The Chopal

अगर आपकी फसल का हो गया है नुकसान, 72 घंटे में यहां करें शिकायत

किसानों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे आपदा के 72 घंटों के भीतर तुरंत बीमा कंपनी के टोल-फ्री नंबर पर या क्रॉप इंश्योरेंस एप्लिकेशन के माध्यम से या लिखित रूप में अपने बैंक, कृषि विभाग के अधिकारियों, और जिला प्रशासन के पदाधिकारियों को सूचित करें अगर 72 घंटों में ऐसा नहीं होता है, जानिए विस्तार में...
   Follow Us On   follow Us on
If your crop is damaged, complain here within 72 hours

The Chopal:- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, और राजस्थान राज्य के कई क्षेत्रों में तेज़ हवाओं और भारी बारिश की चुपचाप बढ़ती हुई समस्या देखी जा रही है, और इसका प्रभाव आने वाले दिनों में भी बना रह सकता है। इस मौसम के कारण कुछ जगहों पर, जहां पिछले सप्ताह से बारिश हो रही है, किसानों की फसलों को कई तरह के नुकसान हो गए हैं। इस संदर्भ में, जिन किसानों ने अपनी फसलों का बीमा करवाया है, वे कृपया अपने बीमा कंपनी को फसल की स्थिति की सूचना दें।

क्या 72 घंटों के भीतर सूचना देना आवश्यक है?

प्रभावित किसानों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे आपदा के 72 घंटों के भीतर तुरंत बीमा कंपनी के टोल-फ्री नंबर पर या क्रॉप इंश्योरेंस एप्लिकेशन के माध्यम से या लिखित रूप में अपने बैंक, कृषि विभाग के अधिकारियों, और जिला प्रशासन के पदाधिकारियों को सूचित करें अगर 72 घंटों में ऐसा नहीं होता है, तो किसान को फिर भी सात दिनों के भीतर बीमा कंपनी को संबंधित दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी, लेकिन इसकी आवश्यकता है कि वह 72 घंटों में भी सूचना दें।

ये भी पढ़ें - UP में नौकरी ढूंढ रहे लोगों के लिए बड़ी खबर, एडेड जूनियर हाईस्कूल में होने वाली है भर्ती 

इन परिस्थितियों में फसल का नुक़सान की सूचना दें

इस परिस्थितियों में, जब कई क्षेत्रों में बादलों के साथ-साथ बारिश हो रही है, और यहां-वहां जलभराव, फसलों के अंकुरण, तेज़ हवाओं से फसलों की हानि, और कीट रोगों की वजह से फसलों को नुकसान हो रहा है, तब किसान इस बारिशी नुकसान की सूचना बीमा कंपनी को दे सकते हैं। किसानों को अपनी फसलों की स्थिति को स्वयं देखकर और जानकारी साझा करके इस नुक़सान की सूचना जरूर देनी चाहिए।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

इसके साथ, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Prime Minister Crop Insurance Scheme) के तहत, जब फसल काट ली जाती है और खेत में सुखाने के लिए रखी जाती है, तो अगले 14 दिनों के दौरान होने वाली वर्षा, चक्रवात, चक्रवाती वर्षा, वैमासमी वर्षा, और ओलावृष्टि जैसे मौसमी परिस्थितियों के कारण होने वाली फसल की क्षति का मूल्यांकन, व्यक्तिगत बीमित फसल के किसान के स्तर पर किया जाता है।

Also Read: UP के पुराने किलों व हवेलियों में कुंवारे शख्स भी कर सकेगें शादी, सरकार नें बनाया ये प्लान