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खाड़ी देशों ने बनाया प्लान, पाकिस्तान पर भारी पड़ेगा कच्चा तेल

खाड़ी देशों में किए गए प्रोडक्शन कट का असर दिखना शुरू हो गया है। इस समय खाड़ी देशों में कच्चा तेल 87 डॉलर तक पहुंच चुका है। दूसरी और अमेरिकी तेल 83 डॉलर के पास है। इसी वजह से पाकिस्तान को पेट्रोल डीजल के रेट बढ़ाने पड़े है।
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खाड़ी देशों ने बनाया प्लान, पाकिस्तान पर भारी पड़ेगा कच्चा तेल
The Chopal : पाकिस्तान में चुनाव खत्म होने के बाद आई नई सरकार आम आदमी को राहत देने के मूड में नहीं दिख रही है। पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा का भंडार लगभग खत्म हो चुका है। इसी वजह से महंगे तेल को इंपोर्ट करना पाकिस्तान के लिए काफी मुश्किल साबित हो रहा है। जिसके चलते पाकिस्तान को पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी करनी पड़ी।

भारत में इसके विपरीत चुनाव होने बाकी हैं। भारत के लोकसभा चुनाव, जो दुनिया के सबसे बड़े चुनावों में गिना जाता है, जून के पहले सप्ताह में घोषित होंगे। ऐसे में भारत में डीजल और पेट्रोल की कीमतें बढ़ने की कोई संभावना नहीं है। वहीं भारत में विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त है। इसका अर्थ यह नहीं है कि इस बीच पेट्रोल की कीमत कम होगी।

पाकिस्तान में पेट्रोलियम कीमतों में जल्द ही इजाफा हो सकता है, जियो न्यूज ने शनिवार को बताया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से पेट्रोल की कीमत लगभग 10 पीकेआर/लीटर बढ़ने वाली है। तेल उद्योग का अनुमान है कि आगामी 15 दिनों की समीक्षा में पेट्रोल की कीमत 279.75 पीकेआर/लीटर से 289.69 पीकेआर/लीटर हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, हाई-स्पीड डीजल (HSD) की कीमत वर्तमान दर 285.86 पीकेआर प्रति लीटर से 1.30 पीकेआर प्रति लीटर घटकर 284.26 पीकेआर होगी।

हाई-स्पीड डीजल (HSD) की विश्वव्यापी कीमत में गिरावट के कारण पाकिस्तान में भी इसकी कीमत कम होगी। हाल के सप्ताहों में एचएसडी की कीमत वैश्विक स्तर पर 98 डॉलर प्रति बैरल हो गई है, जो मार्च के पहले पंद्रह दिनों में 99 डॉलर प्रति बैरल से कम थी। घरेलू ग्राहकों की कीमतों में इस गिरावट से एक रुपए से अधिक की कमी होने की उम्मीद है। पेट्रोल की कीमतें पिछली दो साप्ताहिक समीक्षा में स्थिर रहीं, जबकि हाई-स्पीड डीजल (HSD) की कीमत में पीकेआर 1.77 प्रति लीटर की कमी हुई।

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। 15 मार्च को डीजल और पेट्रोल की कीमतों में 2 रुपए प्रति लीटर की कटौती हुई। इसके बाद से कीमतें स्थिर रहे हैं। मई 2022 में पेट्रोल की कीमतें पूरी तरह से फ्रीज हो गईं। A report का अनुमान है कि दो रुपए की कटौती से पेट्रोलियम कंपनियों को एक वर्ष में ३० हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। 15 मार्च से पहले, पेट्रोलियम मिनिस्टर ने कहा कि जियो पॉलिटिकल टेंशन से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ी हैं। हूती विद्रोहियों के कारण लाल सागर में शिपमेंट कॉस्टिंग बढ़ी है।