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कितने साल रहता है शादीशुदा बेटी का प्रॉपर्टी पर हक, जाने कानून

Daughter's Property Right : देश के हर नागरिक को कॉमर राइट्स मिलती हैं। सभी को छह मौलिक अधिकार हैं, लेकिन संपत्ति का अधिकार इनमें नहीं आता। लेकिन अगर किसी के नाम कोई संपत्ति है, तो वह उसका सैंवेधानिक अधिकार है। कानून में बेटियों की संपत्ति को भी स्पष्ट किया गया है। 

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कितने साल रहता है शादीशुदा बेटी का प्रॉपर्टी पर हक, जाने कानून

The Chopal : संपत्ति में बेटी के अधिकार को लेकर लोगों में आज भी भ्रम बना रहता है। हालांकि कानून अब काफी स्पष्ट है, फिर भी कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को जानना ज़रूरी है।  सैंवेधानिक अधिकार संपत्ति का अधिकार है। देदेश के कानून में संपत्ति के अधिकारों को एक्सपलेन किया गया है। बेटे और बेटी दोनों को संपत्ति पर समान अधिकार है। संपत्ति के अधिकार पर अभी भी मतभेद हैं। शादी के कितने साल बाद तक बेटी संपत्ति पर अधिकार पाएगी? यह भी कानून है। 

कानून संपत्ति का बंटवारा

देश में सभी लोगों के बीच संपत्ति का बंटवारा करने के नियम हैं। 1965 में भारत में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Daughter's Property Right) लागू हुआ, जो देश में संपत्ति के बंटवारे के नियमों को लागू करता है। 1965 के कानून ही हिंदू, बौद्ध, जैन और सिखों के मध्यम संपत्ति, उत्तराधिकार और विरासत को नियंत्रित करता था। 

बेटियों को संपत्ति का अधिकार पहले नहीं था

देश का कानून संपत्ति का अधिकार बताता है। कानून सब पर समान रूप से लागू होते हैं और हर नागरिक को समान अधिकार दिए गए हैं। लेकिन बेटियों को पहले अपने माता-पिता की संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलता था। 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून में संशोधन किया गया, जिससे बेटियों को समान अधिकार मिले। इस बदलाव से, बेटियों को भी माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलने लगा। 

शादी के बाद भी संपत्ति पर अधिकार

हिंदू उत्तराधिकार कानून को 2005 में संशोधित किया गया था। इसमें शादी के बाद भी बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार देने का उद्देश्य था। हिंदू उत्तराधिकार कानून में संशोधन किया गया था। हिंदू उत्तराधिकार कानून पहले केवल अविवाहित बेटियों को अविभाजित हिंदू परिवार का सदस्य मानता था। नियमों के अनुसार, बेटी की शादी के बाद हिंदू अविभाजित परिवार में नहीं रह सकती थी। 

जानिए संपत्ति का अधिकार कानून क्या कहता है

शादी के बाद लड़की को अपने परिवार की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं था। 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून में संशोधन किया गया, क्योंकि इन बातों को ध्यान में रखा गया था। इस बदलाव से, बेटी को शादी से पहले और बाद भी अपने माता-पिता की संपत्ति का बराबर का उत्तराधिकारी माना जाता है। 

कितने दिन तक संपत्ति पर अधिकार रहेगा?

लड़की के संपत्ति के अधिकार शादी के बाद नहीं बदलते।  इस संपत्ति पर बेटी का हक रहता है जब तक वह जीवित रहती है। कानून ऐसा नहीं कहता कि शादी के इतने साल तक बेटी को संपत्ति पर अधिकार मिलेगा।  

बेटी केवल पैतृक संपत्ति की हकदार है

अगर हम बात करें की अपने परिवार की कौन सी संपत्ति में बेटी का अधिकार होता है और कौन सी संपत्ति में नहीं तो इसका जवाब भी हमें दिए गए संपत्ति के अधिकार (Daughter's Property Right) में मिल जाएगा। हिंदू उत्तराधिकार कानून के अनुसार हमारी संपत्ति दो भागों में विभाजित है। पहला हिस्सा स्वअर्जित संपत्ति है, दूसरा पैतृक संपत्ति है। 

स्वअर्जित संपत्ति पर पिता का मात्र अधिकार

पैतृक संपत्ति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होती है। बच्चों को इस तरह की संपत्ति पर जन्मसिद्ध अधिकार है। वहीं जो संपत्ति अपनी खुद की कमाई से खरीदता है अर्थात जो पिता ने खुद बनाया है उस प्रकार की संपत्ति पर जन्म सिद्ध अधिकार किसी को नहीं होता है। उस संपत्ति को किसे देना चाहिए, यह निर्णय पिता के पास है। 

दोनों को बंटवारे से पहले पिता की मौत पर समान हक

यदि पिता चाहे तो, वह अपने बेटे और बेटी को पूरी संपत्ति का अधिकार भी दे सकता है। साथ ही, वह पूरी संपत्ति को अपने एक बच्चे (चाहे बेटा हो या बेटी) के नाम पर भी दे सकता है। वहीं, अगर पिता की मौत उस संपत्ति का बंटवारा करने से पहले हो जाती है, तो कानून के अनुसार बेटा और बेटी दोनों उस संपत्ति का कानूनी वारिस होंगे।