UP के प्रयागराज संगम नगरी महाकुंभ में लगानी है डुबकी, तो इस तरह आसानी से पहुंचे
Mahakumbh 2025 : 13 जनवरी को पूर्णिमा के साथ महाकुंभ का शुभारंभ होगा, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है। महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है और इसे धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यधिक पवित्र माना जाता है।
The Chopal : अगर महाकुंभ 2025 में प्रयागराज पहुंचने और त्रिवेणी स्नान करने का आपका प्लान है, तो आपको कुछ खास जानकारी की आवश्यकता हो सकती है। यहां आपको प्रयागराज पहुंचने के तरीकों और त्रिवेणी स्नान के बारे में जानकारी दी गई है।
13 जनवरी को पूर्णिमा से महाकुंभ शुरू होगा। हिंदू धर्म में पूरे बारह वर्ष बाद लगने वाले इस महाकुंभ मेले का खास महत्व है। महाकुंभ में देश भर से लोग आते हैं और गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में स्नान करते हैं। अगर आप इस साल 12 साल बाद होने वाले महाकुंभ में जाना चाहते हैं तो जानिए कैसे प्रयागराज पहुंचे और त्रिवेणी स्नान करें।
प्रयागराज की पहुंच कैसे हुई?
इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज हुआ है। इस यूपी जिले तक पहुंचना बहुत आसान है। क्योंकि प्रयागराज रेलवे के जरिए देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है प्रयागराज में जंक्शन के अलावा छिवकी, सूबेदारगंज और रामबाग भी हैं। जहां विभिन्न शहरों से आने वाली ट्रेनें रुकती हैं
बाई रोड भी जाना आसान है
दिल्ली से प्रयागराज तक कई बसें चलती हैं। जो आसानी से दस से बारह घंटे में प्रयागराज पहुंचती हैं। सिविल लाइंस बस स्टैंड पर ज्यादातर शहरों के लिए बसें आसानी से मिलती हैं। वहीं प्राइवेट परिवहन की सुविधा भी है।
एयरपोर्ट सभी विशिष्ट शहरों से जुड़ा है
शहर से साढ़े सात किमी दूर प्रयागराज एयरपोर्ट है। डोमेस्टिक फ्लाइट आसानी से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, रायपुर, देहरादून, विलासपुर और लखनऊ के लिए मिलती है।
जंक्शन से महाकुंभ मेले की दूरी
प्रयागराज जंक्शन से त्रिवेणी संगम की दूरी लगभग 10 किमी की है। गंगा और यमुना के किनारों पर पूरे टेंट की नगरी बसायी जाती है। जहां तक पहुंचने के लिए शहर में आसानी से प्राइवेट और पब्लिक ट्रांसपोर्ट मिल जाते हैं। जो कुंभ मेले के करीब पहुंचा देते हैं। हालांकि महाकुंभ मेले में एंट्री के साथ ही पैदल ही रास्ता तय करना होता है।
त्रिवेणी स्नान के लिए कैसे जाएं
गंगा और यमुना नदी के घाटों से आसानी से नाव में बैठ कर त्रिवेणी स्नान किया जा सकता है। गंगा, यमुना और सरस्वती की अदृश्य धारा बिल्कुल बीचों बीच होती है। जहां तक जाने के लिए नाव का सहारा लिया जाता है। पूरे मेले में नदी में स्नान के लिए सेफ्टी का खास ध्यान रखा जाता है।