UP में इन जगहों पर 4 गुना ज्यादा रेट पर भी जमीन नहीं दे रहे लोग
UP News : नया गोरखपुर बसाने को लेकर गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की ओर से प्रयास तेज कर दिए गए हैं। जीडीए उपाध्यक्ष के निर्देश पर टीमें गांवों में जा रही हैं और किसानों के साथ बैठक कर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए उन्हें प्रेरित कर रही हैं। सर्किल रेट का चार गुणा तक क्षतिपूर्ति देने का प्रस्ताव किसानों को दिया जा रहा है, लेकिन किसान इस दर पर जमीन देने से साफ इन्कार कर रहे हैं।
कई गांवों के किसानों ने विकसित भूमि में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी व एक सरकारी नौकरी की मांग रखी है। जीडीए की टीमों की ओर से यह भी समझाया जा रहा है कि सहमति से जमीन नहीं देंगे तो अनिवार्य अर्जन की ओर कदम बढ़ाया जाएगा।
इस वजह से नया गोरखपुर बसाने का तैयार हुआ प्रस्ताव-
बढ़ती शहरी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए नया गोरखपुर बसाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके लिए 60 गांवों में जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। 25 गांव शहर के उत्तर दिशा में चिह्नित किए गए हैं, जबकि 35 गांव कुसम्ही एवं पिपराइच रोड पर हैं। इन गांवों में बाजार मूल्य अधिक है।
सर्किल रेट का चार गुणा भी इसके आधे के बराबर भी नहीं आ रहा। ऐसे में किसान जमीन देने को तैयार नहीं हो रहे हैं। जीडीए की टीमें एक गांव में दो-दो बार जाएंगी। जीडीए सचिव उदय प्रताप सिंह बुधवार को महराजगंज गांव में पहुंचे थे। वहां भी किसानों ने साफ तौर पर प्रस्तावित रेट पर जमीन देने से इन्कार कर दिया।
इस गांव के लोगों का कहना है कि यहां जमीन का न्यूनतम मूल्य करीब ढाई लाख रुपये डिसमिल है, जबकि सर्किल रेट के चार गुणा भी डेढ़ लाख रुपये से कम ही आएगा। किसानों का कहना है कि 2016 से ही सर्किल रेट नहीं बढ़ाया गया है, ऐसे में इस दर पर क्षतिपूर्ति उचित नहीं है। प्रभारी मुख्य अभियंता देवीपुर एवं बैजनाथपुर गांवों के किसानों से वार्ता के लिए पहुंचे थे, लेकिन उन्हें भी इन्कार ही सुनने को मिला। कुछ गांवों में किसानों की ओर से सकारात्मक रुख अपनाया गया है। किसानों से समझौते के लिए चल रहे इस अभियान को लेकर फिलहाल जीडीए के अधिकारी कुछ कहने को तैयार नहीं हैं।
अनिवार्य अर्जन में मिलेगी समान क्षतिपूर्ति, लेकिन देर से-
बैठकों में जीडीए ने स्पष्ट कर दिया है कि सहमति के आधार पर जमीन ली जाएगी, तो प्रविधान के अनुसार सर्किल रेट के अधिकतम चार गुणा के बराबर क्षतिपूर्ति दी जाएगी। यदि किसान सहमति नहीं देते हैं तो भी जीडीए जमीन अधिग्रहीत करेगा, इसके लिए अनिवार्य अर्जन का सहारा लिया जाएगा। इसको लेकर एक प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसमें भी क्षतिपूर्ति सर्किल रेट के समान ही मिलेगी, लेकिन देर से। सहमति के आधार पर जहां क्षतिपूर्ति तुरंत मिल जाएगी, वहीं अनिवार्य अर्जन में इसमें एक से डेढ़ वर्ष का समय लग सकता है।
इन गांवों में शुरू हुई बैठक-
परमेश्वरपुर, विशुनपुर, देवीपुर, ठाकुर नंबर एक एवं दो, बालापार, मानीराम, महराजगंज, रामपुर गोपालपुर, बैजनाथपुर, सोनबरसा, दौलतपुर, रहमतनगर, कुसम्ही की ओर रुद्रापुर, बहरामपुर, भैसहां, आराजी बसडीला, जगदीशपुर, सिसवा उर्फ चनकापुर, आराजी मतानी व माड़ापार, तकिया मेदिनीपुर, कोनी, कुसम्ही, मठिया बुुजर्ग, जयपुर।
क्या कहते हैं किसान-
- महराजगंज के रवि तिवारी ने कहा कि यहां किसानों के पास छोटे जोत वाली जमीन है। यदि इसका अधिग्रहण कर लिया गया तो हमारे पास कुछ नहीं बचेगा। जीडीए को इसपर विचार करना चाहिए।
- महराजगंज के राजेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले सात साल से सर्किल रेट नहीं बढ़ाया गया है। ऐसे में जमीन देकर भी किसानों को कुछ नहीं मिलेगा। यहां किसानों के पास थोड़ी-थोड़ी जमीन है, जिसपर सभी खेती करते हैं।
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