High Court Decision : क्या पति की इजाजत लिए बिना पत्नी बेच सकती है संपत्ति, जानें हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Property : कलकत्ता हाईकोर्ट ने पति-पत्नी की प्रॉपर्टी से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट का कहना है कि किसी महिला को अपनी संपत्ति बेचने के लिए पति की इजाजत की जरूरत नहीं है। पत्नी अपने पति को बताए बिना या उसकी सहमित के बगैर भी प्रॉपर्टी बेच सकती है, बशर्ते वह प्रॉपर्टी उसके नाम पर हो।
हाईकोर्ट का फैसला
कलकत्ता हाईकोर्ट में जस्टिस हरीश टंडन और प्रसेनजीत बिश्वास की बेंच ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों (पति और पत्नी) पढ़े-लिखे और समझदार व्यक्ति हैं। ऐसे में अगर पत्नी ऐसी प्रॉपर्टी जो उसके नाम पर है, पति की मंजूरी लिए बिना बेचने का डिसीजन लेती है तो यह क्रूरता के दायरे में नहीं आता है’। आज जरूरत की खबर में जानेंगे कि महिला जो एक बेटी है, पत्नी है और बहू है, भारतीय कानून में उनके संपत्ति से जुड़े अधिकार क्या हैं।
एक्सपर्ट: सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सचिन नायक
सवाल: कोर्ट के फैसले के मुताबिक क्या पत्नी अपनी प्रॉपर्टी अपनी मर्जी से बेच सकती है?
जवाब: हां। हाईकोर्ट ने कहा कि “अगर पति अपनी पत्नी की मर्जी या राय के बगैर अपनी कोई प्रॉपर्टी बेच सकता है तो पत्नी भी ऐसी प्रॉपर्टी, जो उसके नाम पर है, पति की मंजूरी के बिना बेच सकती है।”
ये तो मौजूदा मामले के हिसाब से प्रॉपर्टी बेचने की बात हो गई। अब बात करते हैं कि पति-पत्नी का एक-दूसरे की प्रॉपर्टी पर क्या हक होता है…
सवाल: पत्नी का पति की संपत्ति पर क्या अधिकार होता है?
जवाब: पति की खुद से बनाई संपत्ति पर पत्नी का पूरा अधिकार होता है।
सवाल: बहू का ससुराल की संपत्ति पर कब और कितना अधिकार होता है?
जवाब: हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के मुताबिक एक महिला का अपने ससुराल की पैतृक संपत्ति में तब तक कोई हक नहीं होता, जब तक उसका पति या उसके सास-ससुर जीवित हैं।
पति की मृत्यु के बाद ससुराल की संपत्ति में उसका अधिकार होता है। वह पैतृक संपत्ति में अपने पति के हिस्से की संपत्ति की हकदार है।
अभी तक हम बात कर रहे थे विवाहित महिलाओं को मिलने वाले अधिकारों की। इसी कड़ी में अब बात करेंगे अविवाहित लड़कियों या बेटियों को प्रॉपर्टी में मिलने वाले अधिकारों की।
सवाल: पिता की संपत्ति पर बेटी का क्या अधिकार होता है?
जवाब: पिता की प्रॉपर्टी में बेटी का भी हक है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में वर्ष 2005 में हुए संशोधन के बाद बेटियों को पिता की संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार दिया गया। वर्ष 2020 में आए हुए संशोधन के बाद पैतृक संपित्त में भी महिलाओं को समान अधिकार मिल गया।
इन अधिकारों को नीचे दिए गए क्रिएटिव के माध्यम से और विस्तार से समझते हैं।
सवाल: मां की संपत्ति पर बेटी का कितना हक होता है?
जवाब: पैतृक संपत्ति पर बेटा और बेटी दोनों का अधिकार होता है। अगर मां ने कोई संपत्ति खुद अर्जित की है या जो प्रॉपर्टी उनके पति यानी बेटी के पिता की है, वो मां के नाम है। तो उस संपत्ति पर बेटी का अधिकार तब तक नहीं होगा, जब तक मां उस प्रॉपर्टी को बेटी के नाम न कर दे। मां की मृत्यु के बाद कानूनी तौर पर उसकी संतानें संपत्ति की उत्तराधिकारी होंगी।
इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ चुका है कि अगर मां-बाप चाहेंगे, तभी वो अपने बच्चों को अपनी प्रॉपर्टी दे सकते हैं।
सवाल: उस कंडीशन में क्या होगा, जब बेटी अपने पिता से रिश्ता नहीं रखना चाहती है, तब क्या उसका पिता की संपत्ति पर हक होगा?
जवाब: अगर बेटी बालिग है और पिता के साथ रिश्ता नहीं रखना चाहती है तो उसके खर्च की कोई जिम्मेदारी पिता की नहीं है। लेकिन पिता की मृत्यु के बाद पिता की संपत्ति पर उसका पूरा कानूनी हक है।
सवाल: बेटी अपने फैसले लेने के लायक कब हो जाती है?
जवाब: बेटा हो या बेटी दोनों ही बालिग होने के बाद अपने फैसले खुद लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
सवाल: माता-पिता का तलाक हो गया है, तब बेटी का अपने पिता की संपत्ति पर क्या अधिकार होगा?
जवाब: जी हां, पूरा अधिकार है। इसे पॉइंट्स में समझते हैं।
माता-पिता के अलग होने से बेटियों के अधिकार नहीं बदलते हैं। अपने पिता की संपत्ति पर बेटी का अधिकार हर हाल में सुरक्षित है।
लिव इन में रहने वाले कपल का कोई बच्चा होता है तो उसका पिता की संपत्ति पर उतना ही अधिकार होता है, जितना शादी से पैदा हुए बच्चे का होता है।
सवाल: किन परिस्थितियों में बेटी संपत्ति की वारिस नहीं होती है?
जवाब: सिर्फ 2 परिस्थितियों में बेटी का अपने पिता की संपत्ति और पैसों पर अधिकार नहीं होता है।
पहला जब पिता ने अपनी वसीयत में बेटी को जगह न दी हो और अपनी पूरी संपत्ति बेटे, बहू, नाती, पोता, दोस्त, किसी संस्थान या ट्रस्ट के नाम कर दी हो।
दूसरा जब कोर्ट में इस बात का रिकॉर्ड हो कि बेटी और पिता का रिश्ता टूट गया है।
नोट: लेकिन यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि कानून लड़की को पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार देता है। अगर किसी भी वजह से वसीयत में लड़की का नाम नहीं है तो लड़की उस वसीयत को कोर्ट में चैलेंज कर सकती है। साथ ही मौजूदा नियम के मुताबिक लड़की से हक त्याग के कागज पर साइन करवाए बगैर भाई भी संपत्ति अपने नाम नहीं कर सकते।
सवाल: अगर साल 2005 से पहले बेटी पैदा हुई है, लेकिन पिता की मृत्यु हो चुकी है तब क्या उस कंडीशन में बेटी को अधिकार नहीं मिलेगा?
जवाब: हिंदू उत्तराधिकार कानून में 9 सितंबर,साल 2005 में संशोधन हुआ। ऐसे में बेटी किस तारीख और साल में पैदा हुई इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। उसका पिता की संपत्ति पर पूरा अधिकार है। वह संपत्ति चाहे पैतृक हो या फिर पिता की स्वअर्जित।
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