The Chopal

खेत में उगाएं यह गजब की फसल, जानवरों से नहीं खतरा और पानी की भी कम खपत

Safflower Cultivation : पलामू के किसानों ने बताया कि नीलगाय और बंदर हमेशा इलाके की फसलों पर प्रभाव डालते हैं। ऐसे में वह जानवरों को नुकसान नहीं पहुंचाने वाली फसल को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके लिए उन्होंने दो एकड़ में कुसुम बोया है।
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खेत में उगाएं यह गजब की फसल, जानवरों से नहीं खतरा और पानी की भी कम खपत

The Chopal (Agriculture News) : आज, किसानों ने आधुनिक खेती की ओर रुख किया है। किसी भी फसल को उगाने के लिए मिट्टी और जल दो प्राकृतिक संसाधन हैं। पलामू में हर साल पानी की कमी से किसान परेशान होते हैं। वर्षा कम होने से हर बार किसान की फसल नष्ट हो जाती है, लेकिन किसान कम पानी में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। कुसुम एक ऐसी तिलहन फसल है जिसे जंगली जानवर भी नहीं नष्ट करते, और इसे बहुत पानी भी नहीं चाहिए।

दो एकड़ में कुसुम की खेती कर रहें

पलामू के पड़वा गांव में रहने वाले ओमकार नाथ ने बताया कि नीलगाय और बंदर हमेशा फसलों को प्रभावित करते हैं। ऐसे में वह जानवरों को नुकसान नहीं पहुंचाने वाली फसल को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके लिए उन्होंने दो एकड़ में कुसुम की खेती की है, जिसकी प्रति एकड़ 10 से 12 हजार रुपए की लागत आई है। बताया कि गांव के भोला प्रजापति ने उन्हें प्रेरित किया और उन्होंने ही बीज दिए। फसल बहुत बेहतर ढंग से तैयार हुई। इससे जंगली जानवर को कोई नुकसान भी नहीं हुआ। इसमें पटवन भी कम होना चाहिए।

कांटेदार फसल को क्षति नहीं

डॉ. डी एन सिंह, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक, ने कहा कि पलामू की जलवायु कुसुम की खेती के लिए बहुत अच्छी है। इसके बीज कांटेदार हैं। इसलिए जंगली जानवरों को नुकसान नहीं होता। इसे लगाना भी बहुत आसान है। वर्षा नहीं होने पर पलामू में फसल नष्ट हो जाती है। वहीं ये फसल रबी के सीजन में बहुत अच्छी तरह से तैयार होती हैं। पानी सिर्फ एक बार चाहिए। साथ ही लागत से दोगुना मुनाफा मिलता है। एक एकड़ में 10 से 12 हजार की लागत और 25 से 30 हजार की कमाई होती है। 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक इसका आयोजन किया जाएगा। वहाँ फसल 130 दिन बाद तैयार होने लगती है।

हृदय रोगियों के लिए कुसुम का तेल एक वरदान

वैज्ञानिक ने कहा कि कुसुम का तेल हृदय के लिए अच्छा है। इसमें कम कोलेस्ट्रॉल होने से खून गाढ़ा नहीं होता। साथ ही, लैनोनेथिक, लिनोलिनिक और इरोसिन एसिड हृदय रोगियों के लिए फायदेमंद हैं। इसका तेल प्रति किलो 300 से 350 रुपये में बिकता है।

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