पिता के गैराज से पहुंचा IIT, छोटे से गांव के सुशांत की कहानी कर देगी हैरान
IIT Success Story: सही समय पर मिली एक छोटी सी सलाह आपकी पूरी लाइफ बदल सकती है। कर्नाटक के सुशांत एन प्रभु ने इसे पूरी तरह से सिद्ध कर दिया। उनकी कहानी बहुत भावुक है। आज सुशांत आईआईटी में दाखिला ले चुका है, शिक्षक की सलाह से।

The Chopal, IIT Success Story: गाइडेंस बहुत महत्वपूर्ण है। यह आपको आगे बढ़ने में पूरी तरह से मदद करता है जब आपके मन में कुछ बड़ा करने के सपने पल रहे हैं और उन्हें पूरा करने के लिए उत्सुक होते हैं। अक्सर सही समय पर मिली सलाह एक व्यक्ति की पूरी जिंदगी बदल सकती है। शांतिपूर्ण कर्नाटक की कहानी इसका उदाहरण है।
मार्गदर्शन, समर्पण और मेहनत के बाद सफलता खुद आपके कदम चूमती है। सुशांत की सफलता की कहानी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि कैसे कोई छोटो से IIT तक पहुंचकर गैराज से भी ऊंची उड़ान भर सकता है। यह सिर्फ एक विद्यार्थी की सफलता नहीं है; यह छोटे गांवों में रहने वाले सभी सपनों की प्रेरणा है।
शिवमोगा जिले के मेगरावली गांव निवासी 18 वर्षीय सुशांत एन प्रभु की कहानी हर युवा को प्रेरित करती है जो साधारण परिवार से आते हैं लेकिन कुछ बड़ा करने का माद्दा रखते हैं। आज वह IIT कानपुर में बीटेक केमिकल इंजीनियरिंग का छात्र है।
सुशांत का परिवार बहुत आम नहीं है। उनके पिता नरसिंहमूर्ति मोटरसाइकिल मैकेनिक हैं, जबकि उनकी मां सुजाता टेलर हैं। सुशांत के माता-पिता कम पढ़े-लिखे हैं, लेकिन उन्होंने अपने बेटे को बेहतर भविष्य देने का सपना कभी नहीं छोड़ा।
उन्हें सुशांत बचपन से ही पिता के गैराज में हाथ बंटाने की शुरुआत हुई, जिससे उन्हें मैकेनिकल नॉलेज भी मिला। सुशांत सरकारी स्कूल से पढ़ाई पूरी की। वह पढ़ाई करते हुए भी गैराज में काम करता था। इसके बावजूद वे अपनी पढ़ाई में पीछे नहीं रहे। सुशांत की मेहनत रंग लाई, उन्होंने SSLC परीक्षा में 625 में से 620 अंक हासिल किए।
उन्होंने बेंगलुरु स्थित राष्ट्रोत्थान परिषद के आवासीय स्कूल में PUC और JEE की पहली कोशिश की सफलतापूर्वक। मेहनत और समर्पण के फलस्वरूप सुशांत ने पहली ही कोशिश में JEE क्लियर कर लिया।
सुशांत ने एक राष्ट्रीय पहचान बनाने वाले आविष्कार के अलावा गैराज में प्राप्त ज्ञान का उपयोग करते हुए 'सेल्फ-चेन एडजस्टमेंट सिस्टम' बनाया, जो खुद-ब-खुद मोटरसाइकिल की चेन को बदलता है। Inspire Awards-Manak Scheme के तहत यह नवाचार राष्ट्रीय स्तर पर दिखाया गया।
सुशांत ने शिक्षक की सलाह से NIT कॉलेज सुरथकल में अपना प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया, जो उनके जीवन में सबसे बड़ा बदलाव लाया। उसी समय, उनके शिक्षक राघवेंद्र ए. भट ने IIT और JEE के बारे में भी बताया। यहीं से उनके सपनों को नई राह मिली। सुशांत अब आईआईटी-कानपुर में पढ़ रहे हैं, लेकिन उनका सपना यहीं नहीं खत्म होता। वे एक स्वतंत्र उद्यम बनाना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करके यूपीएससी क्लियर करना भी चाहा है।