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UP में इनके लिए बिजली का कनेक्शन लेना हुआ बेहद आसान, नियमों में किया बदलाव

UP News : यूपी में अविकसित कॉलोनियों में बिजली कनेक्शन लेना आसान हो गया है, जो शहर से दूर हैं।  नियामक आयोग ने पावर टू रिमूव डिफिकल्टी को लागू करते हुए इसे पुन: संशोधित किया है।

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UP में इनके लिए बिजली का कनेक्शन लेना हुआ बेहद आसान, नियमों में किया बदलाव

Uttar Pradesh News : अब शहरी क्षेत्र से दूर अविकसित कॉलोनियों में बिजली कनेक्शन लेना आसान हो गया है।  मगर जो भी बिजली कनेक्शन लेना चाहेंगे उन्हें दुगनी धनराशि खर्च करनी होगी।  2017 में विद्युत नियामक आयोग द्वारा पावर कारपोरेशन के प्रस्ताव पर जारी नौवें संशोधन में, इसे पावर टू रिमूव डिफिकल्टी के दायरे में लाया गया है।  अब 70 रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से किसी भी शहरी क्षेत्र से सटी अविकसित कॉलोनी में प्लाट, मकान या संपत्ति मालिक बिजली कनेक्शन प्राप्त कर सकते हैं।

नियामक आदेश, पहले कुछ शर्तों के साथ 35 रुपये प्रति स्क्वायर फीट चार्ज करता था।  प्लाट ओनर या कॉलोनी के किसी व्यक्ति को 70 स्क्वायर प्रति फीट के हिसाब से रुपया जमा करने के बाद उसे 40 मीटर की परिधि में सामान्य कनेक्शन की तर्ज पर विभाग को कनेक्शन देना पड़ेगा, जैसा कि संशोधन आदेश में निर्धारित है।  पूर्व में शर्त थी कि ऐसी अविकसित कॉलोनियों में कम से कम पचास प्रतिशत लोगों के आवेदन पर 35 रुपये प्रति वर्गफीट के रेट से कनेक्शन दिया जाएगा।  ऐसी कोई शर्त अब नहीं होगी।

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बुधवार को नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर लोक महत्व प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने विकसित कॉलोनी में नए कनेक्शन के लिए दुगनी राशि की मांग की।  उनका कहना था कि आयोग द्वारा पावर टू रिमूव डिफिकल्टी के तहत जारी किया गया संशोधन आदेश, जिसमें पावर कॉरपोरेशन द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव पर आम जनता की राय को शामिल करना चाहिए था।

फैसले पर पुनर्विचार की आवश्यकता

परिषद का कहना है कि प्लाट, मकान स्वामी, कॉलोनी या अन्य से दोगुनी राशि वसूलना गलत है।  ताकि गरीब भूखंड स्वामियों को भी इसका लाभ मिल सके, आयोग अपने आदेश पर पुनर्विचार करें और रिव्यू पैनल की बैठक बुलाकर उसमें पुनः संशोधन करें।  परिषद अध्यक्ष ने कहा कि कारपोरेशन का प्रस्ताव जो आयोग में प्रस्तुत किया गया था, उसमें कई शर्तें लगाई गई थीं, यदि वह लागू होता तो राज्य के उपभोक्ताओं के लिए बहुत बुरा होता।