकन होना बाकी
Ranthambore Tiger Reserve,sawai madhopur : रणथंभौर टाइगर रिजर्व और कैलादेवी वाइल्डलाइफ सेंचुरी के कुछ हिस्से पर पार्वती-कालीसिंध-चंबल राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (PKC-ERCP) के तहत बनने वाले डूंगरी बांध का डूब क्षेत्र प्रभाव डाल सकता है।
Rajasthan News : यह जल संसाधन विभाग की ओर से बनाई गई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में है। बनास नदी का कुछ हिस्सा भी रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में आ रहा है। हालाँकि, सर्वे वास्तविक प्रभावित क्षेत्र का आकलन करने के लिए जारी है। राजस्व और वन क्षेत्रों की सीमा अभी तक स्पष्ट नहीं है। डूंगरी बांध बनास नदी पर बनाया जाएगा, जो सवाईमाधोपुर जिले में है। यह स्थान कैलादेवी वाइल्डलाइफ सेंचुरी और रणथम्भौर की पहाड़ियों के बीच है। राजस्थान के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व और कैलादेवी वाइल्डलाइफ सेंचुरी का 22 से 37 वर्ग किलोमीटर हिस्सा पार्वती- कालीसिंध- चंबल राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (PKC-ERCP) के तहत बनने वाले डूंगरी बांध के डूब क्षेत्र में आने की स्थिति बन रही है।
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व भी बनास नदी का कुछ हिस्सा है। बांध का डूब क्षेत्र लगभग एक हजार हेक्टेयर है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इससे बेहतर जगह बांध के लिए नहीं है। इस तरह बनाया गया है।
जिससे टारगेट रिजर्व का क्षेत्र कम हुआ। अफसरों को अधिकारिक रूप से कुछ भी कहने से रोका गया है क्योंकि उन्हें "ऊपर से" निर्देश मिला है। पुनर्वास प्रक्रिया: बांध के डूब क्षेत्र में 35 गांव भी आते हैं, जहां 8 से 10 हजार लोगों की आबादी है, और जमीन अवाप्ति और प्रभावितों का पुनर्वास प्रक्रिया चल रही है। इसमें मोरेल नदी भी मिलती है, जिसका कुछ हिस्सा डूब क्षेत्र में जाएगा। 2017 में पहली बार डीपीआर बनाया गया था।
संशोधित डीपीआर पिछले वर्ष मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच हुए एमओयू के बाद बनाया गया था। दोनों राजाओं ने हाल ही में एमओए (मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट) भी बनाया। लेकिन डीपीआर, एमओयू और एमओए अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। ऐसे में गुपचुप काम करना चाहते हैं क्यों? क्या आशंका है कि राजनीतिक अड़चन हो सकती है या मामला कुछ अलग है?
बीसलपुर से दो गुना बड़ा बांध
डूंगरी बांध की क्षमता लगभग 1600 मिलियन क्यूबिक मीटर होगी, जो बीसलपुर बांध की क्षमता से लगभग डेढ़ गुना है। बांध नदी से 1500 मीटर लंबा होगा और 24.50 मीटर ऊंचा होगा। बीसलपुर बांध के छलकने के बाद डूंगरी बांध ओवरफ्लो पानी ले जाएगा। इसके अलावा, पार्वती और कालीसिंध नदियों का पानी सीधे बांध तक पहुंचाया जा रहा है। यहां से अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली और सवाईमाधोपुर में लाखों लोगों के पानी की आवश्यकता पूरी हो सकेगी।
जब इनके जवाब मिल जाएं, तो बात खत्म
डूब क्षेत्र में आने से टाइगर की आवाजाही प्रभावित नहीं होगी। जिस पहाड़ी से सटे क्षेत्र में बांध बनेगा, वहाँ टाइगरों की आवाजाही होगी या नहीं। किंतु अधिकारी इसे खारिज कर रहे हैं। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और विभाग को डीपीआर फाइनल करने से पहले अधिकारिक जानकारी दी गई थी या अब एनओसी आवेदन करने पर ही मिलेगी। वन विभाग का मानना है कि जनहित के इस परियोजना से टाइगर रिजर्व और वनस्पति सेंचुरी प्रभावित नहीं होंगे।
