बिहार के 8 ज़िलों के बीच से निकलेगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे, उछलेंगे जमीन के दाम
Bihar News : बिहार में आवागमन कनेक्टिविटी पहले से काफी ज्यादा बेहतर हो रही है. प्रदेश का बोर्ड इंफ्रास्ट्रक्चर का ढांचा मजबूत बनाने की दिशा में सरकार की तरफ से कई प्रोजेक्ट की सौगात दी गई है. बिहार से होकर एक सिक्स लाइन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे निकलने वाला है जो अन्य दो राज्यों को भी आपस में जोड़ेगा. इस प्रोजेक्ट पर 54 हजार करोड रुपए की लागत राशि खर्च आने का अनुमान है.

Bihar Greenfield Expressway: बिहार में आवागमन कनेक्टिविटी पहले से काफी ज्यादा बेहतर हो रही है. बता दे की 54,000 करोड़ रुपये की लागत से रक्सौल से हल्दिया तक सिक्स लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे को मंजूरी दी गई है। 2028 तक इसका निर्माण पूरा होना चाहिए। बिहार, झारखंड, बंगाल और नेपाल इससे फायदा उठाएंगे।
जमीनों की कीमतों में तेजी
चंपारण वासियों को बड़ी राहत मिली हैं। दरअसल, केंद्रीय सरकार ने रक्सौल से हल्दिया तक एक सिक्स लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण को मंजूरी दी है, जिसका खर्च लगभग 54,000 करोड़ रुपये होगा। इस परियोजना को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मंजूरी दी है। इसके निर्माण को अगले तीन वर्षों में, यानी 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है। रोड इंफ्रास्ट्रक्चर का कोई भी प्रोजेक्ट किसी भी जिले से होकर निकलता हो वहां जमीनों की कीमतों में तेजी देखने को मिलती है.
बेहतर कनेक्टिविटी, तीन राज्यों और आठ ज़िलों के बीच
बिहार के आठ प्रमुख जिलों से गुजरते हुए, यह एक्सप्रेस-वे झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ेगा। इससे व्यापार को नई दिशा मिलेगी और तीनों राज्यों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी। इतना ही नहीं, इस परियोजना से नेपाल भी फायदा उठाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह एक्सप्रेस-वे रक्सौल से शुरू होकर झारखंड के शिवहर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर और जमुई जिलों को पार करेगा। झारखंड में, यह देवघर, दुमका और जामताड़ा के माध्यम से पश्चिम बंगाल के हल्दिया पोर्ट तक पहुंच जाएगा।
समय की बचत चार घंटे तक होगी
वर्तमान में रक्सौल से हल्दिया तक सफर करने में लगभग 17 से 18 घंटे लगते हैं, लेकिन नए एक्सप्रेस-वे के निर्माण के बाद बस 13 घंटे लगेंगे। इससे लोगों को समय बचेगा और यात्रा भी आसान होगी। इस परियोजना के पूरा होने से बंगाल, बिहार, झारखंड और औद्योगिक उत्पादों को हल्दिया पोर्ट के माध्यम से वैश्विक बाजारों तक पहुंचाना आसान होगा, साथ ही कोलकाता और पटना की यात्रा भी आसान होगी।
लक्ष्य: तीन वर्षों में तैयार करना
ध्यान दें कि यह एक्सप्रेस-वे एक "एक्सेस कंट्रोल्ड" सड़क होगी, यानी इसके बीच गाड़ियों को रास्तों से प्रवेश नहीं मिलेगा। इससे वाहनों की गति नियत रखी जा सकेगी, जिससे सड़क दुर्घटना दर कम होगी।इस परियोजना को सड़क परिवहन मंत्रालय बहुत गंभीरता से ले रहा है, और उम्मीद है कि यह अगले तीन वर्षों में 2028 तक पूरा हो जाएगा।