राजस्थान के इस गांव में बिजली के खबों से बुझा रहे हैं लोग प्यास, बिछा रखी है पानी की तार
The Chopal, Bhilwara News : राजस्थान के लोग गर्मी में पानी के संकट से गुजर रहे हैं, पेयजल को लेकर राजस्थान के भीलवाड़ा क्षेत्र के फुलिया कला कस्बे के लोग लंबे टाइम से पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, प्रशासन ने अभी तक कोई शुद्ध नहीं ली है, रेगर बस्ती के लोग पेयजल के लिए प्रशासन से आस लगाए बैठे हैं, वहीं लोगों ने अपनी तरफ से एक अजीब जुगाड़ कर रखा है, जो कि आजकल काफी चर्चा का विषय बना हुआ है, गाव के लोगों ने खराब पड़े कुएं की साफ-सफाई करके उसके अंदर से पानी निकालने के लिए 20 पम्प लगए हैं. खबे के सहारे पाइपलाइन का जाल खड़ा कर दिया. तकरीबन 500 घरों की रेगर बस्ती में किए गए अनोखे जुगाड़ से पीने के पानी की पूर्ति कर रहे है. सार्वजनिक कुंए का हाल देखकर इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां के लोग पानी के लिए कितनी मशक्कत कर रहे हैं.
थोड़ा पानी आता है, तो दौड़ पड़ते हैं ग्रामीण
यहां के रेगर मोहल्ला स्थित सार्वजनिक कुंए में 2 फीट पानी है और इस पानी के लिए लोगों की करीब 20 मोटर लटकी हुई हैं. जहां से इस थोड़े से बचे कुचे पानी को लेने के लिए गांव के लोगों ने कुएं में मोटर लगाने के लिए बिजली और पाइप का जाल बिछा रखा है. कुएं में थोड़ा सा पानी आने पर अपने सब काम छोड़ पानी के लिए मोटर चलाने में जुट जाते हैं.
ग्रामीणों ने गांव के इस सार्वजनिक कुएं में, बड़ी संख्या में मोटर लगा रखे हैं और बांस बल्लियों और बिजली के पोल के सहारे अपने-अपने घरों तक पानी के पाइप बिछा ली हैं, जिसके जरिए वे पानी की जरूरत को पूरा कर रहे हैं.
चंबल की पाइपलाइन पहुंची, लेकिन पानी नहीं
फूलियाकलां उपखण्ड मुख्यालय होने के बावजूद पेयजल समस्या से जूझ रहा हैं. चंबल परियोजना का पानी यहां पहुंचने और घर-घर नल कनेक्शन होने के बावजूद भी पानी नहीं पहुंच पा रहा है. इसके हालात जस के तस है. मजबूरन ग्रामीणों ने कुएं में पानी की मोटर उतारकर खुद की नल-जल योजना शुरू की है, जिससे वे अपने मकानों तक पानी पहुंचा रहे हैं.
8 दिन में एक बार आता है सरकारी पानी
ग्रामीण तेजमल रेगर का कहना है, उनके गांव में पेयजल का संकट है. पेयजल की संकट के निवारण के लिए गांव वालों ने सार्वजनिक कुएं की सफाई की. उसी से गांव की पेयजल समस्या का निदान हो रहा है. चंबल के पानी की सप्लाई 8 दिन में एक बार होती है. एक दिन छोड़कर एक दिन चंबल का पानी मिल जाए तो गांव में पेयजल आपूर्ति सामान्य हो सकती है.