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High court : मेरिज रजिस्ट्रैशन को लेकर कोर्ट का बड़ा फैसला, बोली ये बड़ी बात

High court decision : आजकल शादी का पंजीकरण कई कारणों से आवश्यक हो गया है।  शादी के पंजीकरण को भी कानून ने अनिवार्य कर दिया है।  अब कोर्ट ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जो विवाह दर्जा की घोषणा है।  कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए भी महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।  यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि इस निर्णय का प्रत्येक व्यक्ति का जीवन कैसा होगा।  खबर में इस महत्वपूर्ण फैसले की पूरी जानकारी दी गई है। 

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High court : मेरिज रजिस्ट्रैशन को लेकर कोर्ट का बड़ा फैसला, बोली ये बड़ी बात

The Chopal, High court decision : पूरे देश के नागरिकों को शादी के पंजीकरण कराने का कानून लागू है।  सुप्रीम कोर्ट ने कुछ साल पहले शादी के पंजीकरण को लेकर सरकार को आदेश दिया था।  इन आदेशों से जुड़ा मामला हाई कोर्ट पहुंचा, जहां न्यायपालिका ने सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण निर्णय दिए।  हाई कोर्ट ने यह तलख टिप्पणी की क्योंकि शादी पंजीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को अनदेखा किया जा रहा था।  अब हाई कोर्ट ने अधिकारियों से भी जवाब मांगा है।

 दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा-

 केंद्र सरकार द्वारा शादी पंजीकरण के आदेश को लागू नहीं करने का मामला है।  Delhi High Court ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आप सुप्रीम कोर्ट (SC decision on marriage registration) के आदेशों को कैसे नहीं मान रहे हैं।  ध्यान दें कि 2006 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेशों पर सुनवाई करते हुए, हाई कोर्ट ने सरकार को यह डांट लगाया है।  हाई कोर्ट ने कहा कि यह हैरान करने वाला है कि इतने साल बाद भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को अनदेखा किया जा रहा है और उन्हें लागू नहीं किया जा रहा है।  अब कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से कहा है कि वे शादियों के पंजीकरण को तीन महीने में पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करेंगे।

 सरकार से जवाब मांगा:

 इस मामले में, हाई कोर्ट (HC decision on marriage registration) की दो जजों की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई साल पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि सभी शादी पंजीकृत होनी चाहिए, इसमें धर्म समुदाय को कोई आधार नहीं होना चाहिए।  लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी सरकार और अधिकारी इन आदेशों को लागू नहीं कर रहे हैं।  याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को भी सूचना दी है और उनसे जवाब मांगा है।  गृह मंत्रालय को इस नोटिस में शादी के पंजीकरण के लिए एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाने के लिए आवश्यक नियम बनाने के लिए भी कहा गया है। 

 सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिए थे:

 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने शादियों के पंजीकरण (Home Ministry) पर फैसला सुनाते हुए कहा कि देश भर में सभी शादियां हर हाल में पंजीकृत की जाएं।  केंद्र और सभी राज्य सरकारों को भी इन निर्देशों का तीन महीने में पालन सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाने का भी आदेश दिया गया था।  2014 में सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों को देखते हुए, दिल्ली सरकार ने 2014 में शादी के अनिवार्य पंजीकरण को लागू करने के लिए एक आदेश जारी किया था, लेकिन इसकी सही लागू होने पर याचिका दायर की गई थी। 

 याचिका में उठाए गए ये प्रश्न थे:

 याचिकाकर्ता का कहना है कि शादी पंजीकरण के आदेशों का पालन नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में दिल्ली के शादी पंजीकरण मामले में फैसला दिया था कि उचित कानूनी प्रावधानों और नियम नहीं हैं।  इसलिए शादी करने के लिए तैयार लोगों को चिंता है क्योंकि शादी करने के नियमों में कमी है।  हाई कोर्ट ने अब केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के संबंधित मंत्रालय से भी तीन महीने में इस बारे में पता लगाने और शादी पंजीकरण नियमों का पालन करने के लिए कहा है।  हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को इस बारे में लिए गए निर्णयों को अगली सुनवाई से पहले प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया है।

 दिल्ली सरकार ने यह बहाना किया:

 दिल्ली सरकार के वकील ने इस मामले में कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को मानते हुए शादी पंजीकरण के लिए नियम बनाए हैं।  इस तर्क पर हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि ये केवल कार्यकारी नियम थे।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके लिए विशेष कानून और विशिष्ट प्रावधान भी होना चाहिए।  साथ ही, इन मामलों में लोगों की आवश्यकताओं को सरकार को पूरा करने के लिए शादियों के उचित रूप से पंजीकरण के लिए सही और स्पष्ट नियम (Marriage Registration ke niyam) बनाना भी आवश्यक है।

 सरकार को इस बात पर तुरंत ध्यान देना चाहिए:

 कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे आदेशों को लागू नहीं किया गया है, जो चौंकाने वाले हैं।  समय की मांग के अनुसार, सरकार को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए।  याचिका में देश भर में शादी पंजीकरण (marriage registration kaise kraye) को लेकर एक केंद्रीय डेटाबेस बनाने की भी मांग की गई है।  ताकि पूरे देश में शादी पंजीकरण प्रावधान (marriage registration provision) सख्ती से लागू हो सके, ये आदेश सिर्फ गृह मंत्रालय को दिए जाएंगे।  इन नियमों में लापरवाही है। 

 हर राज्य में समान नियम होने चाहिए-

 याचिका में यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार राज्यों में शादी पंजीकरण के नियम अलग नहीं होने चाहिए. इसलिए, केंद्रीय स्तर पर समान नियम होने चाहिए।  यदि राज्यों के कानूनों में अंतर होता है, तो एक व्यक्ति आसानी से दूसरे राज्य में शादी पंजीकरण (law marriage registration) कर सकता है।  सरकारों को भी इन मामलों को देखना होगा।  अब देखना होगा कि इस मामले में आदेश कब तक लागू होंगे।