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बिहार के 13 जिलों में होगा जमीनों का अधिग्रहण, किया जाएगा 2 नए एक्सप्रेसवे का निर्माण

Bihar News : बिहार और उत्तर प्रदेश को बेहतर कनेक्टिविटी देने के लिए दो एक्सप्रेसवे के लिए डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) और भूमि अधिग्रहण कार्य एक साथ शुरू किया जाएगा। यह एक्सप्रेसवे पूर्वी भारत के बड़े शहरों को तेज़ और सुगम यातायात सुविधा प्रदान करेगा।

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बिहार के 13 जिलों में होगा जमीनों का अधिग्रहण, किया जाएगा 2 नए एक्सप्रेसवे का निर्माण

Uttar Pradesh News : बिहार और उत्तर प्रदेश को बेहतर कनेक्टिविटी देने के लिए दो एक्सप्रेसवे के लिए डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) और भूमि अधिग्रहण कार्य एक साथ शुरू किया जाएगा। पटना-पूर्णिया और गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के लिए डीपीआर और जमीन अधिग्रहण दोनों एक साथ शुरू होंगे। इन दोनों परियोजनाओं के लिए 13 जिलों में जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे की लंबाई 282 किमी है और इसके लिए जमीन की 90 मीटर चौड़ाई चाहिए। वहीं, गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे की लंबाई 568 किमी है और इसके तहत बिहार में 417 किमी की सड़क बनाई जाएगी।

पिछले दिनों पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस वे और गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस वे के उद्घाटन को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मंजूरी दी थी। अब दोनों परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण और डीपीआर की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।

NHAI से मिली आधिकारिक सूचना के अनुसार, दोनों परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण और डीपीआर तैयार करने की प्रक्रिया एक साथ चलेगी। इन दोनों कार्यक्रमों के लिए 13 जिलों में जमीन मिलनी चाहिए।

अब तैयार है

NHAI के संबंधित अधिकारी ने बताया कि दोनों एक्सप्रेस वे ग्रीन फील्ड प्रोग्राम के अंतर्गत बनाए जाएंगे। इसलिए भूमि अधिग्रहण बड़े स्तर पर होना चाहिए। इसके लिए वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, सहरसा और मधेपुरा जिलों में जमीन अधिग्रहण की जानी हैं। इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य अगले छह महीने में पूरा होना चाहिए।

योजना है कि जमीन अधिग्रहण और परियोजना के लिए डीपीआर बनाने का काम एक साथ किया जाए। डीपीआर कंसलटेंट की निविदा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को करनी है। वहीं, गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस वे की लंबाई 568 किमी है, जिसका निर्माण बिहार में शुरू होना है।

इस परियोजना के लिए पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जिलों में जमीन ली जानी है। इस उद्देश्य के लिए 100 मीटर चौड़ाई की जमीन अधिग्रहण की जाएगी।

काला के गठन के लिए संबंधित जिलों का लेखन

जिन जिलों से दोनों राजमार्ग गुजर रहे हैं, उनके जिलाधिकारियों को कंपीटेंट आथिरिटी ऑफ लैंड एक्वजीशन (काला) का गठन करने का अनुरोध किया जा रहा है। काला ही सड़क परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण और मुआवजा वितरण की मानीटरिंग करता है। काली रिपोर्ट ही मुआवजा की दर निर्धारित करती है, जो जमीन की प्रकृति पर निर्भर करती है।

इन दो परियोजनाओं के लिए इन जिलों में जमीन अधिग्रहण

वैशाली
समस्तीपुर
दरभंगा
सहरसा
मधेपुरा
पश्चिमी चंपारण
पूर्वी चंपारण
शिवहर
सीतामढ़ी
मधुबनी
सुपौल
अररिया
किशनगंज

क्षतिग्रस्त सड़कों को मरम्मत नहीं की गई

भैरोगंज में जर्जर सड़क की मरम्मत नहीं हो रही है क्योंकि संबंधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने इसे नहीं देखा है। जो वाहन चालकों और राहगीरों को आने-जाने में बहुत मुश्किल बनाता है। सरकार, हालांकि, गांव को नगर से जोड़ने और मुख्य सड़क से संपर्क सड़कों को जोड़ने के लिए लगातार काम कर रही है। इसमें करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं।

लोगों को राहत मिल सकती है, लेकिन सड़कों का निर्माण जिस तरह से किया जाता है, उसके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जाता। इससे सड़कों का क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना रहता है। दुर्घटना भी हो सकती है। बेलवा से त्रिभौनी की मुख्य सड़क पर भी ऐसा ही है। बेलवा से सीधे भैरोगंज को जोड़ने वाली यह सड़क लगभग चार किलोमीटर लंबी है। इससे बरवा, त्रिभौनी, तोनवा लक्ष्मीपुर, खरहट, भैरोगंज और कई अन्य गांवों के लोगों को फायदा होता है।