Delhi Metro को कैसे रोक देती है छोटी सी चिड़िया, समझे पूरा मामला
Metro : नोएडा (noida news)के एक दफ्तर (NOIDA Office) में काम करने वाले नवनीत दिल्ली के करोल बाग (Karol Bagh) में रहते हैं। कल शाम जब वह अपने दफ्तर से निकले और घर जाने के लिए नोएडा सैक्टर 16 मेट्रो स्टेशन पहुंचे, तब तक सब ठीक था। लेकिन जब ट्रेन पर सवार हुए तब पता चला कि मेट्रो ट्रेन यमुना बैंक (Yamuna Bank) से मंडी हाउस (Mandi House) की तरफ नहीं जा पा रही है। उन्हें सोशल मीडिया (Social Media) से पता चला कि एक चिड़िया की वजह से मेट्रो को ओवरहेड वायर (OHE Wire) टूट गया है। इसी वजह से ट्रेन नहीं चल पा रही है। आइए हम बताते हैं कि एक चिड़िया की वजह से मेट्रो ट्रेन(delhi metro) या रेलगाड़ी के पहिए कैसे थम जाते हैं।
क्या हुआ था कल दिल्ली मेट्रो में?
दिल्ली मेट्रो(delhi metro) के ब्लू लाइन पर कल ऐसा हुआ। सप्ताह का पहला दिन सोमवार, उस पर शाम का पीक आवर। ब्लू लाइन के यमुना बैंक और इंद्रप्रस्थ मेट्रो स्टेशनों (metro station)के बीच शाम करीब साढ़े छह बजे ओएचई वायर टूट गया। इसे ठीक किया गया तो एक ट्रेन का पेंटोग्राफ टूट कर उसमें अटक गया। इसे ठीक करने में करीब दो घंटे लग गए। तब तक यमुना बैंक मैट्रो स्टेशन(delhi metro station) पर हजारों यात्री जमा हो गए। कल दिल्ली(delhi news) में गर्मी भी रिकार्डतोड़ थी। मेट्रो के स्टेशनों पर तो पीने की पानी की व्यवस्था होती नहीं है। जो एक आध स्टॉल होते हैं, उस पर भी पानी की बोतल का स्टॉक खत्म हो गया। कल रात आठ बजे सेवा बहाल हो पाई थी।
ओएचई वायर टूटने की वजह क्या थी?
दिल्ली मेट्रो रेल निगम(DMRC) के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कल का हादसा ओएचई लाइन टूटने की वजह से हुआ था। ओएचई लाइन(ohe line) क्यों टूटा, इस सवाल पर उनका कहना था कि कबूतर या किसी चिड़िया की वजह से शार्ट सर्किट हो गया होगा। इसी वजह से ओएचई वायर टूट गया। जब ओएचई वायर ही टूट गया तो बिजली की सप्लाई बाधित हो गई। इसलिए मेट्रो ट्रेन(metro train) की आवाजाही प्रभावित हुई।
किसी चिड़िया की वजह से तांबे का मजबूत तार कैसे टूट जाता है?
दिल्ली मेट्रो (delhi metro news) के अधिकारियों का कहना है कि अक्सर कोई चिड़िया मेट्रो के ओएचई वायर के पोल पर या उसके ज्वाइंट पर घोंसला बना लेती है। वह घोंसला बनाने के लिए तिनके ढूंढती रहती है। इसी तिनकों के बीच कभी कभी चोंच में लोहे या तांबे के तार का टुकड़ा उठा लाती है। कभी वही तार का टुकड़ा चिड़िया के चोंच से छूट कर मेट्रो रेल (metro rail)के ओएचई वायर पर गिर जाता है। जब वह तार ओएचई वायर (OHE wire)और न्यूट्रल वायर या फिर ओएचई वायर और पोल से संपर्क में आ जाता है तो वहां शार्ट सर्किट हो जाता है। शार्ट सर्किट होने के बाद तार के टूटने का खतरा होता है।
चिड़िया तो ओएचई वायर पर बैठी रहती है। उसे करंट क्यों नहीं लगता है?
(breaking news)जी हां, सही कहा आपने। चिड़िया जब बिजली के तार पर बैठती है तो उसे करंट नहीं लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब कोई चिड़िया किसी एक तार में बैठती है, तब विद्युत धारा को बहने के लिए दो मार्ग मिल जाते हैं। एक पक्षी के शरीर से दूसरा तार से। विद्युत धारा का यह गुण है कि ऐसी स्थिति में जिस रास्ते से कम अवरोध या रेसिस्टेंस होगा, उधर से उतनी ही ज्यादा करंट (विद्युत धारा) बहेगी। निश्चित तौर पर पक्षी के शरीर की विद्युत चालकता धातु से बने तार से बहुत ज्यादा कम होती है, इसलिए वो ज्यादा अवरोध करेगा, इसलिए उसके शरीर से बहुत कम विद्युत धारा बहेगी, जो की नगण्य होगी। सारा करंट अब भी मुख्य तार से ही बहेगी। इसलिए एक ही तार में बैठने पर पक्षी को करंट नहीं लगता है।(today latest news delhi)
जब चिड़िया को करंट नहीं लगता है तो फिर शार्ट सर्किट क्यों होता है?
चिड़िया अगर गलती से एक ही समय में दो तार से टच हो जाए, तो उसे करंट लगता है। क्योंकि दोनों तार में पोटेंशियल अलग होता है, और पक्षी का शरीर एक तार में बह रहे करंट को दूसरे सुचालक तार से जोड़ देता है। जब तक चिड़िया एक तार पर बैठती है तब तक बिजली को रिटर्न जाने का रास्ता यानी कि negative नहीं मिलता। तब तक उसे करंट नहीं लगता है।लेकिन जैसे ही वह न्यूट्रल तार या पोल को चोंच से छूती है तो उसे करंट लगता है। ऐसे में शार्ट सर्किट हो जाता है।
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