The Chopal

सरसों की खली से पौधों को मिलेगा रामबाण इलाज, नहीं पड़ेगी कीटनाशक की जरूरत

कीटनाशक दवाओं के बजाय पौधों पर प्राकृतिक कवच का काम करता है और फसलों को सुरक्षित रखता है।100 ग्राम या 50 ग्राम प्रति पौधा बड़े गमलों में और 50 ग्राम छोटे गमलों में नीम की खली का उपयोग किया जा सकता है। जानिए विस्तार से 
   Follow Us On   follow Us on
सरसों की खली से पौधों को मिलेगा रामबाण इलाज, नहीं पड़ेगी कीटनाशक की जरूरत 

The Chopal, Mustard News: बरसात के बाद कीटों का हमला आम है। इस स्थिति में पौधों को स्वस्थ रखना और मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बनाए रखना बहुत मुश्किल है। रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करने में कई किसान संकोच करते हैं, क्योंकि वे फसल और पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि पौधों को कीड़ों से बचाने और उनकी पोषक गुणवत्ता को बचाने के लिए सरसों की खली जैसे जैविक उपायों का उपयोग किया जा सकता है। रिपोर्ट: ओम प्रकाश निरंजन

डॉ. AK Rai, कोडरमा कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, ने लोकल 18 से एक विशेष बातचीत में बताया कि सरसों की खली एक अच्छा जैविक खाद है जो पौधों को बीमारियों और कीड़ों से बचाता है। सरसों को पीसने के बाद बचे हुए खली को खाद और कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

यह कीटनाशक दवाओं के बजाय पौधों पर प्राकृतिक कवच का काम करता है और फसलों को सुरक्षित रखता है।100 ग्राम या 50 ग्राम प्रति पौधा बड़े गमलों में और 50 ग्राम छोटे गमलों में नीम की खली का उपयोग किया जा सकता है। इसके बाद हल्का पानी डालना चाहिए, ताकि पौधों की जड़ों तक खली की सभी आवश्यक सामग्री पहुँच सकें। नीम की खली कीटनाशक है और मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाती है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जैविक खेती के लिए सरसों और नीम की खली एक बेहतरीन विकल्प हैं।

वहीं, 20 से 25 ग्राम सरसों की खली को मिट्टी में मिलाकर गमलों में बिछाया जा सकता है। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है, जिससे पौधों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। इस प्रक्रिया से मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु, जो पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक हैं, सक्रिय होते हैं।नीम की खली भी जैविक कीटनाशक है। 50 ग्राम नीम की खली को एक लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़कना कीटों से बचाता है।

सरसों की खली को लिक्विड या केक के रूप में बनाया जा सकता है। 100 ग्राम सरसों की खली को एक लीटर पानी में 2 से 3 दिनों तक भिगोकर रखा जाता है, जिसे लिक्विड के रूप में उपयोग किया जाता है। 5 लीटर पानी में इसे मिलाकर पौधों की जड़ों में डाला जा सकता है। यह कीड़ों से पौधों को बचाता है और उनकी जड़ों को पोषक तत्व देता है।

सरसों की खली में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, जो पौधों की वृद्धि में मदद करते हैं। यह पौधों की जड़ों को मजबूत करता है और मिट्टी की संरचना को सुधारता है। यह मिट्टी की पोषक तत्वों और खली पानी को पकड़ने की क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे पौधों को निरंतर पोषण मिलता है। यह खरपतवारों को भी दूर रखता है। सरसों की खली भी खरपतवारों को नियंत्रित कर सकती है अगर आपके बगीचे या गमलों में खरपतवार उग रहे हैं।

यह मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारता है और पौधों को कीड़ों से बचाता है। सरसों की खली का नियमित उपयोग फसलों को स्वस्थ रखता है और फफूंद या कीट नहीं लगते। पौधों को कीड़ों से बचाने और उर्वरक क्षमता को बढ़ाने के लिए सरसों और नीम की खली जैसे जैविक खादों का उपयोग एक प्रभावी उपाय है। यह फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाता है और पर्यावरण को भी बचाता है। इस जैविक उपाय का उपयोग करके आप रसायन और स्वस्थ फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं।

News Hub