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Highway Rules: नेशनल हाईवे के नियमों में बदलाव, जानिए आपके काम की बात

MP News : मध्यप्रदेश में एक्सप्रेसवे और नेशनल हाईवे का तेजी से निर्माण राज्य के विकास और कनेक्टिविटी में बड़ा योगदान दे रहा है। इससे औद्योगिक, कृषि, और पर्यटन क्षेत्रों को नई ऊंचाइयां मिल रही हैं। हालांकि, इन सड़कों पर बढ़ते सड़क हादसे एक गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं।

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Highway Rules: नेशनल हाईवे के नियमों में बदलाव, जानिए आपके काम की बात

National Highway : फरवरी 2025 से नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर लागू होने वाले नए दिशा-निर्देश सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए एक अहम कदम है। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य दुर्घटनाओं को कम करना, यातायात को सुव्यवस्थित करना और सड़कों को अधिक सुरक्षित बनाना है।

मध्यप्रदेश में तेजी से एक्सप्रेस वे और नेशनल हाईवे बनाए जा रहे हैं, जो विकास को रफ्तार देते हैं और लेकिन सड़क दुर्घटनाओं के काफी मामले दिन प्रतिदिन ज्यादा या रहे हैं। सड़क हादसों में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने तेजी से बढ़ रहे सड़क हादसों को देखते हुए अब नए दिशा निर्देशों को लागू किया है, जिनकी जानकारी हर किसी को होनी चाहिए क्योंकि इससे हादसों में कमी आ सकती है। नए मार्गदर्शन फरवरी 2025 से प्रभावी होंगे।

दुर्घटनाओं को कम करने के लिए NHAI का महत्वपूर्ण कदम

नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया ने फरवरी 2025 से राष्ट्रीय राजमार्गों पर साइनेज के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत पशु आश्रय स्थलों को हर 10 किलोमीटर में बड़े साईन बोर्ड लगाने का निर्णय लिया गया है। सुरक्षित ड्राइविंग के लिए हर वाहन चालक सड़क चिह्न और साइनेज जानना चाहिए। ये दिशानिर्देश सड़क परिवहन मंत्रालय ने सड़क का मालिकाना हक रखने वाली एजेंसियों को दिए हैं।

1 - हर 10 किलोमीटर पर फुटपाथ पर वाहन लोगो के साथ गति सीमा को पेंट करना अनिवार्य है।
2 - स्पीड लिमिट गति सीमा के साइनेज को हर 5 किमी पर लगाया जाना है
3 - हर 5 किमी पर नो पार्किंग साइनेज लगाना होगा।
4 - एमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर हर 5 किमी पर प्रदर्शित किया जाए।

पशुओं को आश्रय मिलेगा

NHAI ने भी निर्णय लिया है कि आवारा पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने के लिए नेशनल हाईवे पर पशुओं के लिए आश्रय स्थल बनाए जाएंगे। इन आश्रय स्थानों पर पशुओं के लिए पर्याप्त चारा और पानी होगा। आश्रय स्थलों में पशुओं की देखभाल करने वाले लोग और एंबुलेंस होंगे। आश्रयस्थल के आसपास पाँच सौ किलोमीटर का एक पशु अस्पताल बनाया जाएगा।