High Court : दूसरी शादी के बाद महिला पहले पत्ति की Property में कितनी हकदार, हाईकोर्ट का अहम फैसला
High Court on Property : पति-पत्नी शादी के बाद जीवनसाथी के रूप में कई काम करते हैं। इसके साथ ही उनके अधिकार और फर्ज भी एक दूसरे से जुड़े हैं। यहां तक बात समझ में आती है, लेकिन अधिकांश लोग पति की दूसरी शादी के बाद महिलाओं की संपत्ति पर अधिकारों (women's property rights) के बारे में कानूनी प्रावधानों से अनजान हो जाते हैं। हाई कोर्ट ने इस मामले में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कोर्ट ने बताया कि दो बार शादी करने पर महिला का पहले पत्ति की संपत्ति में कितना हिस्सा होता है।

The Chopal, High Court on Property : पति-पत्नी के संपत्ति विवाद अक्सर इतने उलझे हुए होते हैं कि कोर्ट को भी समय लगता है। ऐसा ही एक मामला हाई कोर्ट में पेश हुआ, जिसमें पत्नी ने पति की संपत्ति पर उत्तराधिकारी होने का दावा किया था।
मामले में, पति मर गया था और महिला ने दूसरी शादी कर ली थी। अब हाई कोर्ट ने इस मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, कानून के प्रावधानों और पूरी स्थिति को देखते हुए।
हाई कोर्ट का यह फैसला (HC decision in property rights) पत्नी के अधिकारों को पति की संपत्ति में स्पष्ट करता है। नीचे खबर में हाई कोर्ट के इस महत्वपूर्ण निर्णय को जानते हैं।
यह था पूरी बात।
सलेम, तमिलनाडु, इस मामले में शामिल है। मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। यह मामला पत्नी के उत्तराधिकार पर पति की संपत्ति का है, जिसमें मृतक की पत्नी ने दोबारा शादी की थी।
इस मामले में, जिला अदालत ने पत्नी को मृत पति की संपत्ति में उत्तराधिकारी होने से मना कर दिया। जिला कोर्ट ने कहा कि महिला ने दोबारा शादी की है, इसलिए उसे अपने मृत पति की संपत्ति (पति की संपत्ति) पर अधिकार नहीं है। हाई कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में फैसला दिया है।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह कहा
सलेम जिला न्यायालय ने पहले हाई कोर्ट को मामला भेजा था। इसमें महिला का दावा खारिज हो गया। जिला न्यायालय ने निर्णय दिया कि मृतक पति की संपत्ति पर महिला का अधिकार समाप्त हो गया है।
अब हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम (हिंदू विवाह अधिनियम) में शामिल प्रावधानों का हवाला देते हुए निर्णय को पलट दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि एक महिला को अपने मृत पति की संपत्ति में उत्तराधिकार (property inheritance) पर पूरा हक है। दोबारा शादी करने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने यह टिप्पणी की
हाई कोर्ट ने कहा कि दोबारा शादी करना उत्तराधिकारों (succession provisions in law) में बाधा या रोक नहीं है। हिंदू विवाह अधिनियम ने पुनर्विवाह के आधार पर किसी महिला को अपने पति की संपत्ति में अधिकार से वंचित नहीं किया है।
उसे वंचित नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह यानी प्रावधान है। 2005 में हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन किया गया, जो दोबारा शादी करने वाली महिलाओं को पति की संपत्ति (property knowledge) में अधिकार से वंचित करता था।
निर्णय से महिलाओं के अधिकार स्पष्ट हो गए
हाई कोर्ट का यह फैसला संपत्ति उत्तराधिकार में समानता का सिद्धांत समझाता है। यह फैसला भी दोबारा शादी करने वाली महिलाओं को उनके मृत पति की संपत्ति में अधिकार पाने का हक देता है, जो संपत्ति का नाम है।