UP में 49.8 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे के लिए होगा जमीनों का अधिग्रहण, लखनऊ तक मिलेगी सुविधा
UP News : उत्तर प्रदेश सरकार ने 49.8 किलोमीटर लंबे लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द शुरू करने की योजना बनाई है। इस उद्देश्य के लिए राज्य सरकार ने भूमि क्रय हेतु 500 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है। जिससे स्थानीय निवासियों को बेहतर सड़क संपर्क मिलेगा और क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के इस जिले में एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण जल्द होने वाला हैं। यह लिंक एक्सप्रेसवे 49.8 किलोमीटर लंबा होगा और इसके निर्माण के लिए भूमि क्रय को लेकर शासन ने 500 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है। आगरा-लखनऊ और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए एक नए लिंक एक्सप्रेसवे की परियोजना जल्द ही शुरू होगी। यह लिंक एक्सप्रेसवे 49.8 किलोमीटर लंबा होगा और इसके निर्माण के लिए शासन ने 500 करोड़ रुपये की जमीन खरीदने की अनुमति दी है। विकसित होने वाले इस लिंक एक्सप्रेसवे से पूर्वांचल से लखनऊ आने वाले लोगों को सुविधा मिलेगी।
नया लिंक एक्सप्रेसवे, जो आगरा-लखनऊ और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को जोड़ेगा, जल्द ही शुरू होगा। 49.8 किलोमीटर लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए शासन ने 500 करोड़ रुपये की जमीन खरीदने की अनुमति दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में पिछले वर्ष सितंबर में हुई बैठक में लिंक एक्सप्रेसवे की परियोजना को मंजूरी दी गई।
आगरा-लखनऊ और पूर्वांचल को जोड़ने वाली राजमार्ग
यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण) ने पिछले वर्ष अक्टूबर में शासन को लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए भूमि खरीदने का प्रस्ताव भेजा था। यह संपर्क आगरा-लखनऊ राजमार्ग पर बहरू से शुरू होकर पूर्वांचल राजमार्ग पर महुराकलां में समाप्त होगा। यह यूपीडा द्वारा निर्मित प्रवेश नियंत्रित ग्रीन फील्ड लिंक एक्सप्रेसवे होगा।
एमएस पार्क फ्यूचरिस्टिक कंपनी को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाना सौंपा गया है। इस लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण से पूर्वांचल से लखनऊ आने वाले लोगों को काफी लाभ होगा। दो स्थानों के बीच की दूरी भी लगभग दो घंटे कम हो जाएगी। साथ ही बिहार और पूर्वांचल से दिल्ली जाने वाले लोगों को जाम में नहीं फंसना पड़ेगा। अभी पूर्वांचल से दिल्ली जाना लखनऊ से होता है। गुरुवार को जारी शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि जमीन खरीदने के लिए धनराशि जिलाधिकारी लखनऊ के खाते में भेजी जाएगी।