UP में जापानी सिटी बसाने के लिए जमीनों का होगा अधिग्रहण, होंगे कई अन्य विकास कार्य
UP News: उत्तर प्रदेश में जापानी सिटी के विकास को लेकर अब सरकार की तरफ से बड़ी अपडेट सामने आई है. जापानी सिटी विकसित करने की दिशा में सरकार ने अहम कदम उठाया है. इस प्रोजेक्ट को लेकर जमीन खरीदने के लिए सूची प्रकाशित कर दी गई है.

Uttar Pradesh News: यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) द्वारा प्रस्तावित "जापानी सिटी" प्रोजेक्ट को लेकर बड़ी प्रगति हुई है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास एक हाईटेक औद्योगिक टाउनशिप विकसित करना है, जो विशेष रूप से जापानी कंपनियों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है। यीडा क्षेत्र में 31 किसानों की जमीन खरीदने की सूची जारी की गई है। यह जापानी शहर को विकसित करने के लिए यमुना प्राधिकरण ने बड़ा काम किया है।
भूमि खरीदने की सूची जारी
यीडा क्षेत्र में 31 किसानों की जमीन का अधिग्रहण शुरू हो गया है। यमुना प्राधिकरण ने 31 कल्लूपुरा किसानों से भूमि खरीदने की सूची जारी की है। जापानी सिटी को नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास सेक्टर-5 में बनाया जाएगा, अधिकारी ने बताया। इलेक्ट्रानिक्स कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए आएंगी। विशेष रूप से सेमीकंडक्टर, AI (आर्टीफिशियल इंटलीजेंस), ग्रीन हाइड्रोजन, सोलर और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में निवेश होगा।
जापानी शहर बनेंगे
सरकार प्रस्तावित शहर में आधारभूत ढांचा बनाएगी। इन शहरों में बिजली, सुरक्षा, सड़कें और नागरिक सुविधाएं होंगी। जापानी शहर में कंपनियों में काम करने वाले लोगों को घर, स्कूल और अस्पताल सहित सभी सुविधाएं मिलेंगी। जापानी सिटी के लिए सेक्टर-5 में कल्लूपुरा गांव में प्राधिकरण ने 31 किसानों से जमीन खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 2500 करोड़ की जमीन अधिग्रहीत होगी यीडा ने कहा कि सेक्टर-4 में कोरियन शहर और सेक्टर-5 में जापानी शहर बनेंगे।
दोनों क्षेत्रों में जापानी और कोरियन शहर बसाने के लिए 760 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की जाएगी, जो किसानों को 2544 करोड़ रुपये में दी जाएगी। भूमि अधिग्रहण करने में 50 प्रतिशत यानी 1272 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश सरकार देगी, जबकि शेष 50 प्रतिशत का भुगतान यमुना प्राधिकरण स्वयं करेगी। यमुना प्राधिकरण बाकी 50 प्रतिशत का भुगतान खुद करेगा।
विकास कार्य | प्रतिशत (%) |
औद्योगिक इकाई | 70% |
आवासीय क्षेत्र | 10% |
कमर्शियल (व्यावसायिक) | 13% |
संस्थागत सुविधाएं | 5% |
सड़क, ग्रीन बेल्ट | 2% |