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MP बनेगा मेट्रोपॉलिटन रीजन, तीन जिलों को तोड़ जाएगा, 19 तहसील, 906 गांवों की 6631.4 वर्ग कि.मी जमीन शामिल

MP News : इंदौर, उज्जैन, देवास और धार को मिलाकर साल 2051 के भविष्य के विकास और शहरीकरण को ध्यान में रखते हुए आइएमआर (इंडो-मैट्रोपॉलिटन रीजन) तैयार किया जा रहा है। यह योजना क्षेत्र के बुनियादी ढांचे, आर्थिक विकास और जनसंख्या के विस्तार को व्यवस्थित करने के लिए बनाई जा रही है।

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MP बनेगा मेट्रोपॉलिटन रीजन, तीन जिलों को तोड़ जाएगा, 19 तहसील, 906 गांवों की 6631.4 वर्ग कि.मी जमीन शामिल 

Indore Metropolitan Region : राजधानी में उज्जैन, देवास और धार की सरहदों पर विचार किया जा रहा है। इंदौर का डाटा कई विभागों से नहीं मिल पा रहा है। इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन (IMR) को बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। फिलहाल, राजधानी स्तर पर मध्य प्रदेश के उज्जैन, देवास और धार की सीमा को कम करने पर विचार चल रहा है। महत्वपूर्ण होने पर इनमें से कुछ को बढ़ा सकते हैं। इस पर जल्द ही निर्णय होगा। साथ ही, कंसल्टेंट कंपनी ने इंदौर सहित तीनों जिलों के 26 विभागों से जानकारी मांगी है।

2051 तक इंदौर, उज्जैन, देवास और धार में आईएमआर बनाया जाएगा। मौजूदा वक्त में 19 तहसील, 906 गांवों की 6631.4 वर्ग कि.मी जमीन आ रही है। इंदौर विकास प्राधिकरण के अंतर्गत मेहता एंड कंसल्टेंट कंपनी 15 एक्सपर्ट के साथ एक योजना बना रही है। इंदौर के 15 सरकारी विभागों से डाटा प्राप्त हो रहा है। अब उज्जैन, देवास और धार से भी पता लगाया गया है। यहाँ प्रस्तावित IMR फाइल भोपाल भेजी गई है। इसमें क्षेत्र को बढ़ाने का विचार किया जा रहा है। भविष्य में महत्वपूर्ण स्थानों को भी ले जाया जा रहा है। ऐसे क्षेत्र जो भौगोलिक स्थिति के अनुसार आइएमआर में होने चाहिए, भी जोड़े जा सकते हैं। कुछ क्षेत्रों को छोड़ने के बारे में भी बहस चल रही है।

इन्हें भी शामिल किया जा सकता है

पीएम मित्रा प्रोजेक्ट, जो बदनावर के पास आ रहा है, कपड़ा कारोबार को नई उंचाइयों पर ले जाएगा। बीच के हिस्से को भी शामिल करना होगा। धार में पर्यटन के लिए मांडू बहुत महत्वपूर्ण है। आप देवास के साथ सोनकच्छ भी ले सकते हैं। लेकिन कंसल्टेंट कंपनी की राय भी महत्वपूर्ण माना जाएगा। योजना भी कनेक्टिविटी को गंभीरता से देखेगी।

डाटा प्रदान करने में छूट रहे श्रम

आइडीए के सीईओ रामप्रसाद अहिरवार ने एक महीने पहले इंदौर के 26 विभागों को पत्र लिखकर डाटा मांगा था। अब तक आधे विभागों ने रिपोर्ट नहीं दी है। कंसल्टेंट कंपनी द्वारा मांगे गए फार्मेट में कुछ भी नहीं है।