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UP-हरियाणा के किसानों के बीच जमीन विवाद होगा खत्म, सीमा पर बनेंगे बाउंड्री पिलर

UP News : देश हो या राज्य जमीन विवाद तो हर किसी में होता हैं। बता दे की UP व हरियाणा की किसानों के बीच जमीन विवाद चल रहा हैं। इसी जमीन विवाद को सुलझाने के लिए अब सरकार ने कदम उठाया हैं। अब हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर किसानों का जमीन विवाद पूरी तरह खत्म होगा। पूरी जानकारी खबर में विस्तार से पढ़ें- 

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यूपी-हरियाणा के किसानों के बीच जमीन विवाद होगा खत्म, सीमा पर बनेगे बाउंड्री पिलर

Haryana News : देश हो या राज्य जमीन विवाद तो हर किसी में होता हैं। बता दे की UP व हरियाणा की किसानों के बीच जमीन विवाद चल रहा हैं। इसी जमीन विवाद को सुलझाने के लिए अब सरकार ने कदम उठाया हैं।  हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर किसानों के बीच जमीन विवाद को समाप्त करने के लिए यमुना नदी में बाउंड्री पिलर बनाए जाएंगे। यह पिलर दीक्षित पुरस्कार के तहत बनाया जाएगा। यह पिलर हरियाणा के यमुना से जुड़े छह जिलों में बनाया जाएगा। निशानदेही सर्वे ऑफ इंडिया इसके लिए काम करेगा। एसओआई का सर्वे अभी भी चल रहा है, लेकिन करनाल से संकेत मिल चुके हैं। पीडब्ल्यूडी ने आईएसओ के आधार पर पिलर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

करनाल के अलावा, यमुनानगर, पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद और पलवल जिले में भी बाउंड्री पिलर बनाए जाते हैं। अधिकारियों का कहना है कि पिलर लगाने से दोनों राज्यों की सीमा पर बसे गांवों में जमीन पर विवाद नहीं होगा। खनन का एक बड़ा हिस्सा भी आता है, इसलिए विवाद भी कम हो जाएगा। तीसरा, पिलर लगाने के बाद दोनों राज्यों के बीच सीमांकन का मुद्दा हल हो जाएगा, क्योंकि यमुना नदी हर साल अपना रुख बदलती रहती है।

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2007 में दोनों राज्यों की यमुना में बाउंड्री बनाने के लिए पिलर लगाए गए, लेकिन कई पिलर बह गए। सर्वे ऑफ इंडिया ने 2021 में पायलट परियोजना में कुछ नए पिलर बनाए। अब सभी छह जिलों में पिलर पूरी तरह से लगाए जाएंगे। PWD के एक्सईएन संदीप ने बताया कि करनाल जिले में पिलर बनाने में लगभग 80 लाख रुपये खर्च होंगे। इसका टेंडर प्रकाशित किया गया है।

यह है दीक्षित अवार्ड, जिस आधार पर चल रहा काम

तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री उमाशंकर दीक्षित ने 1974 में दोनों राज्यों की सीमाओं को बांटती यमुना में हदबस्त तय करने के लिए एक बिल का मसौदा बनाया था. वर्ष 1975 में दोनों राज्यों को इस पर अमल करने के लिए कहा गया था ताकि यमुना और इसके आसपास की जमीन पर खेती करने वाले लोगों में विवाद न हो। पिलर लगाने की प्रक्रिया दीक्षित पुरस्कार-1974 को आधार मानकर की जाएगी।

लंबे वक्त तक वजूद में रहेंगे पिलर, उफान में नहीं बहेंगे

ये पिलर विशेषज्ञों ने डिजाइन किए हैं ताकि वे लंबे समय तक वजूद में रहें। नदी की ऊंचाई पर एक तिहाई पिलर भी गढ़ा जाएगा। प्रत्येक पिलर 21.5 मीटर ऊंचा है। पानी के अंदर लगने वाले पाइल पिलर की वजह से यह 17 मीटर नीचे होगा। ऑड-ईवन पिलर में हरियाणा का ऑड नंबर है, जबकि ईवन यूपी का है। 

अधिकारी के मुताबिक 

यमुना में बाउंड्री पिलर बनाए जाएंगे। यमुना में हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा निशानदेही की जाएगी। इसके साथ सर्वे भी चल रहा है। करनाल में भी निर्माण शुरू हो गया है।

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