मॉनसून की बेरुखी ने की फसल बर्बाद, राजस्थान में धान का कटोरा इस बार रह जाएगा खाली
The Chopal - बूंदी, जहां खेतों में घुटने तक पानी होना चाहिए था, अब मिट्टी की नमी खत्म हो चुकी है, इस बार प्रदेश में धान के किसानों पर भारी पड़ती दिखती है। किसान पानी की समस्याओं से बहुत चिंतित हैं। भी समय पर नहर का पानी नहीं मिलने से फसलें खराब हो रही हैं। किसानों ने बताया कि उन्होंने अच्छी बारिश की उम्मीद में धान रोपा था, लेकिन बारिश नहीं हुई, इसलिए उम्मीद से अधिक पानी फिर गया।
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प्रदेश में बारिश की कमी ने धान की फसल को खराब कर दिया है। धान की खेती में बूंदी एक नाम है। बूंदी से हर साल 1500 से 2000 करोड़ रुपये का चावल विदेशों में भेजा जाता है, लेकिन इस बार मानसून की बाढ़ से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बूंदी जिला राजस्थान का "धान का कटोरा" है
राजस्थान के बूंदी जिले को "धान का कटोरा" कहा जाता है, लेकिन पिछले दो महीने से बरसात नहीं होने से धान की फसल उगाने वाले किसानों की हालत खराब हो गई है। जिले में पिछले कई दिनों से 82 हजार हैक्टेयर से अधिक किसानों ने धान की फसल की रोपाई की है और पानी का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन मानसून की कमी के चलते समय पर पानी की कमी के कारण खेतों में व्यापक दरारें आ गई हैं।
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सीजन में किसान चार तरह की फसल रोपाते हैं
बारिश के इस समय में कई किसानों ने उड़द, सोयाबीन, गरडा (चावल) और मक्का की खेती के लिए बैंकों से ऋण लिया है या साहूकारों से ऋण लिया है। धान किसानों से बातचीत करते हुए कहा कि पिछले साल से कम बारिश हुई है। खेती पर खर्च भी वसूल नहीं हो पा रहा है।
फसल पर खर्च किया गया धन भी नहीं मिलेगा।
बूंदी जिले के लोइचा गांव के किसान रमेश ने बताया कि उन्होंने 12 बीघा में धान की रोपाई की है और इस साल बारिश से बहुत नुकसान हुआ है, इसलिए लागत का पैसा भी नहीं निकलेगा। धान की खेती करने वाले एक और किसान मदन गोपाल ने बताया कि इस बार उन्होंने नौ बीघा जमीन पर चावल की बुआई की थी, लेकिन बारिश के चलते पूरी फसल बर्बाद हो गई।
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