Haryana Diwas 2024: हरियाणा बनाने की मांग लाहौर से उठी थी, कब कौनसा जिला बना जानिए
Haryana Diwas 2024 : स्वामी सत्यानंद के बाद दीनबंधु सर छोटूराम ने संयुक्त पंजाब से पृथक अलग राज्य बनाने की मांग उठाई थी। देश आजाद होने के बाद संयुक्त पंजाब के हिंदी भाषी क्षेत्रों में पंजाबी बढ़ाने का विरोध हुआ था।

Demand For Creation Of Haryana Was Raised From Lah : सृजन की भूमि हरियाणा का नाम भगवान हरि से जुड़ा है। रोहतक जिले के गांव बोहर में मिले विक्रमी संवत 1337 के शिलालेख के अनुसार इस क्षेत्र को हरियानक के नाम से जाना जाता था। सुल्तान मोहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल के एक पत्थर पर हरियाणा शब्द अंकित है। धरणीधर ने अपनी रचना अखंड प्रकाश में लिखा है कि यह शब्द ‘हरिबंका’ से लिया गया है।
हरियाणा को अलग राज्य बनाने की सबसे पहले मांग 1923 में स्वामी सत्यानंद ने लाहौर (पाकिस्तान) में की थी। इसके बाद दीनबंधु सर छोटूराम की अध्यक्षता में मेरठ में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स की कांफ्रेस में हरियाणा को अलग राज्य बनाने की मांग उठी।
हरियाणा क्षेत्र के अनेक नेताओं जैसे देशबंधु गुप्ता, पंडित नेकीराम शर्मा और पंडित श्रीराम शर्मा ने अलग हरियाणा राज्य के गठन के लिए प्रयास किए। 1949 में पंजाब के मुख्यमंत्री भीमसेन सच्चर के शासनकाल में पंजाब प्रांत की भाषा को लेकर विरोध उत्पन्न हो गया। हिंदी भाषी क्षेत्रों में पंजाबी बढ़ाने का विरोध हुआ।
एक अक्तूबर 1949 को पंजाब को पंजाबी क्षेत्र व हिंदी क्षेत्र में बांट दिया गया। 1952 में पहले आम चुनाव हुए, जिनमें हरियाणा क्षेत्र से चौ. देवीलाल सहित कांग्रेस के 38 विधायक चुने गए। अलग राज्य बनवाने के लिए चौ. देवीलाल व चौ. चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा क्षेत्र से 125 विधायकों का हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री जीबी पंत को दिल्ली में दिया। 1953 में चौ. देवीलाल ने केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए राज्य पुनर्गठन आयोग के सामने अलग हरियाणा राज्य बनाने की मांग रखी।
तारीखों में हरियाणा निर्माण
- 1955 - प्रदेश की सीमा निर्धारित करने रोहतक आए आयोग के समक्ष हरियाणा के कांग्रेस विधायकों ने पृथक हरियाणा राज्य की मांग रखी।
- 24 जुलाई 1956 - राष्ट्रपति की आज्ञा से पंजाब सरकार ने क्षेत्रीय फार्मूला राज्य में लागू कर दिया, लेकिन राज्य सरकार के असहयोग के कारण यह क्षेत्रीय योजना असफल हो गई।
- 23 सितंबर 1965 - संसदीय समिति की सिफारिश पर भारत सरकार ने सरदार हुकुम सिंह कमेटी गठित की।
- 23 अप्रैल 1966 - समिति की सिफारिश पर भारत सरकार ने न्यायाधीश जेसी शाह की अध्यक्षता में पंजाब-हरियाणा सीमा निर्धारण के लिए आयोग गठन किया।
- 31 मई 1966 - शाह आयोग ने रिपोर्ट सौंपी। इसमें हिसार, रोहतक, गुड़गांव, करनाल और महेंद्रगढ़ जिले के अलावा पंजाब के संगरूर जिले की तहसील जींद, नरवाना और नारायणगढ़, अंबाला, जगाधरी को भी हरियाणा में शामिल किया गया। नरवाना को जींद और नारायणगढ़ व जगाधरी को अंबाला जिले में शामिल किया गया।
- 12 जून, 1966 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो से हरियाणा के अलग राज्य की घोषणा करते हुए कहा कि हरियाणा और पंजाब के आपसी संबंध मजबूत बनाने के लिए चंडीगढ़ दोनों प्रांतों की संयुक्त राजधानी होगी और इसे केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया जाएगा।
- 7 सितंबर 1966 - न्यायाधीश जेसी शाह की सिफारिश पर संसद की ओर पंजाब पुनर्गठन बिल 1966 पास कर दिया गया और 18 सितंबर को राष्ट्रपति ने इस बिल पर हस्ताक्षर कर दिए गए, , जिसके आधार पर हरियाणा की सीमा का निर्धारण हुआ।
- 01 नवंबर 1966 - हरियाणा राज्य का गठन। इसमें सात जिले थे। हिसार, रोहतक, गुड़गांव, करनाल, महेंद्रगढ़, जींद व अंबाला। पिंजौर क्षेत्र को भी अंबाला में शामिल किया गया। दोनों राज्यों की संयुक्त हाईकोर्ट बनाई। भगवत दयाल शर्मा मुख्यमंत्री बने। ये मंत्रिमंडल पंजाब के नेताओं को लेकर ही बनाया गया था।
- मार्च 1967 में हरियाणा में पहली बार चुनाव हुए। पटौदी विधानसभा से चुनकर आए राव बीरेंदर सिंह मुख्यमंत्री बने।
हरियाणा बनने के बाद तीन मसलों पर नहीं बनी सहमति
1. सतलुज और यमुना के पानी का बंटवारा
2. हरियाणा की राजधानी का विवाद
3. अबोहर-फाजिल्का के हिंदी भाषी क्षेत्र में मिलाने का मुद्दा
ऐसे बने 22 जिले
एक नवंबर 1966 को जब हरियाणा बना तो सात जिले गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, रोहतक, करनाल, अंबाला, जींद और हिसार थे। इसके बाद 22 दिसंबर 1972 को भिवानी और सोनीपत जिले अस्तित्व में आए। एक महीने बाद 23 जनवरी 1973 को कुरुक्षेत्र प्रदेश का 10वां जिला बना। 26 अगस्त 1975 को सिरसा को जिले का दर्जा दिया गया। 15 जुलाई 1979 को फरीदाबाद जिला बना। इसके दस साल बाद एक नवंबर 1979 को सरकार ने एक साथ चार जिले बनाए। रेवाड़ी, पानीपत, यमुनानगर और कैथल के जिले बनने के बाद प्रदेश में जिलों की संख्या 16 हो गई। 15 अगस्त 1995 को सरकार ने पंचकूला जिला बनाया। 15 जुलाई 1997 को झज्जर और फतेहाबाद जिले बनाए गए। 4 अप्रैल 2005 को नूंह(मेवात) को जिले का दर्जा मिला। 13 अगस्त 2008 को पलवल प्रदेश का 21वां जिला बना। 4 दिसंबर 2016 को मनोहर सरकार ने चरखी दादरी को जिले का दर्जा दिया।