UP के 2 जिलों में 20 गांवों से निकलेगी नई रेल लाइन, बनेंगे 3 नए स्टेशन, मुख्य रेलवे ट्रैक से जुड़ेगी
Kasganj-Etah new railway line : भारतीय रेलवे अपने नेटवर्क का तेजी से विस्तार कर रहा है। अब उत्तर प्रदेश के इन जिलों के बीच नई रेलवे लाइन बिछाने की अनुमति मिल गई है। इस परियोजना से यात्राएं सुलभ और सस्ती होंगी। इस परियोजना के अंतर्गत दोनों जिलों के 20 गांवों की भूमि अधिग्रहित की जाएगी, जिससे स्थानीय किसानों को आर्थिक लाभ होगा।

Kasganj-Etah Rail News : उत्तर प्रदेश के कासगंज और एटा जिलों को जोड़ने के लिए 30 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन बिछाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस परियोजना के अंतर्गत दोनों जिलों के 20 गांवों की भूमि अधिग्रहित की जाएगी, जिससे स्थानीय किसानों को आर्थिक लाभ होगा। साथ ही, इस रेल लाइन से यात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी।
परियोजना की मुख्य विशेषताएं
रेल लाइन की लंबाई: 30 किलोमीटर
शामिल गांव: कासगंज के 4 और एटा के 16 गांव
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया: राजस्व विभाग द्वारा भूमि स्वामित्व का सत्यापन जारी
किसानों को लाभ: सर्किल रेट या अधिक मूल्य पर भूमि खरीद
संभावित यात्रियों की संख्या: लगभग 35 लाख लोगों को लाभ
कनेक्टिविटी: टूंडला और आगरा रेलवे स्टेशन से सीधा संपर्क
रेलवे स्टेशनों की योजना
न्यौराई (एटा की ओर)
अचलपुर (एटा की ओर)
रसूलपुर गढ़ा (कासगंज की ओर)
रेल लाइन के रास्ते में आने वाले गांव
कासगंज-एटा रूट पर कासगंज जिले के 4 गांव पड़ रहे हैं, जिनमें कुरामई, बांकनेर, बरेला और नसरतपुर के कुल 174 गाटा की भूमि के अधिग्रहण का प्रस्ताव तैयार है। तहसील प्रशासन इसका वेरीफीकेशन कर रहा है। भूमि स्वामियों को नोटिस जारी कर आपत्ति मांगी जाएगी। एक माह के अंदर ही आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। इसके बाद भूमि का मुआवजा देकर अधिग्रहित की जाएगी।
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया
रेलवे बोर्ड ने भूमि अधिग्रहण की प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। संबंधित तहसीलों में भूमि के स्वामित्व की पुष्टि की जा रही है। कासगंज के कुरामई, बांकनेर, बरेला और नसरतपुर गांवों की 174 गाटा भूमि के अधिग्रहण का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
परियोजना की अनुमानित लागत
रेल लाइन निर्माण के लिए 389 करोड़ रुपये की स्वीकृति पहले ही मिल चुकी है, जबकि भूमि अधिग्रहण के लिए 105.85 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। निर्माण कार्य 2025 में शुरू होने की संभावना है और इसे 2026-27 तक पूरा करने का लक्ष्य है।